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भारत के लिए दूसरा 'सऊदी अरब' बन गया रूस, किया ये काम

अमेरिका और यूरोपीय देशों के प्रतिबंधों के बावजूद भारत को तेल का आयात करने वाला रूस दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है. पहले स्थान इराक का है. यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए. इस बीच भारत जैसेे कुछ एशियाई देश भारी छूट पर रूस का तेल खरीद रहे हैं.

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (photo: reuters)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (photo: reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इराक से भारत को सबसे अधिक तेल का निर्यात
  • सऊदी अरब को पीछे छोड़ रूस दूसरे स्थान पर भारत को तेल बेच रहा

अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंधों के बावजूद सऊदी अरब को पीछे छोड़कर रूस, भारत को तेल आयात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है.

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पहला स्थान इराक का है. इराक से भारत में तेल का सबसे अधिक निर्यात होता है.

इंडस्ट्री डेटा के मुताबिक, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से भारत की तेल रिफाइनरी भारी छूट पर रूस का तेल खरीद रही हैं.

दरअसल कई तरह के प्रतिबंधों के बीच रूस के तेल के खरीदार सीमित हो गए हैं. यही वजह है कि भारत जैसे कुछ देशों को काफी छूट पर तेल मिल रहा है.

भारतीय तेल रिफाइनरियों ने मई में रूस से लगभग 2.5 करोड़ बैरल तेल खरीदा है. यह भारत के कुल तेल आयात का 16 फीसदी से अधिक है.

डेटा के मुताबिक, भारत में समुद्र के रास्ते रूस से कच्चे तेल का आयात भी बढ़ा है. अप्रैल महीने में पहली बार समुद्र के रास्ते भारत में रूस के तेल की हिस्सेदारी पांच फीसदी रही. 

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वहीं, 2021 में और 2022 की पहली तिमाही में यह एक फीसदी से भी कम थी. 

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन पर हमले के बाद से भारत, रूस से कच्चा तेल खरीदने के अपने फैसले का बचाव करता आया है. 

भारत के तेल मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि रूस से तेल की खरीद भारत के कुल तेल खपत की तुलना में कम है. 

मई में इराक से भारत को सबसे अधिक तेल का निर्यात किया गया. रूस के दूसरे पायदान पर आने के बाद अब सऊदी अरब तीसरे स्थान पर पहुंच गया है. 

भारत ऐसे समय में रूस के कच्चे तेल पर भारी छूट का फायदा उठा रहा है, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं. 

अमेरिका और चीन के बाद भारत तेल का उपभोग करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. भारत में तेल का 85 फीसदी से अधिक हिस्सा आयात होता है. 

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से रूस के यूरल्स तेल के खरीदार कम ही बचे हैं. कई देशों और कंपनियों ने रूस के ऊर्जा उत्पादों को नहीं खरीदने का फैसला किया है, जिसकी वजह से रूस के तेल की कीमतें गिर गई हैं.

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इसी का फायदा भारत की तेल रिफाइनरियों ने उठाया और 30 डॉलर प्रति बैरल तक की भारी छूट पर रूस का कच्चा तेल खरीदना शुरू किया. 

इससे पहले ढुलाई लागत अधिक होने से रूस से कच्चा तेल खरीदना भारतीय कंपनियों के लिए मुनाफे का सौदा नहीं था.

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