युद्ध प्रभावित यमन के दक्षिणी क्षेत्र में अलकायदा आतंकवादियों की ओर से शनिवार को सैनिकों के काफिले पर घात लगाकर किये गए हमले में कम से कम 20 यमनी सैनिक मारे गए.
सैनिकों के वाहन को निशाना बनाकर हमला
सेना के एक सूत्र ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘अलकायदा के एक सशस्त्र समूह ने अबयान प्रांत में तीन असैन्य वाहनों में सफर कर रहे युवा सैनिकों के एक समूह पर घात लगाकर हमला किया. इस हमले में कम से कम 20 सैनिक मारे गए.’ सूत्र ने बताया कि जेहादियों ने अहवर नगर में सुबह सैनिकों को वाहन से बाहर निकलने के लिए कहा और उन्हें गोली मार दी.
हौती विद्रोहियों-सरकारी बलों में संघर्ष
सऊदी अरब ने मार्च 2015 में यमन पर हवाई हमला शुरु किया था. उसके बाद से अब तक लगभग नौ हजार लोग मारे गए और हजारों अन्य घायल हुए है. यमन में सरकारी बलों और हौती विद्रोहियों के बीच जारी संघर्ष में लाखों की संख्या में लोग विस्थापित हो चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था यूनिसेफ के अनुसार यमन में जारी हिंसा के कारण प्रतिदिन छह बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं. यूनिसेफ ने अपनी नई रिपोर्ट ‘चाइल्डहूड ऑन द ब्रिंक’ में कहा है कि इस क्षेत्र में तीन लाख 20 हजार बच्चे गंभीर रुप से कुपोषण के शिकार है जबकि 82 प्रतिशत आबादी को मानवीय सहायता की जरुरत है.
युद्ध के कारण मानवीय संकट
संस्था का कहना है कि 2014 की तुलना में पिछले एक दो साल में यमन में जारी हिंसा के कारण प्रतिदिन छह बच्चों की मौत हो रही है या फिर वे इस हिंसा में घायल हो रहे हैं. यमन में यूनिसेफ के प्रतिनिधि जुलियन हरर्निस ने कहा, यमन में बच्चों के भविष्य सुधारने के लिए एक ऊंची कीमत चुका रहे हैं. वे पूरे यमन में कहीं भी सुरक्षित नहीं है. इस हिंसा में वे या तो मारे जा रहे है या फिर अंपग बनाए जा रहे हैं.
बच्चों पर सबसे ज्यादा असर
यहां तक कि उनका खेलना और सोना भी खतरनाक हो गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यमन में जारी हिंसा और अन्य हमलों में तीन हजार नागरिकों में से एक-तिहाई बच्चे मारे जा चुके है. यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यमन में दवाओं की बहुत कमी है. संस्था ने बताया कि यमन के 90 प्रतिशत बच्चों को प्राथमिक उपचार की आवश्यकता है.
दवाइयों, खाना-पानी की दिक्कत
विश्व समुदाय ने सऊदी अरब के हमलों के मुकाबले में यमन के लगभग दस मिलियन बच्चों को बेसहारा छोड़ दिया है. हमले के कारण अस्पतालों में दवाएं तक नहीं है और लोगों के पास आरंभिक उपचार के लिए भी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. वहीं दूसरी ओर पूरे यमन में कम से कम एक करोड़ लोगों के पास पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं है. इस कारण उन्हें कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है.