
सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया को पोप फ्रांसिस ने धार्मिक अतिवाद के खिलाफ नसीहत दी है. ईसाई धर्म के कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस ने इंडोनेशिया के नेताओं से कहा कि वो लोगों को धार्मिक अतिवाद से बचाएं. उन्होंने कहा कि धार्मिक अतिवाद ने धोखे और हिंसा के माध्यम से लोगों की मान्यताओं को बदला है.
पोप फ्रांसिस 9 दिनों के दक्षिण पूर्व एशिया दौरे पर हैं जहां ईसाई समुदाय अल्पसंख्यक है. पोप पहली बार दक्षिण पूर्व एशिया में इतने लंबे समय के लिए पहुंचे हैं. अपने दौरे में उन्होंने स्थानीय कैथोलिक ईसाइयों से कहा कि वो अपना धर्म दूसरों पर न थोपें.
इंडोनेशियाई नेताओं के समक्ष एक भाषण में पोप ने कहा कि कैथोलिक चर्च अलग-अलग धर्मों के बीच बातचीत बढ़ाने में अपना सहयोग बढ़ाएगा ताकि धार्मिक अतिवाद को रोकने में मदद मिले.
जकार्ता के राष्ट्रपति भवन में दिए अपने भाषण में 87 साल के पोप ने कहा, 'इस तरह हम पूर्वाग्रहों को खत्म कर सकते हैं, आपसी सम्मान और विश्वास का माहौल बढ़ सकता है. धार्मिक अतिवाद और असहिष्णुता जैसी आम चुनौतियों का सामना करने के लिए यह जरूरी है. ये चुनौतियां धर्म को बदलवाकर धोखे और हिंसा का इस्तेमाल कर अपने विचारों को थोपने की कोशिश करती हैं.'
इंडोनेशिया में कितने मुसलमान?
इंडोनेशिया की आबादी 28 करोड़ है जिसमें से 87% लोग मुस्लिम समुदाय से हैं. मुस्लिमों की बहुलता के बावजूद इंडोनेशिया इस्लामिक देश नहीं है बल्कि इसके संविधान में सभी धर्मों के पालन की आजादी की बात कही गई है.
इंडोनेशिया में दो दशक पहले इस्लामी हिंसा के बड़े मामले देखने को मिलते थे. 2002 में बाली में बमबारी हुई थी जिसमें 88 ऑस्ट्रेलियाई समेत 202 लोग मारे गए थे. हालांकि, उसके बाद से धार्मिक चरमपंथ में बहुत हद तक गिरावट आई है. 2021 और 2022 में इंडोनेशिया में इस्लामिक स्टेट से जुड़े संगठन ने आत्मघाती बम विस्फोट किया था.
पोप से इंडोनेशिया के राष्ट्रपति क्या बोले?
पोप से मुलाकात के दौरान इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने इजरायल-गाजा युद्ध में युद्धविराम के आह्वान के लिए फ्रांसिस को धन्यवाद दिया.
पोप फ्रांसिस के लिए अपने स्वागत भाषण में विडोडो ने कहा, 'इंडोनेशिया वेटिकन के रुख की सराहना करता है जिसने शांति के लिए आवाज उठाना जारी रखा है.'
पोप घुटने और पीठ के दर्द से पीड़ित हैं जिस कारण वो राष्ट्रपति भवन में व्हीलचेयर पर पहुंचे. अपने भाषण में पोप ने किसी खास हिंसक घटना का जिक्र नहीं किया लेकिन अतिवाद, असहिष्णुता और धर्मांतरण पर बात की.
उन्होंने कहा, 'कई बार ऐसा होता है जब भगवान में आस्था को...दुर्भाग्य से शांति, एकता, बातचीत, सम्मान, सहयोग और भाईचारे को आगे बढ़ाने के बजाय विभाजन और नफरत को बढ़ावा देने में बदल दिया जाता है.'
पोप और जोको विडोडो के बीच बातचीत के बारे में बताते हुए इंडोनेशियाई विदेश मंत्री रेटनो मार्सुडी ने कहा कि दोनों ने मुलाकात के दौरान गाजा युद्ध के बारे में विशेष रूप से बात नहीं की थी. उन्होंने दुनिया में चल रहे संघर्षों और शांति की जरूरत पर चर्चा की.
'अपने धर्म को दूसरों पर थोपना...'
राष्ट्रपति भवन में भाषण देने के बाद पोप फ्रांस जकार्ता के चर्च के स्थानीय कैथोलिकों से मिले. इस दौरान उन्होंने कहा कि चर्च की शिक्षाओं का पालन करने का मतलब कतई ये नहीं है कि अपने धर्म को दूसरों पर थोपा जाए या इसे दूसरों का विरोधी बना दिया जाए.
पोप गुरुवार को दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद जकार्ता के इस्तिकलाल मस्जिद में एक अंतर-धार्मिक बैठक में शामिल होंगे.
पोप शुक्रवार को इंडोनेशिया से रवाना होंगे और इसके बाद पापुआ न्यू गिनी, फिर पूर्वी तिमोर और सिंगापुर जाएंगे. वो 13 सितंबर को रोम लौटेंगे.