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भारतीय मीडिया से क्यों नाराज हुआ रूस? दी नसीहत

रूसी दूतावास ने एक बयान जारी कर यूक्रेन को लेकर भारतीय मीडिया की रिपोर्टों पर आपत्ति जताई है. दूतावास ने कहा है कि यूक्रेन की स्थिति को इन रिपोर्टों में तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. साथ ही यूक्रेन की सैन्य मदद को लेकर अमेरिका और NATO देशों पर भी रूस ने निशाना साधा है.

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Photo-Reuters)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Photo-Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रूसी दूतावास ने जारी किया बयान
  • भारतीय मीडिया पर लगाया यूक्रेन के मुद्दे पर गलत रिपोर्टिंग का आरोप
  • अमेरिका और NATO पर भी साधा निशाना

भारत में रूस के दूतावास ने यूक्रेन के मुद्दे पर भारत की मीडिया को संबोधित करते हुए एक लंबा-चौड़ा बयान जारी किया है. बयान में कहा गया है कि भारतीय मीडिया ने अपनी रिपोर्टों में यूक्रेन से स्थिति को तोड़-मरोड़ कर गलत तरीके से पेश किया है. बयान में किसी खास मीडिया संस्थान के नाम का जिक्र नहीं किया गया है जिससे ये स्पष्ट नहीं हो पाया कि किन रिपोर्ट को लेकर रूस ने नाराजगी जाहिर की है.

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पश्चिमी देशों का कहना है कि रूस यूक्रेन में युद्ध की तैयारी कर रहा है. यूक्रेन पहले सोवियत संघ का ही हिस्सा था. यूक्रेन और रूस दोनों ने ही सीमा पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है. हालांकि, रूस ने इन सभी बातों को खारिज किया है.

रूसी दूतावास ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से बयान शेयर करते हुए लिखा है, 'बड़े ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों ने एक बार फिर यूक्रेन के संकट पर स्थिति को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है. रिपोर्ट में यूक्रेन के अधिकारियों के अपमानजनक बयानों को भी प्रसारित किया गया है.' 

'रिपोर्ट के जरिए यूक्रेन मामले पर रूस के दृष्टिकोण को गलत दिखाने का प्रयास किया गया है. हम समझते है कि उन पक्षपाती रिपोर्टों का भारत सरकार के आधिकारिक रुख से कोई लेना-देना नहीं है और ये रिपोर्ट्स प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की राय से भी मेल नहीं खाते हैं. इसके साथ ही हम इस विषय को स्पष्ट करना जरूरी मानते हैं.'

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'हम किसी को धमकाते नहीं'

रूसी दूतावास ने इस संदंर्भ में जारी किए गए अपने बयान में कहा है कि रूस किसी को डराता-धमकाता नहीं है. बयान में कहा गया, 'यह स्पष्ट रूप से समझा जाना चाहिए कि रूस किसी को धमकी नहीं देता है. हम अधिकतम संयम दिखा रहे हैं और निश्चित रूप से, यूक्रेन के लोगों के साथ लड़ने का हमारा कोई इरादा नहीं है. हम इस समस्या का सैन्य समाधान भी नहीं चाहते. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव बार-बार इन बातों पर जोर दे रहे हैं.'

रूसी दूतावास द्वारा जारी बयान में यूक्रेन के नेतृत्व और सरकार पर भी निशाना साधा गया है. बयान में लिखा गया, 'भारतीय दर्शकों सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को समझाने की कोशिश करने के विपरीत यूक्रेन की सरकार बस दोषारोपण कर रही है. सरकार एक संतुलित, समावेशी घरेलू और विदेश नीति का इस्तेमाल करने में असमर्थ है इसलिए अपने अपराधों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है.'

क्रीमिया नहीं है कोई मुद्दा

रूस का कहना है इस विवाद में क्रीमिया कोई मुद्दा नहीं है. क्रीमिया पहले यूक्रेन का हिस्सा हुआ करता था. साल 2014 में यूक्रेन में क्रांति के जरिए सरकार का तख्तापलट किया गया था. इस दौरान रूस ने क्रीमिया में अपनी सेना भेजकर उसे अपने कब्जे में ले लिया था. रूस ने कहा था कि क्रीमिया में रूसी मूल के लोगों की संख्या बहुत अधिक है और बिगड़े हालात में उनकी रक्षा करना रूस की जिम्मेदारी है. 

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रूसी दूतावास ने अपने बयान में कहा है कि क्रीमिया हमारे लिए कोई मुद्दा नहीं है बल्कि यूक्रेन ही अपने लोगों के खिलाफ युद्ध की स्थिति बनाए हुए है. बयान में कहा गया, 'यूक्रेन की सेना 8 साल से अपने ही लोगों के साथ युद्ध की स्थिति में है. 2021 में उन्होंने 1,923 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है, 4,000 से अधिक  माइंस और विभिन्न कैलिबर के तोपखाने के गोले का इस्तेमाल कर निर्दोष लोगों को मारा गया है. इसमें कई नागरिकों की जान गई है, इमारतों और बुनियादी सुविधाओं को नुकसान पहुंचा है.'

रूसी दूतावास ने अपने बयान में यह भी बताया कि किन परिस्थितियों में क्रीमिया रूस का हिस्सा बना. बयान में कहा गया, 'रूसी बोलने वाले नागरिकों को उनके सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा था. इसमें स्कूलों और रोजमर्रा की जिंदगी में रूसी भाषा के इस्तेमाल का अधिकार छीनना भी शामिल है.'

'इसी तरह के रवैये ने क्रीमिया के लोगों को मौजूदा यूक्रेन की सरकार से दूर किया था जो 2014 में तख्तापलट के बाद सत्ता से बाहर हो गए थे. क्रीमिया के नागरिकों से उनकी पहचान छीनने की कोशिश की जा रही थी तब उन्होंने आत्मनिर्णय के अपने अधिकार का प्रयोग किया था और रूस में शामिल होने के लिए जनमत संग्रह किया था. तब से, हम लगातार कहते रहे हैं कि इस विवाद में क्रीमिया का कोई मुद्दा नहीं है.'

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अमेरिका और नाटो देशों पर निशाना

रूसी दूतावास के बयान में कहा गया है कि यूक्रेन की सेना को खुलेआम अमेरिका और NATO देशों से समर्थन मिलता है और ये सेना को हथियारों की सप्लाई करते हैं. 2014 से, अमेरिका ने यूक्रेन की सेना पर 2.5 अरब डॉलर से अधिक खर्च किया है. नाटो के देश भी यूक्रेन की सेना को रूस के खिलाफ मजबूत कर रहे हैं.

बयान में आगे लिखा गया, 'ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए, ये आरोप सुनना पूरी तरह हास्यास्पद है कि रूस कथित रूप से अपनी सीमाओं के पास सशस्त्र बलों को जमा कर रहा है और किसी प्रकार के युद्ध की तैयारी कर रहा है. सच बात तो ये है कि किसी भी संप्रभु देश को अपनी सेना को अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से तैनात करने का अधिकार है.'

यूक्रेन और रूस के मुद्दे पर भारत का पक्ष

पिछले साल मार्च में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में यूक्रेन और क्रीमिया के मुद्दे को लेकर रूस के समर्थन का संकेत दिया था.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने कहा था, 'भारत ने राजनीतिक और राजनयिक समाधानों की वकालत की है जो इस क्षेत्र के सभी देशों के वैध हितों की रक्षा करते हैं और यूरोप में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता सुनिश्चित करते हैं. आगे का रास्ता शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से ही संभव हो सकता है ताकि सभी देशों को स्वीकार्य स्थायी समाधान मिल सके.'  

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