नेपाल का सियासी संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा खबरों के अनुसार नेपाल की सत्तारुढ़ पार्टी यानी कम्युनिस्ट पार्टी (प्रचंड समूह) ने केपी ओली को संसदीय दल के नेता पद से हटाकर पुष्प कमल दहल 'प्रचंड ' को नया संसदीय दल का नेता चुन लिया है. नेपाल की राजनीति में ये एक बहुत बड़ा घटनाक्रम है. इस घटना के बाद सत्तारुढ़ पार्टी में प्रचंड का कद सबसे ऊपर हो गया है.
केपी ओली जो फिलहाल तक नेपाल के प्रधानमंत्री थे उन्होंने पिछले दिनों देश की संसद को भंग करने की सिफारिश नेपाल के राष्ट्रपति से की थी. जिसके बाद राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी. इसके बाद से ही नेपाल में राजनीतिक संकट आया हुआ है. अब आगे नेपाल में अप्रैल-मई में फिर से चुनाव होने का संभावनाएं जताई जा रही हैं. हालांकि प्रचंड की कोशिश है कि पिछली संसद को ही दोबारा से बहाल किया जाए. केपी शर्मा ओली के इस फैसले का विरोध न केवल पार्टी के अंदर हो रहा है बल्कि पूरे देश में हो रहा है.
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बीते मंगलवार के दिन कम्युनिस्ट पार्टी (प्रचंड समर्थक) ने केपी ओली को पार्टी अध्यक्ष के पद से भी हटा दिया था. साथ ही पार्टी ने उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्णय भी लिया था. 66 साल के प्रचंड को कम्युनिस्ट पार्टी के संसदीय दल का नेता बनाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता माधव कुमार ने प्रस्तावित किया.
आपको बता दें कि नेपाल की सत्तारुढ़ पार्टी के अंदर ही अंदर प्रधानमंत्री केपी ओली को प्रचंड की तरफ से चुनौती मिल रही थी. पार्टी के वरिष्ठ नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड और उनके समर्थक प्रधानमंत्री केपी ओली पर तानाशाही ढंग से सरकार चलाने का आरोप लगाते हुए उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे थे. प्रचंड, अपनी ही पार्टी के प्रधानमंत्री ओली के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने की भी तैयारी कर रहे थे. लेकिन केपी ओली ने अचानक ही राष्ट्रपति से सिफारिश करके संसद भंग करा दी.
ओली ने राष्ट्र के नाम संबोधन में अपने फैसले के लिए सफाई देते हुए कहा कि उन्हें अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना का पता चल गया था जिसके बाद वो संसद भंग करने के लिए मजबूर हो गए. ओली ने कहा, हमारी चुनी हुई सरकार को किनारे किया जा रहा था और हमें सुचारू रूप से काम नहीं करने दिया जा रहा था इसीलिए मैंने संसद को भंग कर दिया. ओली ने ये भी आरोप लगाया कि राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग लगाने की भी साजिश रची जा रही थी. इसलिए संसद भंग करने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा था.