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कतर में फांसी से बचे 8 पूर्व नेवी अफसरों का अब क्या होगा? जानें कैसे हो सकती है वतन वापसी

भारत और कतर के बीच दो दिसंबर 2014 को एक संधि हुई थी. इस संधि के तहत भारत और कतर दोनों देश एक-दूसरे की जेलों में बंद नागरिकों को अपनी बाकी बची सजा काटने के लिए उनके देश भेज सकेंगे.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

कतर से गुरुवार को राहत भरी खबर आई. खाड़ी मुल्क में गिरफ्तार भारत के आठ पूर्व नेवी अफसरों को मौत की सजा पर रोक लगा दी गई. अब ऐसे में सवाल है कि इस फैसले के बाद इन आठ अफसरों का क्या होगा? 

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कहा जा रहा है कि भारत अब इन आठ पूर्व नेवी अफसरों की वतन वापसी की मांग कर सकता है. इसके लिए 2014 में भारत और कतर के बीच हुई कैदियों की अदला-बदली संधि (Treaty on transfer of Sentenced Persons between India and Qatar) का हवाला दिया जा सकता है. इस संधि के तहत कतर की जेल में बंद भारतीय कैदियों को भारत में जबकि भारत की जेल में बंद कतर के कैदियों को उनके वतन भेजने का प्रावधान है. 

हालांकि, साल 2004 से पहले ऐसा कोई कानून नहीं था, जिससे विदेशी कैदियों को उनकी सजा की बाकी अवधि के लिए उनके मुल्क भेजा जाए. 

दोनों देशों के बीच की क्या है संधि?

भारत और कतर के बीच दो दिसंबर 2014 को एक संधि हुई थी. इस संधि के तहत भारत और कतर दोनों देश एक-दूसरे की जेलों में बंद नागरिकों को अपनी बाकी बची सजा काटने के लिए उनके देश भेज सकेंगे. संभावना जताई जा रही है कि पूर्व भारतीय नौसैनिकों के मामले में भी ऐसा देखने को मिल सकता है.

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भारतीय नौसेना के ये सभी आठ पूर्व ऑफिसर पिछले साल अगस्त से ही कतर के जेल में बंद हैं. कतर ने अभी तक इन सभी पूर्व ऑफिसर्स के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जानकारी नहीं दी है. हालांकि, मामले से परिचित लोगों का कहना है कि इन सभी पर जासूसी करने का आरोप लगाया गया है.

भारत की किन देशों के साथ है ये संधि?

भारत सरकार की अब तक कई मुल्कों के साथ इस तरह का संधि समझौता कर चुकी हैं. इन देशों में ब्रिटेन, मॉरीशस, बुल्गारिया, ब्राजील, कंबोडिया, मिस्र, फ्रांस, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब ईरान, कुवैत, श्रीलंका, यूएई, मालदीव, थाईलैंड, तुर्की, इटली, बोस्निया और हर्जेगोविना, इजरायल, रूस, वियतनाम और ऑस्ट्रेलिया है. इसके साथ ही कनाडा, हॉन्गकॉन्ग, नाइजीरिया और स्पेन के साथ इस संधइ को लेकर बातचीत पूरी हो गई है.

क्या है पूरा मामला?

पिछले साल 25 अक्टूबर को मीतू भार्गव नाम की महिला ने ट्वीट कर बताया था कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसर 57 दिन से कतर की राजधानी दोहा में गैरकानूनी तरीके से हिरासत में हैं. मीतू भार्गव कमांडर पूर्णेंदु तिवारी की बहन हैं. इन अफसरों पर कथित तौर पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप है. कतर की न्यूज वेबसाइट अल-जजीरा के रिपोर्ट के मुताबिक, इन अफसरों पर कतर के सबमरीन प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारियां इजरायल को देने का आरोप है.

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नौसेना से रिटायर्ड ये सभी अफसर दोहा स्थित अल-दहरा कंपनी में काम करते थे. ये कंपनी टेक्नोलॉजी और कंसल्टेसी सर्विस प्रोवाइड करती थी. साथ ही कतर की नौसेना को ट्रेनिंग और सामान भी मुहैया कराती थी.

इस कंपनी को ओमान की वायुसेना से रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमीस अल आजमी चलाते थे. पिछले साल उन्हें भी इन भारतीयों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था. हालांकि, नवंबर में उन्हें रिहा कर दिया गया था.

कौन हैं ये भारतीय?

नेवी के इन आठ पूर्व अफसरों के नाम कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदू तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और राजेश हैं. इन सभी पूर्व अफसरों ने भारतीय नौसेना में 20 साल तक सेवा दी थी. नेवी में रहते हुए उनका कार्यकाल बेदाग रहा है और अहम पदों पर रहे हैं. 

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