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अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर क्या कह रहा है पाकिस्तानी मीडिया?

अयोध्या नगरी के राम मंदिर में आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है जिसे लेकर देशभर में उत्सव का माहौल है. भारत के लेकर विदेशों की मीडिया में भी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की खबरें चल रही है. इसे लेकर पाकिस्तान और कतर जैसे देशों की मीडिया ने भी रिपोर्टें प्रकाशित की है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं (Photo- PTI/Reuters)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं (Photo- PTI/Reuters)

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में सोमवार के दिन यानी आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है. प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में संपन्न हुआ. 

अयोध्या में हो रहे राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की गूंज पूरे देश में है और लोग इसे दीवाली की तरह मना रहे हैं. भारत के साथ-साथ अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की चर्चा विदेशों में भी खूब हो रही हैं. पाकिस्तान के अखबारों ने इसे लेकर लिखा है कि 'बाबरी मस्जिद को गिराकर बनाए गए राम मंदिर में आज पीएम रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करने जा रहे हैं.

पाकिस्तान के प्रमुख अखबार, 'द डॉन' ने एक ऑपिनियन लेख प्रकाशित किया है जिसमें लेखक परवेज हुदभोय ने लिखा है कि जहां पहले पांच शताब्दी पुरानी बाबरी मस्जिद हुआ करती थी, अब वहां राम मंदिर बन रहा है. राम मंदिर के चारों तरफ वेटिकन सिटी जैसा शहर बनने को तैयार है.

'भारत के मुसलमानों को यह नहीं भूलना चाहिए कि...'

लेख में आगे लिखा गया है, 'हिंदुत्व का संदेश दो वर्गों को टारगेट करता है. पहला है- भारत के मुसलमान, जिस तरह पाकिस्तान अपनी हिंदू आबादी को कम अधिकारों वाले दोयम दर्जे के नागरिकों के रूप में देखता है, उसी तरह भारत में मुसलमानों को भी यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि वे उन आक्रमणकारियों की अनचाही संतान हैं जिन्होंने एक प्राचीन भूमि को बर्बाद कर दिया और उसकी महिमा को लूट लिया.'

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लेख में कहा गया है कि 'नए भारत में अब धार्मिक साम्प्रदायिकता घृणा की तरह नहीं मानी जाती है.'

'जैसे को तैसा...'

पाकिस्तानी अखबार ने आगे लिखा है कि मार्च 2023 में 'जय श्री राम' के नारे लगाती भीड़ ने एक सदी पुराने मदरसे और प्राचीन लाइब्रेरी को जला दिया था. 12वीं सदी में मुस्लिम आक्रमणकारी, बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को आग के हवाले कर दिया था जिसमें वहां की विशाल लाइब्रेरी जलकर खाक हो गई. अखबार ने लिखा कि हिंदुत्ववादियों का मदरसे और लाइब्रेरी को जलाना 'जैसे को तैसा' वाली बात थी.

लेख में हिंदुत्व के दूसरे टार्गेट का जिक्र करते हुए लिखा गया, 'दूसरा संदेश भाजपा के विपक्ष, कांग्रेस के लिए है कि वो धर्मनिरपेक्षता को छोड़ धार्मिक पिच पर आए और भाजपा के साथ खेले. अगर वो ऐसा नहीं करती है तो उसे हिंदू विरोधी के रूप में देखा जाएगा.'

'राम मंदिर के वादे ने भाजपा को सत्ता में आने और...'

पाकिस्तान के अखबार पाकिस्तान टुडे  ने लिखा है कि सोमवार को उस जगह पर एक विशाल मंदिर का उद्घाटन किया गया जिसे लाखों भारतीय राम का जन्मस्थान मानते हैं. मंदिर का निर्माण पिछले 35 सालों से हो रहा है. मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने मंदिर निर्माण का वादा किया था और यह उनके लिए हमेशा से एक राजनीतिक मुद्दा रहा है जिसने पार्टी को सत्ता में आने और यहां बने रहने में मदद की है.

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अखबार ने लिखा, 'हिंदू समूह अयोध्या में उद्घाटन समारोह को सदियों से 'मुस्लिम और औपनिवेशिक शक्तियों के अधीन रहने के बाद हिंदू जागृति के रूप में चित्रित कर रहा है. समारोह को मई में होने वाले आम चुनावों के लिए पीएम मोदी के चुनावी अभियान की आभासी शुरुआत के रूप में भी देखा जा रहा है.'

अखबार ने लिखा कि दशकों तक मंदिर स्थल विवाद का केंद्र रहा क्योंकि हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष ही इस पर अपना दावा करते रहे. साल 1992 में हिंदुओं की भीड़ ने 16वीं सदी में बनी बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया था. भारत के बहुसंख्यक हिंदुओं का कहना है कि यह स्थान भगवान राम का जन्मस्थान है, और 1528 में मुस्लिम मुगलों ने एक मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया था. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जमीन हिंदुओं को सौंप दी और मुसलमानों को अलग प्लॉट देने का आदेश दिया था.

राम मंदिर की विशालता का जिक्र करते हुए पाकिस्तानी अखबार ने लिखा, 'मंदिर 2.67 एकड़ में बनाया जा रहा है जिसका परिसर 70 एकड़ में फैला है. माना जा रहा है कि दिसंबर 2025 में मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा. अनुमान है कि मंदिर बनाने में 15 अरब रुपये खर्च होंगे.'

इस्लामिक देश कतर के टीवी नेटवर्क अलजजीरा ने क्या कहा?

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कतर स्थित टीवी नेटवर्क अलजजीरा ने एक ऑपिनियन लेख छापा है जिसमें लिखा है कि 'भारत की धर्मनिरपेक्षता भगवा राजनीति के पहाड़ तले दब गई है.'

भारत की राजनीतिक टिप्पणीकार इंसिया वाहन्वति के लिखे लेख में कहा गया है कि धर्मनिरपेक्ष भारत के किसी प्रधानमंत्री का मंदिर का उद्घाटन करना अनुचित है.

लेख में कहा गया, 'बाबरी मंदिर का विध्वंस आज भी मुसलमानों के लिए दुखदायी है. विध्वंस के बाद हुए दंगों में जो लोग मारे गए, हममें से कई लोगों को आज भी वो याद हैं. राजनीतिक वादे किए गए कि मस्जिद फिर से बनाया जाएगा लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं.'

नेपाली अखबार ने क्या कहा?

नेपाल के प्रमुख अखबार 'द काठमांडू पोस्ट' ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि मंदिर के उद्घाटन में भगवान राम से भी अधिक जो व्यक्ति लाइमलाइट बटोर रहा है, वो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जो भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के प्रधानमंत्री हैं.

अखबार ने आरोप लगाया है कि भारत धर्मनिरपेक्षता के अपने सिद्धांत से बहुत दूर हो चुका है और अयोध्या में भारत की धर्मनिरपेक्षता मिट्टी में मिल गई है.

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