इस्लाम की पवित्र किताब कुरान जलाने के लिए दुनियाभर में कुख्यात रासमस पालुदन ने इराकी मिलिशिया सलवान मोमिका की याद में कुरान की प्रति जलाई है. कुरान के अपमान के आरोप में मुसलमानों का गुस्सा झेल रहे मोमिका की 30 जनवरी को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसे लेकर पालुदन ने कुरान की प्रति जलाकर इस्लाम की आलोचना करने के साथ-साथ सलवान मोमिका को श्रद्धांजलि भी दी है.
पालुदन ने 1 फरवरी को डेनमार्क में तुर्की दूतावास के सामने कुरान की प्रति जलाई. पालुदन ने कुरान ऐसे वक्त में जलाया है जब सलवान मोमिका की हत्या के बाद उनकी जान को खतरा काफी बढ़ गया है.
कुरान जलाते समय पालुदन ने कहा, 'मैं कोपेनहेगन में तुर्की के दूतावास में कुछ कुरान लेकर खड़ा हूं, आप देख सकते हैं कि एक कुरान पहले से ही जला रखी है. यह सलवान मोमिका के बलिदान और इस्लाम की उनकी आलोचना की याद में है. कल कोपेनहेगन पुलिस ने मेरे विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया. लेकिन मुझे पुलिस को बताना था कि मैं विरोध प्रदर्शन कर रहा हूं. मुझे इस किताब को जलाने में बड़ा मजा आया.'
सलवान मोमिका इराक का एक ईसाई मिलिशिया नेता था जिसने स्वीडन में शरण ली थी. वो इस्लाम का कट्टर आलोचक था और उसने कई बार कुरान जलाया और कथित तौर पर उसका अपमान किया था. इस वजह से मोमिका को जान से मारने की धमकियां लगातार मिलती थीं.
मोमिका की हत्या के बाद पालुदन की जान को खतरा
मोमिका की तरह ही पालुदन को भी जान से मारने की धमकियां मिलती रहती है. डेनमार्क में उन्हें नस्लवाद और मानहानि के लिए कई बार दोषी ठहराया गया है. स्वीडन और बेल्जियम सहित कई देशों ने अपने क्षेत्र में पालुदन के प्रवेश पर रोक लगा दी है ताकि हिंसा न भड़क जाए.
उन्होंने अमेरिकी संगठन RAIR फाउंडेशन से कहा, 'मुसलमान और इस्लाम कभी भी हमारे देशों में सद्भाव से नहीं रह पाएंगे. इसलिए, या तो वे वहीं लौट जाएं जहां से वे आए थे, या फिर हमें कष्ट सहना होगा और धर्म परिवर्तन करना होगा. यही एकमात्र विकल्प है. और वे हमें शब्दों से नहीं बदलेंगे. वे हमें हिंसा से बदलेंगे.'
पालुदन कोपेनहेगन में तीन मस्जिदों के बाहर प्रदर्शन कर इस्लाम के खिलाफ सलवान मोमिका की लड़ाई को याद करना चाहते थे, लेकिन डेनमार्क की सुरक्षा सेवा (पीईटी) ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि वे उनकी सुरक्षा नहीं कर पाएंगे.
रासमस पालुदन कौन है?
रासमस पालुदन एक डेनिश-स्वीडिश दक्षिणपंथी नेता, वकील और एक्टिविस्ट हैं जो अपने विवादास्पद इस्लाम विरोधी विचारों के लिए जाने जाते हैं. 38 साल के पालुदन ने अपनी राजनीतिक पार्टी, स्ट्रैम कुर्स (हार्ड लाइन) के जरिए लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा था. साल 2017 में उन्होंने पार्टी की स्थापना की थी.
वह एक दक्षिणपंथी नेता हैं और प्रवासियों, खासकर मुसलमानों के निर्वासन की वकालत करते हैं. उनका कहना है कि मुसलमान डेनमार्क और पश्चिमी मूल्यों के लिए खतरा है.
इस्लाम और कुरान के खिलाफ पालुदन की बयानबाजी से काफी आक्रोश पैदा हुआ है जिसे लेकर उन पर कई मामले दर्ज हैं और कई देशों में उनकी एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. पालुदन इस्लाम विरोधी अपने प्रदर्शनों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए कुरान की प्रतियां जलाते हैं या फिर उसका अपमान करते हैं.
पालुदन के प्रदर्शन केवल डेनमार्क तक ही सीमित नहीं है बल्कि उन्होंने स्वीडन में भी इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश की है. 2022 में उन्होंने घोषणा की थी कि वो स्वीडन में रमजान के दौरान कुरान जलाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
पालुदन के बयानों को मीडिया में काफी जगह मिली और स्वीडन के माल्मो, नॉरकोपिंग और लिंकोपिंग जैसे शहरों में हिंसक दंगे हुए. स्वीडिश सरकार ने उनकी निंदा की लेकिन देश के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने वाले कानूनों के कारण, पालुदन स्वीडन में कुछ हद तक अपना प्रदर्शन करने में कामयाब रहे. इसके बाद स्वीडन, बेल्जियम सहित कई देशों ने देश में उनकी एंट्री पर रोक लगा दी.
कई सरकारों और मानवाधिकार संगठनों ने भी पालुदन की आलोचना की है. डेनमार्क में पालुदन को नस्लवाद, मानहानि, लापरवाही से गाड़ी चलाने सहित कई अन्य आरोपों के लिए कई बार दोषी ठहराया जा चुका है.
2020 में, उन्हें कई अपराधों के लिए तीन महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी, जिसमें अफ्रीकी मूल के डेनिश सांसद के खिलाफ नस्लवादी भाषण देना भी शामिल था.
आपराधिक रिकॉर्ड के कारण पालुदन को अस्थायी रूप से वकालत करने से भी रोक दिया गया है. 2019 के डेनिश संसदीय चुनावों में, उनकी पार्टी को 1.8% वोट मिले, जो संसद में प्रवेश के लिए जरूरी 2% सीमा से कम था. तब से, मुख्यधारा की राजनीति में उनका प्रभाव सीमित रहा है, हालांकि उनके स्टंट मीडिया का ध्यान खींचते रहते हैं.