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ये गांव था एलिजाबेथ का फेवरेट, जानें लोगों की जुबानी क्वीन की कहानी

ब्रिटेन की साम्राज्ञी क्वीन एलिजाबेथ-II का दो दिन पहले 96 साल की आयु में निधन हो गया. उन्होंने बाल्मोरल कैसल में अंतिम सांस ली. ये कैसल जिस गांव में है, उस गांव के लोगों के लिए क्वीन एलिजाबेथ-II शाही परिवार से ज्यादा उनके करीबी पड़ोसी की तरह थीं.

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क्वीन एलिजाबेथ-II (File Photo : PTI)
क्वीन एलिजाबेथ-II (File Photo : PTI)

ब्रिटेन की साम्राज्ञी क्वीन एलिजाबेथ-II ने गुरुवार को 96 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. सबसे लंबे समय तक ब्रिटेन का सिंहासन संभालने वाली क्वीन एलिजाबेथ-II के बड़े बेटे किंग चार्ल्स-III अब ब्रिटेन के नए सम्राट भी बन चुके हैं. लेकिन ब्रिटेन का एक गांव ऐसा है जहां के लोगों के लिए क्वीन का जाना, अपने किसी बेहद नजदीकी पड़ोसी के चले जाने जैसा है. ऐसा पड़ोसी जो शाही परिवार का हिस्सा होते हुए भी उनके हर सुख-दुख का साथी रहा हो.

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जी हां, हम बात कर रहे हैं बैलेटर गांव की. स्कॉटलैंड का ये छोटा सा इलाका, क्वीन एलिजाबेथ-II का सबसे प्रिय स्थान रहा है. उन्होंने अपनी कई गर्मियों की छुट्टियां यहां बने बाल्मोरल कैसल में ही बिताईं. जब भी उन्हें अपने लिए वक्त (Me Time) चाहिए होता था, तो वो इसी बाल्मोरल कैसल में आती थीं. ब्रिटेन की साम्राज्ञी होने के बावजूद यहां के लोगों के साथ उनका रिश्ता बेहद आत्मीय था. समय के साथ यहां के लोग क्वीन एलिजाबेथ-II की एक्सटेंडेड फैमिली की तरह हो गए थे.

महारानी का ताज बाहर छोड़ देती थी क्वीन एलिजाबेथ-II

बाल्मोरल कैसल में क्वीन एलिजाबेथ-II के बिताए पलों के बारे में ग्लेनमुइक पैरिश चर्च बॉल्टर के मिनिस्टर डेविड बार ने आजतक से कहा, ' महारानी जब भी बाल्मोरल आती थीं, तब वो अपना क्राउन (ताज) बाहर ही छोड़ आती थीं. वो यहां एक पत्नी, एक मां और एक दादी मां होती थीं. यहां उन्हें जो (सुकून) मिलता था, वो और कहीं नहीं मिलता था.'

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बैलेटर के लोगों का पता होता था कि कि अगर क्वीन यहां आई हैं तो वह छुट्टी पर हैं. इसलिए यहां के लोग उनके बारे में आमतौर पर ज्यादा बातें नहीं करते थे. ऐसे में क्वीन एलिजाबेथ-II जब यहां आती थीं तो फिर बॉलेटर की सड़कों पर ड्राइव करें या यहां के लोगों से मिलें-जुलें, उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं होती थी. ये उनके लिए एक महफूज जगह दी. वहीं बॉलेटर के लोगों के लिए क्वीन एलिजाबेथ-II उनके लिए एक खास पड़ोसी की तरह थीं, जो हर सुख-दुख में उनके साथ रहीं.

पिता और बहन के साथ क्वीन एलिजाबेथ-II (File Photo : PTI)
पिता और बहन के साथ क्वीन एलिजाबेथ-II (File Photo : PTI)

जब गांव के मीट शॉप वाले से मिलीं क्वीन एलिजाबेथ-II

गांव में मीट की दुकान चलाने वाले जॉन सिंक्लेयर का कहना है कि क्वीन एलिजाबेथ-II का जाना परिवार के किसी सदस्य के जाने जैसा है. महारानी हमेशा से अपने आखिरी दिन इसी गांव में और बाल्मोरल कैसल में बिताना चाहती थीं और ऐसा हुआ भी. 

जॉन ने आजतक से कहा कि 5 साल की उम्र से वो यहां है. अपने जीवन में उसे 6 बार क्वीन एलिजाबेथ-II से मिलने का मौका मिला. 2015 में जब बाढ़ आई तो इलाके के बारे में पूछताछ करने वो उसकी मीट शॉप पर आई थीं. शाही परिवार यहां के लोगों का निजी तौर पर खास ध्यान रखते थे. 

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लोगों से खूब मिलती-जुलती थीं क्वीन एलिजाबेथ-II (File Photo : PTI)
लोगों से खूब मिलती-जुलती थीं क्वीन एलिजाबेथ-II (File Photo : PTI)

जब क्वीन एलिजाबेथ-II को गांव में मिला बचपन का दोस्त

महारानी के जीवन से जुड़ी एक घटना बताते हुए डेविड बार का कहना है कि क्वीन एलिजाबेथ-II और गांव के ही 91 साल के ह्यूगस के बीच एक बार बहुत दिलचस्प बातचीत का किस्सा याद आता है. तब महारानी 90 साल की थीं. वो गांव के लोगों से मिलने बाहर आईं थीं. जब उन्होंने ह्यूगस को देखा तो सहज ही बोल पड़ी-क्या आप रेनेट ह्यूगस हैं? याद है हम बचपन में साथ खेला करते थे. निश्चित तौर पर वो बचपन में क्वीन के साथ खेले थे, लेकिन कभी उन्हें याद दिलाने की हिम्मत नहीं की. 

ईस्ट स्कॉटलैंड के इस छोटे से गांव के कुछ हजार लोगों के लिए क्वीन एलिजाबेथ-II एक करीबी पड़ोसी की तरह थीं.

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