यूक्रेन पर रूसी हमले को सात दिन हो चुके हैं. यूक्रेन के कई शहरों में युद्ध के कारण तबाही मची है. वहीं रूस पर भी युद्ध का असर देखने को मिल रहा है. रूस की आक्रामकता को देखते हुए अमेरिका सहित लगभग सभी पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. रूसी बैंकों पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं जिस कारण उनके ग्राहकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. डॉलर के मुकाबले रूसी मुद्रा रूबल में भारी गिरावट देखने को मिल रही है.
रूस में अमीर आदमी से लेकर गरीब तक, सभी को नकदी के लिए मारामारी करनी पड़ रही है क्योंकि रूस के बैंकिंग सिस्टम पर पश्चिमी प्रतिबंधों का गहरा असर हुआ है. खाद्य कीमतों में भी भारी बढ़ोतरी हुई है जिससे रूस का आम आदमी परेशान है.
पैसों के लिए लंबी लाइनों में खड़े हैं रूसी
रूसी मुद्रा में गिरावट के कारण आम लोगों की बचत प्रभावित हुई है. इस कारण हताश नागरिक अपने पैसे निकालने के लिए एटीएम की लंबी लाइनों में दिख रहे हैं.
अमेरिका ने पश्चिमी देशों में रूसी केंद्रीय बैंकों की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है. रूस को वैश्विक बैंकिंग सिस्टम स्विफ्ट प्रणाली से भी काटने की बातें हो रही हैं. इससे रूस को हर दिन अप्रत्याशित नुकसान झेलना पड़ रहा है.
अमेरिका ने ये भी संकेत दिया कि वो रूस के डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड को पूरी तरह से रोक देगा. इससे रूस को 630 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान होगा. रूस को ये नुकसान काफी महंगा पड़ने वाला है.
रूस आ सकता है मंदी की चपेट में
ऑस्ट्रेलिया की न्यूज डॉट कॉम डॉट एयू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिबंधों ने रूस में अराजकता पैदा कर दी है और देश जल्द ही मंदी की चपेट में आ सकता है.
सिडनी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर एलिजा वू का कहना है कि रूस एक संकट जैसी स्थिति का सामना कर रहा है.
उन्होंने कहा, 'रूसी लोग डरे हुए हैं इसलिए रूस के सभी आम लोग अपने पैसे के लिए बैंकों में भाग रहे हैं. स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निवेशक रूस में निवेश से हाथ खींच रहे हैं, इसलिए हर कोई पैसा निकालने की कोशिश कर रहा है.'
रूसी मुद्रा की कीमतों में अप्रत्याशित गिरावट
वो आगे बताती है कि रूबल को विदेशी मुद्रा में बदलना अब रूस में सीमित होता जा रहा है. लोग चाहते हैं कि वो रूबल को विदेशी मुद्रा में बदलें लेकिन उन्हें कोई खरीददार नहीं मिल रहा. इस कारण लोग बेहद कम विदेशी मुद्रा के बदले भी रूबल को बेच रहे हैं जिससे रूबल के मूल्य में बहुत अधिक गिरावट आई है.
युद्ध से पहले जहां 75 रूबल की कीमत एक डॉलर थी वहीं, युद्ध शुरू होने के बाद से इसमें भारी गिरावट आई है. एक डॉलर के बदले अब लोगों को 113 रूबल देना पड़ रहा है जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है. रूबल की गिरती कीमत के कारण रूस में भोजन से लेकर ईंधन तक, हर चीज की कीमतें आसमान छू रही है.
एलिजा वू कहती हैं कि रूस में बेरोजगारी भी बढ़ने वाली है और जल्द ही सुपरमार्केट्स खाली होने वाले हैं. उन्होंने कहा, 'रूसी जितनी जल्दी हो सके सामान खरीदने और उसे जमा करने के लिए बैंकों में पड़े अपने बचत को निकाल रहे हैं. सामान की कीमतें हर दिन बढ़ती जा रही हैं जिस कारण लोग जल्द से जल्द कम पैसों में उन्हें खरीदकर स्टोर कर लेना चाहते हैं.'
रूस में बढ़ेगी बेरोजगारी
एलिजा वू कहती हैं कि रूस के लिए जंग की आर्थिक लागत बहुत बड़ी होने जा रही है जिस कारण निश्चित रूप से बेरोजगारी की समस्या बढ़ेगी. क्योंकि लोग बैंकों से पैसा निकाल लेंगे तो बैंकों को पैसों की कमी का सामना करना पड़ेगा और कई बैंक दिवालिया हो जाएंगे.'
रूबल के मुल्य में अप्रत्याशित गिरावट हो रही है. इस गिरावट को रोकने के लिए रूस का केंद्रीय बैंक हर संभव कोशिश कर रहा है. एलिजा वू ने कहा कि रूबल की गिरती कीमत के कारण आयात की कीमत बढ़ गई है. रूस अपने उपभोग का आधे से अधिक आयात करता है. मुद्रास्फीति के कारण रूस का आयात प्रभावित हो रहा है.
वो बताती हैं, '2021 में, वैश्विक खाद्य कीमतों में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई, और रूस ने कुछ बुनियादी खाद्य पदार्थों पर मूल्य सीमा निर्धारित कर दी और निर्यात शुल्क लगाया. रूस पर लग रहे नए प्रतिबंध आम रूसियों के जीवन स्तर को गंभीर रूप से प्रभावित करेंगे. जुलाई 2021 में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 75 प्रतिशत रूसियों ने अपनी आय का लगभग आधा या आधे से अधिक भोजन पर खर्च किया. अब स्थिति पहले से खराब हो चुकी है.'
इस बीच, मॉस्को एक्सचेंज सोमवार, मंगलवार को कारोबार के लिए बंद रहा क्योंकि रूबल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 40 प्रतिशत तक गिर गया.'
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि मॉस्को एक्सचेंज को खोलने पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा. लेकिन अगर मॉस्को एक्सचेंज खुलता है तो विदेशी निवेशकों के बीच रूसी सिक्योरिटी को बेचने के लिए मारामारी की स्थिति बनेगी.
प्रतिबंधों से बचाने के लिए पुतिन ने उठाए कदम
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आर्थिक प्रतिबंधों से होने वाले वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं. उन्होंने विदेशों में नकदी भेजने पर प्रतिबंध लगा दिया है और निर्यातकों को अपनी कमाई का 80 प्रतिशत रूबल में बदलने का आदेश दिया है. सेंट्रल बैंक ऑफ रूस ने भी ब्याज दर को 9.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है.
रूसी आयात पर भी पड़ रहा गंभीर प्रभाव
अमेरिका में वेस्लेयन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पीटर रटलैंड का कहना है कि पश्चिमी देशों ने जिस तेज गति और गंभीरता से रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं, उसका रूस पर तत्काल प्रभाव पड़ा है.
प्रो रटलैंड कहते हैं, 'ब्याज दरों में बढ़ोतरी से रूबल को स्थिर करने में मदद मिल सकती है लेकिन लोगों के लिए अपने कारोबार के लिए उधार लेना काफी महंगा हो जाएगा और इस तरह रूस को एक गहरी आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है.'
प्रो रटलैंड का कहना है कि रूस के बाजार से जल्द ही स्मार्टफोन और कारें गायब होने लगेंगी क्योंकि रूस लेटेस्ट जेनेरेशन के माइक्रोचिप्स नहीं बना पाता है. रूस इन चीजों को ताइवान जैसे देशों से आयात करता है. ताइवान माइक्रोचिप्स का सबसे बड़ा वैश्विक निर्माता है और अब उसने भी रूस पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसी तरह रूस लगभर 66 प्रतिशत दवाओं को विदेशों से आयात करता है. रूस की गिरती मुद्रा के कारण रूस के इस आयात पर भी असर पड़ेगा.
प्रो रटलैंड कहते हैं कि रूस तेल और गैस के पैसों से अपने राजस्व को बनाए रखने की कोशिश कर सकता है लेकिन फिर भी रूसी सरकार को बढ़ती कीमतों के लिए आम लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ सकता है.
बिगड़ती अर्थव्यवस्था से रूस में युद्ध को देखने के तरीके प्रभावित हो सकते हैं. पुतिन आर्थिक स्थिति के लिए फिलहाल पश्चिमी देशों को दोष दे रहे हैं लेकिन अब रूस के लोग भी उनके खिलाफ दबी जुबान में बातें करने लगे हैं.
उनका कहना है कि रूस पर प्रतिबंधों का असर वहां के आम नागरिकों पर ही नहीं हो रहा बल्कि युद्ध के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को भी झटका लगा है जिस कारण वैश्विक स्तर पर कीमतों में वृद्धि देखी जा रही है.