ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद नए प्रधानमंत्री के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. पीएम की रेस में अब भारतीय मूल के ऋषि सुनक, सुएला ब्रेवरमैन समेत 8 लोग रह गए हैं. मंगलवार को ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पद के लिए नामांकन दाखिल किए गए. नामांकन से कुछ देर पहले भारतीय मूल की एक और उम्मीदवार प्रीति पटेल ने अपना नाम वापस ले लिया. ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के नेता और पीएम का ऐलान 5 सितंबर को किया जाएगा.
प्रीति पटेल ने कहा कि वे प्रोत्साहन के लिए आभारी हैं लेकिन अब उनका ध्यान गृह सचिव के रूप में उनकी मौजूदा जिम्मेदारी पर ही है. प्रीति पटेल के अलावा पाकिस्तान मूल के दो उम्मीदवारों साजिद जाविद (पूर्व स्वास्थ्य मंत्री) , रहमान चिश्ती ने नामांकन प्रक्रिया खत्म होने से कुछ देर पहले अपने नाम वापस ले लिए. इन लोगों को 20 सांसदों का समर्थन नहीं था.
पीएम की रेस में ये नाम शामिल
ब्रिटेन के पीएम की रेस में अब ऋषि सुनक और सुएला ब्रेवरमैन के अलावा विदेश सचिव लिज ट्रस, नए चांसलर नादिम जहावी, व्यापार मंत्री पेनी मोर्डौंट, पूर्व कैबिनेट मंत्री केमी बैडेनोच और जेरेमी हंट और टोरी बैकबेंचर टॉम तुगेंदत शामिल हैं.
ऋषि सुनक ने औपचारिक रूप से अपना अभियान पहले ही शुरू कर दिया है. उन्हें सबसे अधिक सांसदों का समर्थन प्राप्त है. ऋषि सुनक ने अभियान की शुरुआत के मौके पर कहा कि "मैं एक सकारात्मक अभियान चला रहा हूं जो इस बात पर केंद्रित है कि मेरा नेतृत्व हमारी पार्टी और हमारे देश को क्या दे सकता है ?
उधर, सुएला ब्रेवरमैन ने कहा कि उनके पास सांसदों का समर्थन है कि वे नेतृत्व की रेस में आगे बढ़ सकें. सुएला 2015 से फारेहम से सांसद हैं. उनके माता पिता 1960 के दशक में केन्या और मॉरीशस से ब्रिटेन आए थे.
बुधवार को पहले चरण का मतदान
कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के तौर पर नामांकन के लिए कम से कम 20 सांसदों की जरूरत थी. अब बुधवार को पहले दौर के लिए मतदान होगा. इसमें सिर्फ 30 सांसदों के समर्थन वाले नेता दूसरे दौर में पहुंच पाएंगे. गुरुवार को दूसरे दौर के लिए मतदान होगा. इसके बाद उम्मीदवार और कम हो जाएंगे. कम वोट पाने वाले उम्मीदवार इस रेस से बाहर हो जाएंगे. 21 जुलाई तक मतदान के कई चरणों के बाद 2 उम्मीदवार रह जाएंगे. इसके बाद दोनों उम्मीदवार देशभर में पार्टी के कार्यकर्ताओं से समर्थन मांगेंगे. दोनों उम्मीदवारों में से जिसे ज्यादा वोट मिलेंगे, वहीं, पार्टी का नेता होगा. आखिरी दौर में कार्यकर्ता अहम भूमिका निभाएंगे. पार्टी कार्यकर्ताओं के पोस्टल वोट से ही जीत हार का फैसला होगा.