संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों ने पुलवामा आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए फिदायीन हमले को सदस्य देशों ने घृणित और कायराना हरकत बताई. 14 फरवरी को हुए इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए और कई जवान जख्मी हो गए. पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ली है. भारत के प्रस्ताव पर UNSC के P5 देशों (स्थाई सदस्यों) और 10 अस्थाई सदस्यों ने इस हमले की निंदा की, इनमें चीन भी शामिल है.
सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने जवानों के पीड़ित परिवारों, घायल लोगों और भारत सरकार के प्रति गहरी सहानुभूति और सांत्वना जाहिर की है. हमले में जख्मी जवानों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की गई है. सुरक्षा परिषद के देशों ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद किसी रूप में हो, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता क्योंकि यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है.
सुरक्षा परिषद के देशों ने इन जरूरतों पर बल दिया कि आतंकवाद के साजिशकर्ताओं, आयोजकों और फंड देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. जो लोग और संगठन ऐसे कारनामों के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें इंसाफ के कठघरे में खड़ा करने की जरूरत बताई गई. इन देशों ने अपील की है कि अंतरराष्ट्रीय नियम-कानून और सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों के तहत एक दूसरे की मदद करते हुए आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
Pakistan comes under international pressure to act against terrorists & terror groups operating from areas under its control & to take action against those responsible for Pulwama attack. UNSC strongly condemns cowardly suicide bombing in #Pulwama by JeM. #TimeToAct pic.twitter.com/WRTkGuCt20
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) February 22, 2019
सुरक्षा परिषद के देशों ने दोहराया कि कोई भी आतंकी कार्रवाई आपराधिक और अनुचित है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसके पीछे मंशा क्या थी या किसने, कब और कहां इसे अंजाम दिया गया. इन देशों ने कहा कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित कानूनों के मुताबिक कार्रवाई करनी चाहिए. अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार कानून, अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों को ध्यान में रखते हुए दुनिया के अमन-चैन के खिलाफ काम करने वाली आतंकी शक्तियों पर लगाम लगानी चाहिए.
दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के प्रवक्ता रुपर्ट कोल्विले ने जिनेवा में मंगलवार को कहा कि पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा की गई है और हमले के जिम्मेदार लोगों को इंसाफ के कठघरे में लाने की अपील की है. कोल्विले ने एक वीडियोकास्ट बीफ्रिंग में कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि दो परमाणु संपन्न पड़ोसी देशों भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव क्षेत्र की असुरक्षा को और नहीं बढ़ाएगा."
1989 में आतंकवाद शुरू होने के बाद से अब तक के सबसे भयानक हमले में पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के एक फिदायीन हमलावर ने विस्फोटकों से भरी अपनी एसयूवी को सीआरपीएफ की बस से टक्कर मार दी थी, जिसमें कम से कम 40 जवान मौके पर ही शहीद हो गए. हमले में कुछ जवान गंभीर रूप से घायल भी हैं.
इससे पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में शनिवार को सर्वदलीय बैठक हुई जिसमें पुलवामा हमले की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया. केंद्र की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया, "हम जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में हुए कायराना हमले की कड़ी निंदा करते हैं, जिसमें सीआरपीएफ के 40 (गुरुवार को आए आंकड़े) वीर जवानों की जान चली गई. हम दुख की इस घड़ी में सभी देशवासियों के साथ उनके परिवारों के साथ खड़े हैं."