रूस ने बुधवार को कहा कि वह रूसी सेना में सपोर्ट स्टाफ के रूप में भर्ती किए गए भारतीयों की वापसी के भारत के आह्वान से संबंधित मुद्दे के जल्द से जल्द समाधान की उम्मीद कर रहा है. रूस ने कहा कि उनकी भर्ती पूरी तरह से एक व्यावसायिक मामला है.
मुद्दे पर रूसी सरकार की ओर से पहली टिप्पणी में रूस के चार्ज डी'अफेयर्स रोमन बाबुश्किन ने कहा कि मॉस्को कभी नहीं चाहता था कि भारतीय उसकी सेना का हिस्सा बनें और संघर्ष में उनकी संख्या नगण्य है. एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'हम इस मुद्दे पर भारत सरकार के साथ हैं. हमें उम्मीद है कि यह मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा.'
'इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाए'
बाबुश्किन की टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सामने इस मुद्दे को 'दृढ़ता से' उठाया है और रूस ने रूसी सेना में सपोर्ट स्टाफ के रूप में काम करने वाले भारतीय नागरिकों की जल्द से जल्द रिहाई और घर वापसी सुनिश्चित करने का वादा किया है.
बाबुश्किन ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'हमें बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहिए, हम कभी नहीं चाहते थे कि भारतीय रूसी सेना का हिस्सा बनें. आपने रूसी अधिकारियों की ओर से इस पर कभी कोई घोषणा नहीं देखी होगी.'
'हम उन्हें भर्ती नहीं करना चाहते थे'
रूसी राजनयिक ने कहा कि ज्यादातर भारतीयों को कमर्शियल ढांचे के तहत भर्ती किया गया था क्योंकि वे 'पैसा कमाना' चाहते थे. भारतीयों की संख्या- 50, 60 या 100- संघर्ष में कोई अहमियत नहीं रखती है.
उन्होंने कहा, 'वे पूरी तरह से व्यावसायिक कारणों से वहां हैं और हम उन्हें भर्ती नहीं करना चाहते थे. सपोर्ट स्टाफ के रूप में भर्ती किए गए ज्यादातर भारतीय अवैध रूप से काम कर रहे हैं क्योंकि उनके पास काम करने के लिए उचित वीजा नहीं है. उनमें से ज्यादातर पर्यटक वीजा पर रूस आए थे.'
पीएम मोदी ने पुतिन के सामने उठाया मुद्दा
पीएम मोदी ने सोमवार शाम को रूसी राष्ट्रपति के घर पर डिनर के दौरान पुतिन के साथ अपनी अनौपचारिक बातचीत के दौरान यह मुद्दा उठाया था. पिछले महीने, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि रूसी सेना में सेवारत भारतीय नागरिकों का मुद्दा 'अत्यंत चिंता' का विषय बना हुआ है और इस पर मॉस्को से कार्रवाई की मांग की गई थी.
खबर है कि यूक्रेन जंग के लिए रूस की सेना में शामिल किए गए भारतीयों की अब सुरक्षित वापसी होगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मॉस्को पहुंचने के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समक्ष यह मुद्दा उठाया था. इसके बाद भारतीय सैनिकों की वापसी पर सहमति बनी है.
रूसी सेना में सेवाएं दे रहे 30-40 भारतीय
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, रूसी सेना में फिलहाल 30 से 40 भारतीय सेवा दे रहे हैं. इससे पहले कई रिपोर्ट्स में कहा गया था कि ये भारतीय वतन लौटना चाहते हैं लेकिन रूसी सेना छोड़कर स्वदेश वापसी इनके लिए मुमकिन नहीं है.
रूसी सेना में भर्ती इन भारतीयों की वतन वापसी के लिए भारत सरकार ने कई तरह के राजनयिक प्रयास किए लेकिन रूस की ओर से किसी तरह का आश्वासन नहीं दिया गया. ऐसे में पीएम मोदी के रूस दौरे के दौरान रूसी सेना में भर्ती इन भारतीयों की सुरक्षित वापसी बड़ी प्राथमिकता थी. बता दें कि रूस और यूक्रेन जंग में दो भारतीयों की मौत हुई थी. इसके बाद भारत ने रूस से वहां की सेना में भर्ती भारतीयों को वापस भेजने की मांग की थी.