अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएसए और मित्र राष्ट्रों द्वारा जी-7 से रूस को बाहर किए जाने के फैसले को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि मैं उन्हें (रूस) को जी-7 में वापस लाना पसंद करूंगा. उन्होंने दावा किया कि अगर रूस इस ग्रुप का हिस्सा होता तो यूक्रेन संघर्ष नहीं होता.
डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कहा कि मैं उन्हें (रूस को G7 में) वापस लाना पसंद करूंगा. मुझे लगता है कि उन्हें बाहर करना एक गलती थी...मुझे लगता है कि पुतिन वापस आना पसंद करेंगे. ओबामा और कुछ अन्य लोगों ने गलती की और उन्होंने रूस को बाहर कर दिया. यह बहुत संभव है कि अगर G8 होता तो हमें यूक्रेन के साथ समस्या नहीं होती.
'वह शांति देखना चाहते हैं...'
ट्रंप ने दावा करते हुए कहा, 'मेरा मानना है कि राष्ट्रपति पुतिन से जब मैंने कल बात की तो वह शांति चाहते हैं. मुझे लगता है कि अगर वह युद्ध खत्म करना नहीं चाहते तो मुझे बता देते. मुझे लगता है कि वह शांति देखना चाहते हैं... ट्रंप ने बार-बार कहा है कि रूस को फिर से शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए.'
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पुतिन-जेलेंस्की से हुई बहुत अच्छी बातचीत: ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने पर बोलते हुए कहा, 'यूक्रेन युद्ध को समाप्त होना ही चाहिए. इस युद्ध में उस स्तर पर युवा की मौत हुई है जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से किसी ने नहीं देखा. ये एक हास्यास्पद युद्ध है और इसे खत्म होना ही चाहिए.राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ मेरी अच्छी बातचीत हुई. किसी ने कहा, मुझे पहले ज़ेलेंस्की को फोन करना चाहिए था. पर मुझे ऐसा नहीं लगता. मुझे पता है कि ज़ेलेंस्की एक सौदा करना चाहते हैं, क्योंकि उन्होंने मुझे ऐसा बताया था. लेकिन अब मुझे पता है कि रूस एक सौदा करना चाहता है.'
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उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि रूस जैसी स्थिति वाला कोई देश उन्हें नाटो में शामिल होने की इजाजत दे सकता है. मुझे ऐसा होता नहीं दिख रहा. मेरा मानना है कि यही कारण है कि युद्ध शुरू हुआ, क्योंकि बाइडेन ने कहा कि यूक्रेन नाटो में शामिल हो सकता है और उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था. यह एक ऐसा युद्ध है जो अगर मैं राष्ट्रपति होता तो कभी नहीं होता.'
बता दें कि जी-7 प्रमुख औद्योगिक देशों का एक ग्रुप है. जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जापान, कनाडा और जर्मनी शामिल है. जी-7 कभी, जी-8 था. इस संगठन की शुरुआत साल 1975 में हुई थी और साल 1997 में रूस को इसमें जोड़ने के बाद 1998 से इस संगठन को जी-8 के नाम से जाने जाना लगा, लेकिन मास्को के क्रीमिया पर हमले के बाद 2014 में रूस को निष्कासित कर दिया गया था.