भारत और अफ्रीकी देश जिबूती ने मिलकर आतंकवाद के खतरे को समाप्त करने का निर्णय किया. साथ ही जिबूती ने ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’क्षेत्र में शांति और स्थायित्व बनाए रखने में भारत की भूमिका की सराहना की.
जिबूती की यात्रा पर आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति उमर ग्वेलेह से मुलाकात की और अनेक मुद्दों पर बातचीत की. भारत और जिबूती ने नियमित विदेश कार्यालय स्तर की बातचीत के लिए यहां एक समझौते पर दस्तखत किए.
यहां जारी एक साझा बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने जिबूती की महत्वपूर्ण भूमिका और उसके रणनीतिक महत्व के साथ ही ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’क्षेत्र में शांति और स्थायित्व बनाए रखने में भारत की भूमिका को स्वीकार किया.
आतंकवाद वैश्विक शांति के लिए खतरा
दोनों ही नेताओं ने दोनों देशों को आपसी हितों वाले क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सहयोग की जरूरत को रेखांकित किया. दोनों ने स्वीकार किया कि आतंकवाद मानवजाति और वैश्विक शांति तथा स्थायित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है. उन्होंने आतंकवाद के खतरे को समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ हाथ मिलाने की इच्छा जताई, ताकि विश्व में शांति बनी रहे.
संयुक्त राष्ट्र में शीघ्र सुधार की मांग
दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में शीघ्र सुधार की मांग की जिसमें सुरक्षा परिषद का विस्तार भी शामिल है. दोनों देश वर्तमान चुनौतियों मसलन जलवायु परिवर्तन से निपटने तथा अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और सतत् विकास को बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में तथा अन्य बहुपक्षीय फोरम में आपसी सहयोग गहरा करने के लिए निकटता के काम करने पर भी सहमत हुए. जिबूती सरकार ने आर्थिक क्षेत्र में संबंध प्रगाढ़ करने की क्षमता को रेखांकित किया. देश के आर्थिक विकास में भारत से बड़ी भूमिका निभाने की मांग की.
आईएसए की शुरुआत
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की जिबूती की सदस्यता के जल्द अनुमोदन की भी अपील की. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद ने 2015 में पेरिस में हुए सीओपी21 सम्मेलन में संयुक्त रूप से आईएसए की शुरुआत की थी.
आईएसए का उद्देश्य
आईएसए का उद्देश्य सौर ऊर्जा संपन्न देशों के बीच सहयोग के लिए विशेष मंच प्रदान करना. सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है.
कोविंद ने किया ग्वेलेह का शुक्रिया
कोविंद ने 2015 में संघर्ष प्रभावित यमन से भारतीयों को बचाने के लिए चलाये गए ऑपरेशन राहत के दौरान जिबूती की मदद के लिए ग्वेलेह का शुक्रिया अदा किया. साथ ही समुद्री तथा अक्षय ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग पर भी चर्चा की. इससे पहले कोविंद का यहां राष्ट्रपति भवन में परंपरागत तरीके से स्वागत किया गया, जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत हुई.
बता दें कि जिबूती और इथोपिया की चार दिन की यात्रा के पहले चरण में यहां पहुंचे कोविंद पद संभालने के बाद से पहली विदेश यात्रा पर हैं. वह जिबूती की यात्रा करने वाले पहले भारतीय नेता हैं.