साउथ कोरिया की नेशनल असेंबली ने शनिवार को राष्ट्रपति यून सुक योल पर महाभियोग चलाने के लिए मतदान किया, जिससे देश में मार्शल लॉ लागू करने के उनके विवादास्पद प्रयास को लेकर राजनीतिक संकट के बीच उन्हें पद से निलंबित कर दिया गया. मतदान के बाद विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता पार्क चान-डे ने कहा, "आज का महाभियोग लोगों की महान जीत है."
दरअसल, साउथ कोरिया में मार्शल लॉ लगाने और फिर फैसले से यूटर्न के बाद राष्ट्रपति को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. राष्ट्रपति यून सुक योल के चीफ ऑफ स्टाफ सहित कैबिनेट के कई शीर्ष सहयोगियों ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद संसद में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग लाया गया. प्रस्ताव पास होने के बाद यून को राष्ट्रपति पद से हटा दिया गया.
204 सांसदों के समर्थन में पारित महाभियोग प्रस्ताव उस समय पारित हुआ जब सियोल में संसद भवन के बाहर हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी एकत्र हुए और यून को हटाने की मांग को लेकर बैनर लहराए और नारे लगाए.
प्रधानमंत्री निभाएंगे कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका
यून (63) को पद से निलंबित किए जाने के बाद प्रधानमंत्री हान डक-सू कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका संभालेंगे. अब, साउथ कोरिया का संवैधानिक न्यायालय यून की सजा पर विचार-विमर्श करेगा और 180 दिनों के भीतर फैसला सुनाएगा. यदि कोर्ट उनके निष्कासन का समर्थन करता है, तो यून साउथ कोरियाई इतिहास में सफलतापूर्वक महाभियोग चलाने वाले दूसरे राष्ट्रपति बन जाएंगे. इसके साथ ही उनके निष्कासन के 60 दिनों के भीतर राष्ट्रपति चुनाव होना अनिवार्य है.
यून के महाभियोग की खबर सामने आने के बाद नेशनल असेंबली के सामने प्रदर्शनकारियों का समूह जश्न मनाने लगा, उनके चेहरे पर खुशी थी. के-पॉप गाने बजाते हुए वे नाचने और गाने लगे. कई लोगों की आंखूं में खुशी के आंसू नजर आए, जबकि अन्य ने राहत व्यक्त की.
52 वर्षीय प्रदर्शनकारी चोई जंग-हा ने एएफपी को बताया, "क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि हम लोगों ने मिलकर इसे अंजाम दिया है?"
तीन दिसंबर को क्या हुआ था?
साउथ कोरिया की राजनीति में तीन दिसंबर को नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला था. राष्ट्रपति ने चानक ही देश में इमरजेंसी मार्शल लॉ लगाने की घोषणा कर दी थी लेकिन इसके छह घंटे बाद ही उन्होंने इस फैसले को वापस ले लिया था.
राष्ट्रपति यून सुक योल ने मंगलवार देर रात 11 बजे देश को संबोधित कर देश में इमरजेंसी मार्शल लॉ लगाए जाने की घोषणा की थी. उन्होंने इसके पीछे वजह विपक्ष को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि वह सरकार को पंगु बनाने की कोशिश कर रहा है.
राष्ट्रपति योल ने कहा था कि विपक्षी देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त है और उत्तर कोरिया के एजेंडे पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि साउथ कोरिया को उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों के खतरों से बचाने और देशविरोधी तत्वों को खत्म करने के लिए मैं इमरजेंसी मार्शल लॉ की घोषणा करता हूं. उन्होंने देश की स्वतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए इसे आवश्यक बताया.
राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ प्रभावी ढंग से लागू करवाने के लिए सेना जनरल पार्क अन सू को मार्शल लॉ कमांडर नियुक्त किया था, जिसने सभी राजनीतिक गतिविधियों, रैलियों और प्रदर्शनों पर रोक लगा दी थी.
संसद में इमरजेंसी मार्शल लॉ के खिलाफ हुई थी वोटिंग
देश में इमरजेंसी मार्शल लॉ लगाए जाने के बाद नेशनल असेंबली में इस पर वोटिंग के लिए सांसद एकजुट हुए थे. इस दौरान असेंबली में वोटिंग कराई गई, जिसमें 300 में से 190 सासंदों ने मॉर्शल लॉ के विरोध में वोट किया था.
दरअसल देश की संसद में विपक्ष को बहुमत हासिल है, जिस वजह से राष्ट्रपति हमेशा विपक्ष पर सरकार को पंगु बनाने का दावा करते रहे हैं. नेशनल असेंबली में मार्शल लॉ के विरोध में वोटिंग होने के बाद राष्ट्रपति योल ने इस फैसले को तुरंत प्रभाव से वापस ले लिया. संविधान के तहत राष्ट्रपति को संसद के फैसले का पालन करना ही होता है.