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फ्रांस में मुस्लिमों पर बनीं डॉक्युमेंट्री को लेकर हुआ बवाल

फ्रांस में एक स्थानीय चैनल ने मुसलमानों पर आधारित एक डॉक्युमेंट्री बनाई है जिस पर विवाद हो गया है. आरोप लगाया जा रहा है कि टीवी चैनल फ्रांस की सरकार के साथ मिलकर मुसलमानों के खिलाफ एजेंडा सेट कर रहे हैं ताकि राष्ट्रपति चुनाव में इसका फायदा लिया जा सके.

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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Photo- Reuters)
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Photo- Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अप्रैल में फ्रांस में होने वाले हैं राष्ट्रपति चुनाव
  • चुनाव से पहले गरमाया मुसलमानों का मुद्दा
  • डॉक्युमेंट्री पर हुआ विवाद

फ्रांस में अप्रैल में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. इसी बीच मुसलमानों पर आधारित एक टीवी डॉक्युमेंट्री को लेकर वहां हंगामा खड़ा हो गया है. फ्रांस की सरकार के आलोचकों का कहना है कि फ्रांसीसी पत्रकारों ने देश की खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर देश के मुसलमानों को निशाना बनाते हुए ये डॉक्युमेंट्री बनाई है.

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तुर्की के सरकारी चैनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये डॉक्युमेंट्री रविवार शाम को M6 नामक एक स्थानीय फ्रांसीसी चैनल ने अपने कार्यक्रम 'Forbidden Zone' में प्रसारित की जिसका नाम था- Faced with the danger of radical Islam, the responses of the state (कट्टरपंथी इस्लाम का खतरा और सरकार का रुख)'.

डॉक्युमेंट्री में जिन मुसलमानों ने काम किया था, उसमें एक युवा महिला लिलिया बौजियान भी शामिल थीं. बौजियान ल्यों में कानून की छात्रा हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्युमेंट्री के लिए उन्हें मैनिपुलेट किया गया था.

बौजियान ने कहा कि उन्हें लगा कि शो धर्मनिरपेक्षता के प्रति युवाओं के विचारों के बारे में होगा लेकिन डॉक्युमेंट्री में उनका गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया. उन्होने कहा कि शो में चुनिंदा कोट्स का इस्तेमाल किया गया था, जिसका उद्देश्य मुसलमानों के खिलाफ फ्रांस के प्रोपेगैंडा की पुष्टि करना था.

सोशल मीडिया पर बौजियान ने एक भावुक वीडियो शेयर किया है जिसमें वो कहती हैं, 'महिलाएं बहुत लंबे समय से चुप हैं. लेकिन आज एक मुस्लिम और फ्रांसीसी लिलिया बौजियान चुप नहीं रहेगी. मैं चीजों को ऐसे ही नहीं चलने दूंगी. Forbidden Zone के पत्रकारों ने मुझे धोखा दिया गया और मुझे मैनिपुलेट किया गया.'

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एक पूर्व फ्रांसीसी मंत्री ने डॉक्युमेंट्री के प्रसारण के बाद टीवी पर बौजियान को देखकर कहा, 'वो अपना हिजाब नहीं उतारना चाहती और एक वकील बनना चाहती है. फिर तो सीधी सी बात है... वो यहां से जाए, किसी मुस्लिम देश में रहे.'

पूर्व मंत्री के एक आलोचक ने उनकी टिप्पणी का मजाक उड़ाते हुए कहा, 'एक पेशेवर वकील हिजाब पहनती है तो इससे उसके काम पर क्या असर पड़ेगा, समझ नहीं आता.'

एक मानवाधिकार कार्यकर्ता ने बताया कि डॉक्युमेंट्री के प्रसारण के बाद फ्रांसीसी सरकार ने उन दुकानों को बंद करने का फैसला किया जो इस्लामी पोशाक, बिना आंखों वाली गुड़िया और धार्मिक किताबें बेचते हैं.

फ्रांस में एक वामपंथी नेता ने भी डॉक्युमेंट्री की आलोचना की है. उन्होंने आरोप लगाया कि देश के दक्षिणपंथी गृह मंत्री गेराल्ड डारमैनिन अप्रैल में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों को देखते हुए मुसलमानों के खिलाफ ये सब कर रहे हैं.

नेता ने कहा, 'राष्ट्रपति चुनाव से तीन महीने पहले इस तरह की रिपोर्ट, एक गटर रिपोर्ट है, अपमानजनक और झूठी है. हम पहले से ही जानते हैं कि इस तरह की रिपोर्ट्स से किसका फायदा होने वाला है- गृह मंत्री का.'

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