अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने शुरू हो गए हैं. भारत के मुकाबले ये चुनाव बहुत अलग होते हैं. आइए आपको बताते हैं कि आखिरकार उम्मीदवार तय कैसे होते हैं और अमेरिका में राष्ट्रपति कैसे चुने जाते हैं.
दस्तावेज दायर करने से होती है शुरुआत
अगर कोई 35 साल का है और अमेरिका का 'नेचुरल सिटीजन' है, या अमेरिका में कम से कम 14 साल से रह रहा है, तो वह राष्ट्रपति पद की दावेदारी पेश कर सकता है. इसके बाद कोई भी अमेरिकी जो राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल होना चाहता है उसको अपने दस्तावेज फेडरल इलेक्शन कमीशन के पास जमा करवाने होते हैं. ऐसा चुनाव तारीख से एक साल पहले तक ही किया जा सकता है.
प्राइमरी चुनाव होते हैं अहम
'प्राइमरी' इलेक्शन अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की पहली सीढ़ी है. विभिन्न राज्यों में प्राइमरी चुनाव के जरिए पार्टियां अपने प्रबल दावेदार का पता लगाती हैं. इस प्रक्रिया के बारे में कोई लिखित निर्देश अमेरिकी संविधान में मौजूद नहीं है. ऐसे में ये प्रक्रिया दो तरीकों से होती है.
-कॉकस: इस प्रक्रिया का इस्तेमाल उन राज्यों में होता है जहां पर पार्टी का गढ़ होता है. कॉकस में ज्यादातर पार्टी के पारंपरिक वोटर ही हिस्सा लेते हैं. इस बार लोवा राज्य में कॉकस तरीका अपनाया जाएगा.
- दोनों चुनावों में सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि कॉकस में पार्टी के सदस्य जमा होते हैं. सार्वजनिक स्थल पर उम्मीदवार के नाम पर चर्चा की जाती है, इसके बाद वहां मौजूद लोग हाथ उठाकर उम्मीदवार चुनते हैं. वहीं प्राइमरी में बैलट के जरिए वोटिंग होती है.
नेशनल कन्वेंशन
जो प्रतिनिधि प्राइमरी में चुने जाते हैं वे चुनाव के दूसरे चरण यानी कन्वेंशन में शामिल होते हैं. कन्वेंशन में ये प्रतिनिधि पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं. इसी दौर में नामांकन की प्रक्रिया होती है. इस साल रिपब्लिकन पार्टी का कन्वेंशन 18 से 21 जुलाई और डेमोक्रेटिक पार्टी का 25 जुलाई को आयोजित किया जाएगा. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ही उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को चुनते हैं.
चुनाव प्रचार के जरिए जुटाया जाता है समर्थन
तीसरे चरण में चुनाव प्रचार होता है. इसमें अलग-अलग पार्टी के उम्मीदवार मतदाताओं का समर्थन जुटाने की कोशिश करते हैं. इसी दौरान उम्मीदवारों के बीच टेलीविजन पर कई मुद्दों को लेकर बहस होती है. आखिरी हफ्ते में उम्मीदवार अपनी पूरी ताकत लगा कर ‘स्विंग स्टेट्स’ को लुभाने में झोंक देते हैं. 'स्विंग स्टेट्स' वह राज्य होते हैं जहां का मतदाता किसी के भी पक्ष में मतदान कर सकता है.
इलेक्टोरल कॉलेज करता है मतदान
राज्यों के मतदाता इलेक्टर का चुनाव करते हैं. ये इलेक्टर राष्ट्रपति पद के किसी न किसी उम्मीदवार का समर्थक होता है. ये इलेक्टर एक इलेक्टोरल कॉलेज बनाते हैं. इसमें कुल 538 सदस्य होते हैं. इलेक्टर चुनने के बाद ही आम जनता की चुनाव में भागीदारी खत्म हो जाती है. आखिर में इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य मतदान के जरिए राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 270 इलेक्टोरल मत जरूरी होते हैं.
इन शर्तों पर खरा उतरना है जरूरी
- अमेरिका में जन्म होना जरूरी है और अमेरिकी नागरिक ही हो
- 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो
- 14 सालों से लगातार अमेरिका में ही रह रहा हो
- दो बार से ज्यादा कोई राष्ट्रपति नहीं बन सकता