मिस्र में राजनीतिक उठापटक ने एक और नाटकीय मोड़ ले लिया है. तख्तापलट के बाद अब प्रधानमंत्री पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई है. उदारवादी नेता मोहम्मद अलबरदेई को बतौर पीएम चुने जाने को लेकर देश के नए नेतृत्व में घमासान शुरू हो गया है. वहीं सत्ता से बेदखल कर दिए गए मोहम्मद मोर्सी के पक्ष और विपक्ष में एक साथ हो रही रैलियों से हिंसा भड़कने का डर है.
अंतरिम राष्ट्रपति अदली मंसूर की अगुआई वाला गठबंधन अंतरिम प्रधानमंत्री के पद के लिए अलबरदेई के चयन पर पसोपेश में है और मुर्सी के समर्थन और विरोध में जारी रैलियों की वजह से तनाव बहुत बढ़ गया है. देश को इस खूनी संकट से उबारने के लिए अलबरदेई को अंतरिम प्रधानमंत्री बनए जाने की बात हो रही है.
सरकारी टीवी चैनल पर राष्ट्रपति के सलाहकार अहमद अल-मुस्लीमानी ने बताया कि अलबरदेई ने दो घंटे के लिए अंतरिम राष्ट्रपति अदली मंसूर से मुलाकात की थी और चर्चा और विचार विमर्श जारी है. उन्होंने कहा, 'हम आशा करते हैं कि कल (आज) प्रधानमंत्री और मंत्रियों के नामों का ऐलान हो जाएगा. जिन नामों पर विचार किया जा रहा है उसमें अलबरदेई ही 'जायज विकल्प' हैं.'
मोर्सी के समर्थक और विरोधी दोनों ही पक्षों ने एक समय पर रैली कर तनाव बढ़ा दिया है. समर्थकों की मांग है कि मुर्सी को दोबारा राष्ट्रपति बनाया जाए जबकि विरोधी उन्हें हटाए जाने का समर्थन कर रहे हैं.
कौन हैं अलबरदेई और क्या हैं उनके विचार
71 वर्षीय अलबरदेई संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संस्था (आईएईए) के प्रमुख रहे हैं. उन्हें आईएईए के साथ संयुक्त रूप से 2005 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था. अगर वह प्रधानमंत्री चुने जाते हैं तो माना जा रहा है कि देश में धर्मनिरपेक्षता की स्थापना की दिशा में यह अहम कदम हो सकता है. हालांकि सलाफीवादी नूर पार्टी ने उनका विरोध करते हुए साफ कर दिया है कि वह उनके साथ काम नहीं करेगी.
अलबरदेई की नियुक्ति की खबर से मोर्सी समर्थकों में काफी गुस्सा है. लेकिन तहरीर चौक और इत्तिहादिया राष्ट्रपति भवन के पास लोगों ने इस खबर का स्वागत किया है.
इस बीच अलबरदेई ने मुस्लिम ब्रदरहुड को मिस्र के राजनीतिक भविष्य में शामिल करने की बात कही है. उन्होंने एक जर्मन अखबार से कहा, 'मैं लोकतांत्रिकरण की प्रक्रिया में ब्रदरहुड को शामिल करने की बात कह रहा हूं.'उन्होंने कहा, 'किसी को भी पुष्ट कारण के बिना अदालत नहीं ले जाना चाहिए. पूर्व राष्ट्रपति मोर्सी के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए.'
तख्तापलट के खिलाफ ईरान
ईरान ने पहली बार मिस्र के मामले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया देते हुए तख्तापलट को असंगत बताया है. देश की सरकारी संवाद समिति ‘आईआरएनए’ ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास अरागची के हवाले से लिखा है कि मोर्सी समर्थकों को उन्हें फिर से सत्ता में लाने की कोशिश नहीं छोड़नी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि शासन ‘सड़कों’ से नहीं चलना चाहिए. उन्होंने कहा, 'इस्लामी और क्रांतिकारी हताश न हों.'
इस पूरे मामले में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी दी है कि मिस्र में मुर्सी समर्थकों और विरोधियों का गतिरोध गृह युद्ध में बदल सकता है.