scorecardresearch
 

अमेरिकी संसद में अफगानिस्तान के हिंदुओं-सिखों को शरण देने का प्रस्ताव

प्रस्ताव अमेरिकी आव्रजन और राष्ट्रीय अधिनियम के तहत शरणार्थी कार्यक्रम के तहत अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों को अमेरिका में शरण दिए जाने का समर्थन करता है.

Advertisement
X
सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)

Advertisement

  • हिंदुओं और सिखों के लिए अमेरिकी संसद ने पेश किया प्रस्ताव
  • प्रस्ताव करता है हिंदुओं, सिखों को शरणार्थी संरक्षण का समर्थन

अमेरिकी संसद ने एक प्रस्ताव पेश किया है. जिसमें अफगानिस्तान के सिखों और हिंदुओं को अमेरिका में शरण देने की बात कही गई है. अफगानिस्तान में सिखों और हिंदुओं को 'संकटग्रस्त अल्पसंख्यक' बताते हुए अमेरिकी संसद ने यह प्रस्ताव पेश किया गया है. प्रस्ताव के तहत अफगानिस्तान में सताए गए धार्मिक समुदायों को अमेरिका में फिर से बसाने की मांग की है.

पीटीआई के मुताबिक सांसद जैकी स्पीयर और अन्य सात सह प्रायोजक सदस्यों ने अमेरिकी संसद के निचले सदन में पेश प्रस्ताव पर कहा कि प्रस्ताव अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों को शरणार्थी संरक्षण का समर्थन करता है. यह संस्थागत धार्मिक उत्पीड़न, भेदभाव और अस्तित्व के खतरे को दर्शाता है.

यह भी पढ़ें: अमेरिका चुनाव: डेमोक्रेट्स का औपचारिक ऐलान, बिडेन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार

Advertisement

प्रस्ताव में कहा गया है कि अफगानिस्तान में सिख और हिंदू अल्पसंख्यक, संकटग्रस्त अल्पसंख्यक हैं. प्रस्ताव अमेरिकी आव्रजन और राष्ट्रीय अधिनियम के तहत शरणार्थी कार्यक्रम के तहत अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों को अमेरिका में शरण दिए जाने का समर्थन करता है.

सुरक्षा की चिंता

साथ ही अफगानिस्तान में सिखों और हिंदुओं की सुरक्षा के लिए चिंता व्यक्त करते हुए प्रस्ताव सभी आतंकी हमलों, धार्मिक उत्पीड़न और युद्ध-ग्रस्त देश में इन समुदायों के सदस्यों के साथ भेदभाव की निंदा करता है. प्रस्ताव में काबुल में गुरुद्वारे और इनके धार्मिक स्थलों पर अन्य आतंकी हमलों का जिक्र भी किया गया है.

यह भी पढ़ें: डोनाल्ड ट्रंप ने ओबामा-बिडेन प्रशासन को बताया सबसे भ्रष्ट, कहा- जासूसी करते पकड़े गए थे

प्रस्ताव के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर राज्य और अमेरिकी आयोग ने अफगानिस्तान में सिखों और हिंदुओं के खिलाफ प्रणालीगत भेदभाव का दस्तावेजीकरण किया है. जिसमें धार्मिक प्रथाओं पर प्रतिबंध, संपत्ति की अवैध जब्ती, उत्पीड़न के कारण अपने बच्चों को सार्वजनिक स्थानों पर भेजने में असमर्थता, धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ न्यायिक पूर्वाग्रह और धार्मिक अल्पसंख्यकों के राजनीतिक अधिकारों पर संवैधानिक सीमाएं शामिल है. ,

प्रस्ताव में कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वित्तीय वर्ष 2020 के लिए केवल 18,000 शरणार्थियों के लिए पुनर्वास का प्रस्ताव रखा है. जबकि ओबामा के वक्त वित्त वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 110,000 था.

Advertisement
Advertisement