प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे के लिए पड़ोसी देश नेपाल में हैं. शुक्रवार सुबह यहां उन्होंने जनकपुर के जानकी मंदिर में पूजा की. PM ने यहां जनसभा को संबोधित किया, PM मोदी ने यहां 'जय सिया राम' कहकर अपने भाषण की शुरुआत की. यहां प्रधानमंत्री का स्वागत यहां 121 किलो की फूलमाला पहनाकर किया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं अगस्त 2014 में पहली बार नेपाल आया था, तब मैंने कहा था कि जल्द ही मैं जनकपुर आऊंगा. लेकिन मैं तुरंत तो आ नहीं सका, देरी से आने के लिए माफी मांगता हूं. यहां आने की मेरी पुरानी इच्छा थी. उन्होंने कहा कि यहां मंदिर में दर्शन कर मेरा जीवन सफल हुआ. उन्होंने कहा कि सौभाग्य है कि एकादशी के दिन मैया सीता ने मुझे यहां बुलाया है.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत-नेपाल के बीच त्रेता युग से दोस्ती है, राजा जनक और दशरथ ने दोनों को मित्र बनाया. महाभारत में विराटनगर, रामायण में जनकपुर, बुद्ध काल में लुम्बिनी का ये संबंध युगों-युगों से चलता आ रहा है. नेपाल और भारत आस्था की भाषा से बंधे हुए हैं.
PM ने कहा कि हमारी माता, आस्था, प्रकृति, संस्कृति सब एक हैं. उन्होंने कहा कि मां जानकी के बिना अयोध्या भी अधूरी है. मित्रता का बंधन मुझे यहां खींच कर ले आया है. नेपाल के बिना भारत का इतिहास-विश्वास अधूरा है. नेपाल के बिना हमारे धाम भी अधूरे हैं और हमारे राम भी अधूरे हैं.
5T का दिया मंत्र
उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल के विकास के लिए '5T' का बड़ा रोल है. जिसमें Transport, Technology, Tradition, Trade, Tourism है. परंपरा, पर्यटन, परिवहन, प्रोद्योगिकी, व्यापार के रास्ते दोनों देश आगे ले जाना चाहते हैं. भारत नेपाल को अपना समुद्री रास्ता देगा, जिससे नेपाल को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि जल्द ही रेलवे लाइन का काम भी पूरा हो जाएगा.
प्रधानमंत्री ने जनसभा में कहा कि आज यहां कर मुझे अपनापन महसूस हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस धरती पर भगवान बुद्ध और माता सीता का जन्म हुआ था. उन्होंने कहा कि यहां की मिथिला Paintings को ही लीजिए. इस परंपरा को आगे बढ़ाने में अत्यधिक योगदान महिलाओं का ही रहा है और मिथिला की यही कला, आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. इस कला में भी हमें प्रकृति की, पर्यावरण की चेतना देखने को मिलती है.
PM मोदी ने कहा कि राजा जनक और जनकल्याण के इस संदेश को लेकर ही हम आगे बढ़ रहे हैं. आपके नेपाल और भारत के संबंध राजनीति, कूटनीति, समरनीति से परे देव-नीति से बंधे हैं, व्यक्ति और सरकारें आती-जाती रहेंगी, पर ये संबंध अजर, अमर हैं. ये समय हमें मिलकर शांति, शिक्षा, सुरक्षा, समृद्धि और संस्कारों की पंचवटी की रक्षा करने का है. हमारा ये मानना है कि नेपाल के विकास में ही क्षेत्रीय विकास का सूत्र है.
सुनाई रामचरित मानस की चौपाई
प्रधानमंत्री ने इस दौरान भारत और नेपाल की दोस्ती को रामचरितमानस की चौपाइयों के जरिए समझाया. PM ने जनसभा में इन चौपाइयों को सुनाया...
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी।
तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥
निज दुख गिरि सम रज करि जाना।
मित्रक दुख रज मेरु समाना॥
PM मोदी ने कहा कि भारत दशकों से नेपाल का एक स्थाई विकास साझेदार है, नेपाल हमारी 'Neighbourhood First' policy में सबसे पहले आता है. विकास की पहली शर्त होती है लोकतंत्र, मुझे खुशी है कि लोकतांत्रिक प्रणाली को आप मजबूती दे रहे हैं. हाल में ही आपके यहां चुनाव हुए, आपने एक नई सरकार चुनी है. अपनी आशांओं आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आपने जनादेश दिया है.
प्रधानमंत्री बोले कि एक वर्ष के भीतर तीन स्तर पर चुनाव सफलतापूर्वक कराने के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं. नेपाल के इतिहास में पहली बार नेपाल के सभी सात प्रांतों में प्रांतीय सरकारें बनी हैं. ये न केवल नेपाल के लिए गर्व का विषय है बल्कि भारत और इस संपूर्ण क्षेत्र के लिए भी एक गर्व का विषय है.
PM Narendra Modi felicitated during a civic reception in #Nepal's Janakpur pic.twitter.com/KHjOFIuiDP
— ANI (@ANI) May 11, 2018
Immense enthusiasm in Nepal's Janakpur, where PM @narendramodi is going to address a civic reception shortly. pic.twitter.com/s325FrHZoz
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
आज सुबह ही पहुंचे नेपाल
आपको बता दें कि PM मोदी सुबह 10.30 बजे नेपाल के जनकपुर पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. इसके बाद प्रधानमंत्री सीधे जानकी मंदिर रवाना हुए, यहां PM विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर रहे हैं.
बतौर प्रधानमंत्री ये नरेंद्र मोदी का तीसरा नेपाल दौरा है. PM मोदी सुबह करीब 8 बजे ही दिल्ली से नेपाल के लिए रवाना हुए थे. प्रधानमंत्री ने जनकपुर-अयोध्या बस सर्विस को हरी झंडी दिखाई. इसे रामायण सर्किट के विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है.