रूस में अगले साल मार्च में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में खबर है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. अगर वह चुनाव जीतते हैं तो 2030 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे. वह 1999 से सत्ता में बने हुए हैं.
क्रेमलिन का कहना है कि ऐसे समय में जब यूक्रेन और रूस का युद्ध जारी है. पुतिन का राष्ट्रपति पद पर बने रहना जरूरी है. पुतिन पहली बार 1999 में रूस के राष्ट्रपति बने थे. उन्होंने बोरिस येल्तिसन के बाद यह पद संभाला था. पुतिन दरअसल जोसेफ स्टालिन के बाद किसी अन्य रूसी शासक की तुलना में लंबे समय तक देश के राष्ट्रपति पद पर रहे हैं. इससे पहले लियोनिड ब्रेजनेव 18 सालों तक रूस के राष्ट्रपति रहे थे लेकिन पुतिन ने उन्हें भी पीछे छोड़ दिया.
पुतिन बीते महीने सात अक्टूबर को ही 71 साल के हुए थे. रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पुतिन के एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के बाद के फैसले के बाद से उनके सलाहकार चुनावी की तैयारियों में लगे हुए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के भीतर पुतिन की स्वीकार्यता रेटिंग 80 फीसदी है. हालांकि, पुतिन का चुनाव लड़ना भी एक औपचारिकता होगा और उनका चुनाव जीतना तय है. सूत्रों ने बताया कि पुतिन ने चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है और इसका ऐलान जल्द ही किया जाएगा.
7 अक्टूबर 1952 को सोवियत संघ के लेनिनग्राड में व्लादिमीर व्लादिमीरोविच पुतिन और मारिया इवानोवना के घर व्लादिमीर पुतिन का जन्म हुआ. वो अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे. उनके दो बड़े भाइयों की बचपन में ही बीमारी से मौत हो गई थी. यही पुतिन आगे जाकर खुफिया एजेंसी केजीबी के जासूस बने और फिर रूस के राष्ट्रपति.
एक जासूस कैसे बना इतना ताकतवर?
- पुतिन के दादा स्पिरिडोन पुतिन सोवियत नेता व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के पर्सनल कुक थे. पुतिन के पिता सोवियत नेवी में तो उनकी मां फैक्ट्री में काम किया करती थीं.
- सितंबर 1960 से पुतिन ने अपने घर के पास के ही एक स्कूल से पढ़ाई शुरू की. उन्होंने सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की.
- 1975 में पुतिन ने सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी KGB को जॉइन किया. 1980 के दशक में उन्हें जर्मनी के ड्रेसडेन में एजेंट के तौर पर तैनात किया गया. ये विदेश में उनकी पहली तैनाती थी.
- करीब 16 सालों तक जासूस का काम करने के बाद पुतिन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में आ गए.
- 1991 के आखिर में सोवियत संघ टूट गया. 25 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोफ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और रूस के नए राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन (Boris Yeltsin) को सत्ता सौंप दी.
- उसी रात रूस के राष्ट्रपति भवन, जिसे क्रेमलिन कहा जाता है, वहां से सोवियत संघ का झंडा उतार दिया गया और रूसी झंडा फहराया गया. अगले ही दिन औपचारिक रूप से सोवियत संघ को खत्म कर दिया गया.
- व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के करीबी बन गए और राजनीति में अपनी जगह बनाते चले गए. 1999 में येल्तसिन ने पुतिन को प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त किया.
- 31 दिसंबर 1999 को येल्तसिन ने राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया. उनके बाद पुतिन कार्यवाहक राष्ट्रपति बने. 26 मार्च 2000 को पुतिन ने अपना पहला राष्ट्रपति चुनाव जीता. मार्च 2004 में पुतिन दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए. उन्हें 70 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे.
- 1993 का रूसी संविधान कहता है कि कोई भी व्यक्ति लगातार दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति बना नहीं रह सकता है. लिहाजा 2008 में पुतिन को पद छोड़ना पड़ा.
- पुतिन ने दिमित्री मेदवेदेव को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और खुद प्रधानमंत्री बन गए. मेदवेदेव की सरकार में संविधान में संशोधन किए गए और तय किया कि राष्ट्रपति का कार्यकाल अब 4 साल की बजाय 6 साल का होगा.
- चूंकि पुतिन प्रधानमंत्री रह चुके थे, इसलिए वो 2012 में तीसरी बार रूस के राष्ट्रपति चुने गए. मार्च 2018 में पुतिन चौथी बार राष्ट्रपति बने. 2018 के चुनाव में पुतिन को 75 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे.
- जुलाई 2020 में पुतिन एक संविधान संशोधन लेकर आए. इससे उन्हें 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने की ताकत मिल गई. पुराने कानून की जगह नए कानून ने ले ली, इसलिए पुतिन 2024 में फिर से दो बार राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकते हैं. 2024 के बाद 2030 में राष्ट्रपति चुनाव होंगे. इस तरह पुतिन चाहें तो 2036 तक राष्ट्रपति बने रह सकते हैं.