व्लादिमीर पुतिन अगले 6 सालों तक रूस के राष्ट्रपति पद पर काबिज रहेंगे. रूसी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक, शुक्रवार को पुतिन ने अगले साल मार्च में होनेवाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है. सत्ता पर पुतिन के मजबूत पकड़ को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन की जीत होगी और वो एक बार फिर से रूस के राष्ट्रपति बनेंगे.
रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी तास और आरआईए नोवोस्ती के अनुसार, पुतिन ने क्रेमलिन पुरस्कार समारोह के दौरान 17 मार्च के राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने की घोषणा की है.
रूस के राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि यूक्रेन से चल रहे युद्ध के बीच पुतिन का राष्ट्रपति पद पर बने रहना बेहद जरूरी है.
विरोधियों को कुचलने में माहिर पुतिन
पुतिन 1999 से रूस की सत्ता में बने हुए हैं बावजूद इसके, पुतिन को भारी समर्थन हासिल है. यूक्रेन से युद्ध में रूस को भारी वित्तीय हानि हो रही है और इसमें उसके हजारों सैनिक मारे गए हैं, लेकिन इसका पुतिन की ताकत पर कोई खास असर नहीं पड़ा है.
इसी साल जून में भाड़े के सैनिकों के ग्रुप वागनर ग्रुप के नेता येवगेनी प्रिगोजिन ने पुतिन के खिलाफ विद्रोह कर दिया था जिससे अटकलें लगाई जाने लगीं कि पुतिन रूस में अपनी पकड़ खो रहे हैं. लेकिन विद्रोह के तुरंत बाद ही प्रिगोजिन अपने सैनिकों के साथ रूस से वापस लौट गए थे और वो बेलारूस चले गए थे. इसके दो महीने बाद ही 23 अगस्त में प्रिगोजिन की विमान दुर्घटना में रहस्यमयी मौत हो गई थी.
प्रिगोजिन का विद्रोह और फिर उनका उल्टे पांव रूस से चले जाना, दिखाता है कि पुतिन की ताकत अब भी कितनी ज्यादा है. रूस में पुतिन की स्वीकार्यता रेटिंग 80 फीसद है जो दिखाती है कि पुतिन अपने नागरिकों के बीच कितने लोकप्रिय हैं. हालांकि, पुतिन पर अपने विरोधियों को सख्ती से खत्म करने के आरोप लगते रहे हैं.
1999 से सत्ता में पुतिन
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 1999 से रूस की सत्ता में बने हुए हैं. तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने पुतिन को रूस का प्रधानमंत्री बनाया था. उसी साल 31 दिसंबर को येल्तसिन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद पुतिन कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाए गए थे. 26 मार्च 2000 को पुतिन ने अपना पहला राष्ट्रपति चुनाव जीता और मार्च 2004 के राष्ट्रपति चुनाव में भी उनकी जीत हुई. उस वक्त के रूसी संविधान के मुताबिक, राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 साल का था और कोई भी व्यक्ति दो से ज्यादा कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ सकता था.
इसलिए 2008 में जब पुतिन का कार्यकाल खत्म हुआ तब उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. पुतिन के बाद उनके करीबी दिमित्री मेदवेदेव ने पद संभाला और कानून में संशोधन कर कार्यकाल को 6 सालों का कर दिया. संशोधन के तहत पुतिन को फिर से राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की अनुमति मिल गई और वो 2012 में फिर से राष्ट्रपति चुने गए. 2018 में एक बार फिर राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उन्होंने संविधान में संशोधन कर राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की ताकत पा ली.
जुलाई 2020 के एक संविधान संशोधन से उन्हें 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने की ताकत मिल गई है. इसलिए अब पुतिन चाहें तो 2024 के बाद 2030 का चुनाव भी लड़ सकते हैं. पुतिन के उम्र की बात करें तो, वो 71 साल के हो चुके हैं.