भारत में जहां विभिन्न राजनीतिक दल वोटिंग के लिए इस्तेमाल EVM मशीनों से छेड़छाड़ के आरोप लगा रहे हैं, वहीं रूस ने अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनावों से पहले भारत की EVM तकनीक से सीख लेने की इच्छा जताई है.
रूस में अगले साल होने हैं राष्ट्रपति चुनाव
रूस में मार्च 2018 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं. अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, रूस EVM के जरिये आसानी से चुनाव कराने से जुड़े भारत के अनुभव से सीख लेना चाहता है.
विधानसभा चुनावों का लिया था जायजा
खबर के मुताबिक, रूसी चुनाव आयोग के उपाध्यक्ष निकोलेई लेविचेव ने इस साल फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान उत्तराखंड का दौरा कर EVM के जरिये वोटिंग का जायजा लिया था. इसके साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर और गोवा के विधानसभा चुनावों का भी जायजा लिया.
EVM तकनीक से प्रभावित रूसी चुनाव आयोग के उपाध्यक्ष
इस रिपोर्ट में बताया गया कि लेविचेव ने EVM तकनीक से सीखने के लिए अलग-अलग मंत्रालयों के सीनियर अफसरों के साथ दिल्ली में विचार-विमर्श किया. वह चुनाव में EVM के इस्तेमाल से होने वाली सहूलियत से काफी प्रभावित दिखे और रूस में होने वाले चुनावों में इस तकनीक को अपनाने में दिलचस्पी दिखाई.
राष्ट्रपति चुनाव में EVM तकनीक के इस्तेमाल को लेकर रूस की यह रुचि ऐसे समय देखने को मिली है, जब भारत में विभिन्न विपक्षी राजनीतिक ने EVM मशीनों में छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं.
EVM से छेड़छाड़ का विपक्ष का आरोप
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने EVM मशीनों से कथित छेड़खानी को लेकर चुनाव आयोग पर जमकर निशाना साधा. केजरीवाल ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेस में चुनाव आयोग को चैलेंज करते हुआ कहा था कि मशीन हमें मुहैया करा दें, हम बता देंगे कि EVM को टेम्पर्ड किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि निष्पक्ष चुनावों की खातिर पेपर बैलेट ही एक मात्र उपाय है.