टाटा समूह के निवर्तमान प्रमुख रतन टाटा ने कहा है कि सरकार की ओर से सहयोग की कमी के चलते भारतीय उद्योग चीन से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहा है. उन्होंने ‘रिश्वत से प्रभावित’ कारोबारी माहौल पर भी चिंता जताई.
रतन टाटा ने कहा कि टाटा समूह के नैतिक मूल्यों ने कारोबार में कीमत चुकाई है. रतन टाटा इसी महीने समूह के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
टाटा ने एक इंटरव्यू में कहा कि उनके समूह ने विस्तार के लिए अन्य उभरते बाजारों में संभावनाएं तलाशने की इसलिए योजना बनाई क्योंकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नौकरशाही को लेकर शिकायतों को दूर करने में विफल रहे जिससे समूह को विदेश में संभावनाएं तलाशने को विवश होना पड़ा.
मनमोहन सिंह की सरकार इस समय कई आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ा रही है जिसमें बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र, बीमा और विमानन क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलना शामिल है.
उन्होंने लंदन स्थित अखबार को बताया कि सरकार में अलग अलग एजेंसियां कानून का अर्थ निकालने में लगभग विरोधाभासी रही हैं. ये ऐसी चीजें हैं जो कमोबेश निवेशकों को दूसरे देशों में ले जाती हैं.
टाटा ने कहा कि सरकार के सहयोग में भारी अंतर है. अगर हमारे उद्योग को उसी तरह का प्रोत्साहन दिया जाता जैसा कि चीन में दिया जाता है तो मुझे लगता है कि भारत निश्चित तौर पर चीन से प्रतिस्पर्धा कर सकता.
टाटा के इन.हाउस प्रकाशन में एक अलग इंटरव्यू में टाटा ने कहा कि उनके उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री को समूह के नैतिक मूल्यों के साथ समझौता नहीं करने के एक बड़े संघर्ष से जूझना पड़ेगा.