पाकिस्तान में बढ़ते राजनीतिक संकट के बीच वहां की सेना ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के मामले में कहा कि सेना का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. पाकिस्तान के सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने मीडिया से कहा, "इस मामले (मौजूदा स्थिति में सेना की भूमिका पर) में बेवजह की अटकलों से बचना ही हम सभी के लिए बेहतर है."
इमरान सरकार के साथ है सेना : फवाद चौधरी
सेना के बयान से पहले सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने दावा किया था कि पाकिस्तान की सेना विपक्ष का समर्थन नहीं कर रही बल्कि इमरान खान सरकार के साथ खड़ी है. चौधरी से पूछा गया था कि क्या खान को हटाने का दबाव बना रहे विपक्षी दलों को सेना का समर्थन हासिल है. उन्होंने कहा, 'हमारी संवैधानिक व्यवस्था में सेना सरकार के साथ खड़ी रहती है...सेना को संविधान का पालन करना होता है और यह संविधान का पालन करती रहेगी.' उनका यह बयान खान को पद से हटाने के लिए नेशनल असेंबली में विपक्षी दलों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के कुछ दिन बाद आया है.
'सेना पर नियंत्रण की कोशिश करते रहे हैं विपक्ष'
चौधरी ने बताया कि इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की राजनीतिक समिति की बैठक में विपक्षी नेताओं द्वारा कथित पाकिस्तानी सेना के खिलाफ अभियान के मुद्दे पर भी चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं के पिछले रिकॉर्ड से पता चलता है कि वे व्यवस्था में सुधार के बजाय सेना पर राजनीतिक नियंत्रण की कोशिश कर रहे थे.
'अविश्वास प्रस्ताव राजनीति ड्रामा है'
फवाद चौधरी ने कहा, "हम अपने संस्थानों के लिए सुधारों के बारे में भी सोचते हैं. सभी संस्थानों के अधिकार क्षेत्र को संविधान में परिभाषित किया गया है और हम उस ओर बढ़ना चाहते हैं ताकि देश में ऐसी शिकायतें या सवाल फिर कभी न उठें." उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव को एक राजनीतिक नाटक करार दिया और कहा कि सरकार 23 मार्च से पहले इस पर पर्दा डालना चाहती है, जब पाकिस्तान मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों की मेजबानी करने वाला था.
'नैशनल असेंबली बताएगी मतदान की तारीख'
सूचना मंत्री से जब मीडिया ने मतदान की तारीख पूछी तो उन्होंने तारीख का ऐलान करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि नैशनल असेंबली के अध्यक्ष इस बारे में फैसला करेंगे. चौधरी ने यह भी कहा कि विपक्ष का कदम विफल हो जाएगा और खान मजबूत होकर उभरेंगे.