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अमेरिका में अमीर और मिडिल क्लास कर रहे अपने खर्च में कटौती, क्या ये ट्रंप का असर है?

शेयर बाजार में आई भारी गिरावट सिर्फ आर्थिक बेचैनी का आईना नहीं है, यह इसका कारण भी हो सकती है. निवेशकों ने शुरू में ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी का स्वागत किया, लेकिन उनके प्रशासन की आक्रामक और अप्रत्याशित टैरिफ पॉलिसी को लेकर चिंता बढ़ने के कारण अब उत्साह कम हो गया है.

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शेयर बाजार में गिरावट से बढ़ी चिंता
शेयर बाजार में गिरावट से बढ़ी चिंता

अमेरिकी अर्थव्यवस्था, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पद संभालने के वक्त फुल स्पीड से चल रही थी, उनके कार्यकाल के कुछ ही सप्ताह बाद तनाव के संकेत दिखा रही है. उपभोक्ताओं का विश्वास डगमगा गया है, शेयर बाजार में उथल-पुथल मची हुई है और छंटनी बढ़ रही है. मिडिल क्लास अमेरिकी और अमीर निवेशक अब दबाव महसूस कर रहे हैं.

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बाजार में अस्थिरता और ट्रंप की ओर से शुरू किए गए ट्रेड वॉर से परेशान होकर खरीदार अपने खर्च में कटौती कर रहे हैं, जिससे विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की मजबूती को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. ट्रंप ने मंदी की संभावना से इनकार करने से इनकार कर दिया है, जबकि हाल ही में शेयर बाजार में हुए नुकसान ने उच्च आय वाले अमेरिकियों की संपत्ति को धीरे-धीरे खत्म कर दिया है, जो कि अमेरिका के उपभोक्ता खर्च को चलाते हैं.

बाजार में उथल-पुथल

हाल के सप्ताहों में शेयर बाजार में आई भारी गिरावट सिर्फ आर्थिक बेचैनी का आईना नहीं है, यह इसका कारण भी हो सकती है. निवेशकों ने शुरू में ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी का स्वागत किया, लेकिन उनके प्रशासन की आक्रामक और अप्रत्याशित टैरिफ पॉलिसी को लेकर चिंता बढ़ने के कारण अब उत्साह कम हो गया. S&P 500, जो 2023 और 2024 में 53 प्रतिशत बढ़ा था, इस साल अब तक 4.1 प्रतिशत गिर चुका है.

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हार्वर्ड के अर्थशास्त्री गेब्रियल चोडोरो-रीच का अनुमान है कि 2025 में शेयरों में 20 प्रतिशत की गिरावट से आर्थिक विकास में एक प्रतिशत की कमी आ सकती है और इसका असर वॉल स्ट्रीट से कहीं आगे तक देखा जा सकता है. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने रफ़र के एक फंड मैनेजर एलेक्स चार्ट्रेस के हवाले से कहा कि अमेरिका जैसी अर्थव्यवस्था में एसेट प्राइस इकोनॉमी को लीड कर सकती है. एसेट मार्केट में गिरावट से वास्तविक अर्थव्यवस्था के कमज़ोर होने का जोखिम पैदा होता है.

कई सालों से शेयर की बढ़ती कीमतों ने उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा दिया है, खास तौर पर सबसे अमीर अमेरिकियों के बीच. सबसे ज़्यादा लाभ शीर्ष 10 प्रतिशत कमाने वालों को मिला है जो अब अमेरिका की कुल खपत का लगभग आधा हिस्सा हैं. फेडरल रिजर्व के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 तक, शीर्ष 10 प्रतिशत परिवारों के पास शेयरों में औसतन 2.1 मिलियन डॉलर थे, जो उनकी कुल संपत्ति का 32 प्रतिशत था, जो 2010 में 26 प्रतिशत था. पिछले चार वर्षों में उनके खर्च में 58 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो आंशिक रूप से शेयर बाजार के लाभ से हासिल है.

खर्च में गिरावट के संकेत

यह सिर्फ़ अल्ट्रा रिच लोगों के लिए ही नहीं है. खुदरा निवेश में वृद्धि का मतलब है कि फेडरल डेटा के अनुसार पिछले साल के अंत में अमेरिकी परिवारों की फाइनेंशियल एसेट का रिकॉर्ड 43 प्रतिशत शेयरों में था. इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था विशेष रूप से परिसंपत्ति की कीमतों में गिरावट के प्रति संवेदनशील हो जाती है. निरंतर बाजार में गिरावट से खर्च में महत्वपूर्ण गिरावट आ सकती है, जिसे अर्थशास्त्री 'वेल्थ इफेक्ट' कहते हैं. ड्यूश बैंक का अनुमान है कि अगर पिछले साल शेयर बाजार में तेजी के बजाय स्थिरता बनी रहती, तो उपभोक्ता खर्च में वृद्धि 3 प्रतिशत के बजाय 2 प्रतिशत के करीब होती.

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ड्यूश बैंक के मुख्य अमेरिकी अर्थशास्त्री मैथ्यू लुज़ेटी ने कहा कि कई अमेरिकियों के पास अपनी रिटायरमेंट सेविंग के लिए एक बेंचमार्क होता है. अगर शेयर की गिरती कीमतें उन्हें अपने लक्ष्यों से दूर धकेलती हैं तो वे खर्च पर लगाम लगा सकते हैं. बाजारों में मंदी कॉर्पोरेट फैसले लेने की प्रक्रिया को भी बदल सकती है. बिजनेस लीडर्स अक्सर नियुक्ति और निवेश रणनीतियों की योजना बनाते समय अपनी कंपनी के शेयर प्राइस पर फोकस करते हैं. 2022 में नैस्डैक के अपने मूल्य का एक तिहाई खोने के बाद, टेक सेक्टर ने व्यापक छंटनी और खर्च में कटौती की थी.

खुदरा बिक्री पर असर

खुदरा विक्रेता, जिनमें से कई ने पिछले साल के अंत में मजबूत बिक्री की सूचना दी थी, अब मंदी की चेतावनी दे रहे हैं. कंसल्टेंसी रिटेलनेक्स्ट के अनुसार मार्च की शुरुआत में अमेरिकी स्टोर्स में आने वाले ग्राहकों की संख्या में साल-दर-साल 4.3 प्रतिशत की गिरावट आई, जो जनवरी में शुरू हुई गिरावट को जारी रखती है. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्लेसर AI की ओर से ट्रैक किए गए मोबाइल डेटा से पता चलता है कि वॉलमार्ट, टारगेट और बेस्ट बाय सहित प्रमुख खुदरा विक्रेताओं के पास कम विजिटर्स आ रहे हैं.

जनवरी में खुदरा बिक्री में 0.9 प्रतिशत की गिरावट आई, जो 2023 के बाद से सबसे बड़ी मासिक गिरावट थी. हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों ने इसके लिए असामान्य रूप से ठंडे मौसम को जिम्मेदार ठहराया. सोमवार को जारी होने वाले फरवरी के आंकड़े इस बारे में और संकेत देंगे कि क्या उपभोक्ता खर्च में कमी आने लगी है.

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