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पीएम मोदी के फ्रांस दौरे में इस बड़े प्रोजेक्ट पर बढ़ी बात, चिढ़ जाएगा चीन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने फ्रांस दौरे में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ मिलकर IMEC प्रोजेक्ट की समीक्षा की है. दोनों नेता इस प्रोजेक्ट पर साथ मिलकर काम करने को सहमत हुए हैं. इस प्रोजेक्ट को चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट की काट माना जाता है. प्रोजेक्ट पर किसी भी प्रगति से चीन को मिर्ची लग सकती है.

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प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों IMEC पर सहयोग बढ़ाने को लेकर सहमत हुए हैं (Photo- Reuters)
प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों IMEC पर सहयोग बढ़ाने को लेकर सहमत हुए हैं (Photo- Reuters)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन दिवसीय फ्रांस दौरे में जिन अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, उनमें इंडिया-मिडिल-ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) भी शामिल था. अपने दौरे के आखिरी दिन बुधवार को फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ प्रोजेक्ट की समीक्षा के बाद पीएम मोदी ने कहा कि द्विपक्षीय हितों के लिए यह प्रोजेक्ट बेहद अहम है. दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों IMEC को लागू करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं.

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IMEC प्रोजेक्ट सितंबर 2023 में भारत में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान लॉन्च किया गया था. 9 सितंबर 2023 को भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ ने प्रोजेक्ट के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था. लेकिन लॉन्च के बाद से ही यह प्रोजेक्ट अधर में लटका है. गाजा संघर्ष की वजह से मध्य-पूर्व में भारी तनाव था जिस कारण इस प्रोजेक्ट पर किसी तरह की प्रगति नहीं हो पाई है.

अब जबकि इजरायल और हमास में संघर्षविराम हो गया है, उम्मीद जताई जा रही है कि प्रोजेक्ट पर काम आगे बढ़ेगा. 

क्या है IMEC प्रोजेक्ट?

IMEC प्रोजेक्ट के तहत एक व्यापारिक कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा जो भारत को मध्य-पूर्व से होते हुए यूरोप से जोड़ेगा. 

विदेश मंत्रालय ने पिछले साल एक बयान में कहा था कि कॉरिडोर के दो हिस्से होंगे- ईस्टर्न कॉरिडोर जो भारत को खाड़ी देशों से जोड़ेगा और दूसरा नॉर्दन कॉरिडोर जो खाड़ी देशों को यूरोप से जोड़ेगा.

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इस कॉरिडोर के तहत रेल नेटवर्क के साथ-साथ शिपिंग नेटवर्क भी तैयार किया जाएगा. भारत के मुंबई और गुजरात से लेकर यूएई तक समुद्री रास्ता होगा. फिर पूरे मध्य-पूर्व के देशों में रेल नेटवर्क तैयार किया जाएगा. ये रेल नेटवर्क यूएई, सऊदी, जॉर्डन और इजरायल तक होगा. पहले से मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर का भी  इस्तेमाल किया जाएगा.

इसके बाद दो समुद्री व्यापारिक रास्ते बनेंगे. पहला रास्ता इजरायल के हाइफा बंदरगाह से इटली तक जाएगा और दूसरा रास्ता इजरायल के बंदरगाह से फ्रांस तक जाएगा. पूरा कॉरिडोर छह हजार किलोमीटर लंबा होगा जिसमें साढ़े तीन हजार किमी का समुद्री रास्ता होगा. 

भारत को कितना फायदा?

माना जा रहा है कि IMEC अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए गेमचेंजर साबित होगा. भारत को भी इससे बहुत फायदा होने वाला है क्योंकि इससे भारत को अपना सामान यूरोप तक पहुंचाने में वर्तमान समय की अपेक्षा 40% समय की बचत होगी.

समुद्री रास्ते से जर्मनी तक सामान पहुंचाने में भारत को अभी एक महीने से ज्यादा का वक्त लग जाता है लेकिन कॉरिडोर बन जाने के बाद भारत से जर्मनी तक दो हफ्तों में ही माल पहुंचाया जा सकेगा.

इस कॉरिडोर से भारत का निर्यात भी बढ़ेगा और माल ढुलाई की लागत भी कम होगी.

चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का जवाब होगा IMEC

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IMEC को चीन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)' की काट माना जा रहा है. बीआरआई के जरिए चीन ने दुनिया के सैकड़ों देशों में व्यापार और कनेक्टिविटी का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर लिया है. इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन को वैश्विक स्तर पर रणनीतिक बढ़त मिलती जा रही है और माना जा रहा है कि IMEC इसे संतुलित कर सकता है.

चीन IMEC प्रोजेक्ट से शुरू से ही चिढ़ा हुआ है. जब यह प्रोजेक्ट भारत में लॉन्च किया गया था तब चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कई लेख प्रकाशित कर कहा था कि यह प्रोजेक्ट फंडिंग की कमी की वजह से रुक सकता है.

ग्लोबल टाइम्स ने बीआरआई की खूबियां गिनाते हुए कहा था कि IMEC प्रोजेक्ट अगर किसी तरह बन भी गया तो यह चीनी प्रोजेक्ट का मुकाबला नहीं कर पाएगा.

एक और लेख में ग्लोबल टाइम्स ने तो यह तक कह दिया था कि IMEC भारत के लिए फायदे का सौदा नहीं है बल्कि भारत को भी बीआरआई से जुड़ जाना चाहिए ताकि उसका आर्थिक विकास और तेजी से हो.
IMEC को लेकर चीनी रवैये को देखते हुए यह साफ है कि IMEC प्रोजेक्ट पर किसी भी प्रगति से उसे मिर्ची लगेगी.

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