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ये हैं तीसरे विश्व युद्ध के हथियार! रूस ने उतारे न्यूक्लियर ट्रेन और रोबोट टैंक

क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है? हाल में रूस की सेना की तैयारियों पर नजर डालें तो कुछ ऐसी ही तस्वीर नजर आती है. रूस ने एक ओर जहां पोलैंड की सरहद पर 'रोबोट टैंक' तैनात किए हैं वहीं 'न्यूक्लियर ट्रेन' से मिसाइल दागकर नाटो को अपनी ताकत का अहसास करा दिया है. रूस की तरफ से प्रशांत महासागर में विवादित कुरील द्वीप पर एंटी-शिप मिसाइलें तैनात किए जाने के बाद जापान की भौहें तन गई हैं.

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न्यूक्लियर ट्रेन
न्यूक्लियर ट्रेन

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क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है? हाल में रूस की सेना की तैयारियों पर नजर डालें तो कुछ ऐसी ही तस्वीर नजर आती है. रूस ने एक ओर जहां पोलैंड की सरहद पर 'रोबोट टैंक' तैनात किए हैं वहीं 'न्यूक्लियर ट्रेन' से मिसाइल दागकर नाटो को अपनी ताकत का अहसास करा दिया है. रूस की तरफ से प्रशांत महासागर में विवादित कुरील द्वीप पर एंटी-शिप मिसाइलें तैनात किए जाने के बाद जापान की भौहें तन गई हैं. रूस ने हाइपरसोनिक न्यूक्लियर मिसाइल का भी परीक्षण किया है जो 13 मिनट के भीतर ब्रिटेन पहुंच जाएगी.

न्यूक्लियर ट्रेन
इराक और सीरिया में आईएसआईएस के खि‍लाफ निर्णायक जंग में जुटे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर ने नाटो देशों के बीच दहशत पैदा करने के इरादे से हाई स्पीड 'न्यूक्लियर ट्रेन' का सफल परीक्षण किया. रूस ने ऐसी परमाणु ट्रेन बनाई है, जिससे मिसाइल हमला भी किया जा सकता है. ट्रेन में मिसाइलें, लॉन्चर और कमांड यूनिट होगी. जब इस बारगुजेन मिसाइल सिस्टम की जरूरत होगी तो ट्रेन के कुछ खास डिब्बों की छत खुल जाएगी और मिसाइल ऊपर की ओर उठ जाएगा, जिससे चलती ट्रेन में मिसाइलें दागना संभव होगा.

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रूस इस ट्रेन के जरिये अपने दुश्मनों पर कहीं भी किसी भी वक्त हमले को अंजाम दे सकता है. इस ट्रेन की क्षमता 6 बैलेस्टिक मिसाइलें और लांचर ले जाने की है. 2 हफ्ते पहले प्लेस्टेस्क कास्मोड्रोम में हुए इस ट्रेन के परीक्षण सफल रहे है. परीक्षणों के बाद परमाणु ट्रेनों की 2018 से तैनाती मिल सकती हैं. तनाव को देखते हुए इस सिस्टम को 20-25 साल इस्तेमाल में लाया जाएगा.

रूस के पास अभी ऐसी 12 ट्रेनें हैं और हर ट्रेन में छह-छह RS-24 Yars परमाणु मिसाइलें तैनात हैं. यह ट्रेन देखने में आमतौर पर सामान्य यात्री टेनों या मालगाड़ी की तरह लगती है. हर मिसाइल में 250 किलोटन के चार-चार वॉरहेड हैं जो 6,800 मील की दूरी तक मार करने में सक्षम है. यह हाईस्पीड ट्रेन आदेश मिलते ही कुछ पल पर पूरी तरह रुक जाएगी और मिसाइलें दागनी शुरू कर देंगी. इस ट्रेन की लोकेशन का अंदाजा लगाना दुश्मनों के लिए नामुमकिन होगा. ऐसी ट्रेनें जेम्स बॉन्ड सीरीज की कुछ फिल्मों में दिखी हैं.

रोबोट टैंक
रूसी सेना ने पूरी तरह लैपटॉप से संचालित एक रोबोट टैंक को पोलैंड से सटी सीमा पर तैनात किया है जो यहां तैनात रूसी मिसाइल प्रक्षेपणों की सुरक्षा करेगा. साथ ही सेना इसकी मदद से सीमा पार से होने वाले अवैध घुसपैठ को भी रोकेगी.

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रोबोट टैंक में लगे रडार और सेंसर की मदद से सेना सीमा क्षेत्र पर छह मील दूर से भी हर गतिविधि पर नजर रखने में सक्षम होगी. इसमें चार रॉकेट लॉन्चर लगे हैं जिसे सेना अपने केंद्र से ही संचालित कर सकेगी. सेना के सिर्फ एक इशारे पर यह तुरंत दुश्मन को निशाना बनाएंगे.

 सेना की यह पहल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उस सपने की ओर एक कदम की तरह देखा जा रहा है जिसमें वह सेना को रोबोट और ड्रोन तकनीक से लैस देखना चाहते हैं. रोबोट टैंक को लैपटाप और गेम कंट्रोलर दोनों से संचालित किया जा सकेगा. दुश्मन पर वार के लिए इसमें चार आरपीजी-26 रॉकेट लांचर मौजूद हैं. सेना 9 किमी दूर से भी इस पर नजर रख सकेगी.

काफी हल्के इन टैंक को ट्रक या हवाई यातायात द्वारा कहीं भी ले जाया जा सकेगा. यह सीमा सुरक्षा और सरहद पर अवैध गतिविधियों को रोकने में सक्षम है. यह मैदानी और बर्फीले क्षेत्र में एक समान काम करने में सक्षम है. यह कैमरा और सेंसर की मदद से दिन और रात में एक समान काम करने में सक्षम है. यह एक मिनट में 800 राउंड फायरिंग करने में सक्षम है. इसमें 7.62 एमएम की कलाशीकोव मशीनगन तैनात है.

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इराकी सेना में भी रोबोट टैंक
रोबोट टैंक केवल रूस की सेना में ही नहीं हैं, इराक की सेना भी ऐसे टैंकों का इस्तेमाल कर रही है. मोसुल में आईएसआईएस से लोहा ले रही इराकी सेना ने भी हाल में ऐसे टैंक उतारे हैं जो रिमोट से कंट्रोल होते हैं. हरे रंग के इस मिलिट्री वाहन को इराकी सेना ने 'अल रोबोट' लॉन्च किया है. इस टैंक में 12.7 मिमी की तोप लगी है. जो अमेरिकी सेना की .50 कैलिबर बीएमजी के बराबर है. यह रूस में निर्मित 70 मिमी के कात्युसा रॉकेट भी दाग सकता है. हाल में यह टैंक मोसुल में इराकी सेना के जंगी बेड़े में दिखी है.

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