प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत तथा उज्बेकिस्तान ने सुरक्षा सहयोग के साथ-साथ रक्षा तथा साइबर सुरक्षा में सहयोग पर सहमति जताई है. उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति इस्लाम करीमोव से बातचीत के बाद दिए एक बयान में उन्होंने कहा कि दोनों देश शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तय कार्यक्रमों के तहत काम करेंगे.
मध्य एशिया की पहली यात्रा पर उज्बेकिस्तान पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उज्बेक राष्ट्रपति इस्लाम करीमोव से द्विपक्षीय और अफगानिस्तान मुद्दों पर चर्चा की. दोनों देशों ने विदेश कार्यालय, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए. सामरिक, आर्थिक और उर्जा क्षेत्रों में संबंधों को बेहतर बनाने पर समीक्षा की गई.
महत्वपूर्ण है उज्बेकिस्तान
मोदी ने कहा, 'मैंने उज्बेकिस्तान से अपनी यात्रा शुरू की है, जो भारत के लिए इस देश के महत्व को दर्शाता है, न केवल इस क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे एशिया के लिए. राष्ट्रपति करीमोव और मैंने भारत और उजबेकिस्तान के बीच कनेक्टिविटी को और बढ़ाने की विभिन्न पहलों पर चर्चा की है.
आतंकवाद पर हुई चर्चा
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति सहित अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई. इस देश में शांति एवं स्थिरता के महत्व को दोहराया. दोनों देशों के विस्तारित पड़ोस में बढ़ते उग्रवाद और आतंकवाद के खतरों के बारे में भी चर्चा की. हाल के वर्षो में भारत और उज्बेकिस्तान ने आपसी सम्मान और साझा हितों के आधार पर सामरिक साझेदारी बनाई है.
मोदी ने रखा प्रस्ताव
मोदी ने कहा कि उन्होंने दोनों देशों के बीच नियमित उच्च स्तरीय बैठकें करने को लेकर अपनी गहरी रूचि व्यक्त की है. उन्होंने कहा, 'मैंने राष्ट्रपति को अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कोरिडोर के बारे में बताया. उज्बेकिस्तान के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि वह इसका सदस्य बने.' इसमें आर्थिक सहयोग और स्थिरता को बढ़ावा देना शामिल है.
उन्होंने कहा कि मंगलवार को वह मान्यूमेंट ऑफ इन्डिपेन्डेंस एंड ह्यूमेनिज्म और दिवंगत प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के स्मारक जाएंगे. यह काफी सार्थक यात्रा रही है. इसके जरिए आने वाले वषो में अच्छी फसल के बीज बोए गए हैं.