प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथग्रहण समारोह में शिरकत करने माले पहुंचे. सोलिह का शपथग्रहण कार्यक्रम माले स्थित नेशनल स्टेडियम में आयोजित किया गया. इस समारोह के बाद पीएम मोेदी ने सोलिह को बधाई दी. दोनों नेता गले भी मिले. इसके बाद शनिवार को ही पीएम मोदी दिल्ली के लिए वापस रवाना हो गए.
Congratulations Mr. President!
PM @narendramodi attended the inaugural ceremony & congratulated President @ibusolih. The visit reflects India’s commitment to assist the Government & people of #Maldives in their endeavour to build a peaceful, democratic & prosperous country pic.twitter.com/lyZq2RSe9x
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) November 17, 2018
इसके अलावा पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'मालदीव के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के लिए इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को बधाई. मैं उनके बेहतरीन कार्यकाल के लिए बधाई देता हूं. मैं दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने के लिए सोलिह के साथ काम करने का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं.'Male: Prime Minister Narendra Modi leaves for Delhi after attending the swearing-in ceremony of Maldives' President Ibrahim Mohamed Solih. pic.twitter.com/uoqhqnJcBx
— ANI (@ANI) November 17, 2018
Congratulations to Mr. @ibusolih on taking oath as the President of the Maldives.
Wishing him the very best for his tenure ahead.
Looking forward to working with him to strengthen bilateral relations between our nations. pic.twitter.com/HryxQQMadt
— Narendra Modi (@narendramodi) November 17, 2018
प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की मालदीव की यह पहली यात्रा है. आपको बता दें कि दक्षिण एशियाई देशों में मालदीव एकमात्र ऐसा देश है, जहां की यात्रा पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2014 के बाद नहीं की थी.
Prime Minister @narendramodi interacts with leaders from The Maldives and other parts of the world during the oath taking ceremony of Mr. @ibusolih. pic.twitter.com/LrZ1f1VXCT
— PMO India (@PMOIndia) November 17, 2018
2015 में पीएम मोदी मालदीव की यात्रा करने वाले थे, लेकिन वहां पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशिद की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी थी. यात्रा से पहले मोदी ने कई ट्वीट कर कहा, 'मैं सोलिह की नई मालदीव सरकार को उनकी विकास प्राथमिकताओं विशेषकर आधारभूत क्षेत्र, स्वास्थ्य देखभाल, सम्पर्क एवं मानव संसाधन विकास को साकार करने के लिए मिलकर काम करने की भारत सरकार की मंशा से अवगत कराऊंगा.'
उन्होंने कहा कि मालदीव में हुए हालिया चुनाव लोकतंत्र, कानून का शासन एवं समृद्ध भविष्य के लिए लोगों की सामूहिक आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम भारत की यह प्रबल मंशा है कि हम एक स्थिर, लोकतांत्रिक, समृद्ध और शांतिपूर्ण मालदीव गणतंत्र देखना चाहते हैं.' उन्होंने हाल के चुनाव में सोलिह को उनकी जीत के लिए बधाई दी और उनका कार्यकाल सर्वोत्तम रहने की कामना भी की. सोलिह के शपथ ग्रहण के लिए आए आमंत्रण को मोदी ने हाल में स्वीकार किया था.
बता दें कि सितंबर 2018 में मालदीव में हुए आम चुनाव में मालदिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने उस समय के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को हरा दिया था. सोलिह के गठबंधन को 58 फीसदी वोट हासिल हुए थे.
कौन हैं इब्राहीम सोलिह
साल 1994 में पहली बार जीतकर संसद पहुंचे इब्राहीम मोहम्मद सोलिह की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी बनाने में अहम भूमिका रही है. साथ ही 2003 से लेकर 2008 के बीच उन्होंने देश में राजनीतिक सुधारों के लिए आंदोलन भी चलाया था. इन्हीं के प्रयासों से देश में लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान को मजबूती मिल सकी है. वो साल 2011 से MDP संसदीय समूह के नेता हैं.
भारत के साथ मजबूत संबंधों के हिमायती
इब्राहीम सोलिह भारत के साथ मजबूत संबंधों के हिमायती रहे हैं. उन्होंने हमेशा से भारत से अच्छे राजनीति और व्यापारिक रिश्तों की पैरवी की है. इब्राहिम सोलिह ने खुद इच्छा व्यक्त की थी कि उनके शपथ ग्रहण समारोह में भारत के पीएम मौजूद रहें.
यामीन के साथ कड़वे रिश्तों का दौर
हालांकि निवर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन का झुकाव चीन की ओर था. उनके कार्यकाल के दौरान यामीन ने भारतीय कंपनियों के ठेके रद्द कर दिये थे. यहां तक कि मालदीव ने वहां पर बचाव अभियान में लगे दो भारतीय हेलिकॉप्टर को भी वापस भेज दिया था. मालदीव में 45 दिनों तक लगी इमरजेंसी के दौरान भारतीय कामगारों के लिए नियमों को भी सख्त किया गया था.
मालदीव में चुनाव से पहले इसके भारत के साथ रिश्ते तब और भी तनावपूर्ण हो गए थे जब बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा था कि अगर चुनाव में धांधली होती है तो भारत को मालदीव पर हमला कर देना चाहिए. इसी ट्वीट के बाद मालदीव ने भारत के उच्चायुक्त अखिलेश मिश्र को समन भी किया था.
मौके की ताक में चीन
भारत और मालदीव के बीच जब संबंध खराब हुए तो चीन ने यहां भी पैर पसारने शुरू कर दिए. चीन की कंपनियों ने अब्दुल्ला यामीन से सड़क निर्माण के कई प्रोजेक्ट हासिल किए. साथ ही पिछले दिसंबर में दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत करने के लिए मुक्त व्यापार समझौता भी साइन किया गया था.