साइबर क्राइम के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए रूस की एफएसबी (Federal Security Service) ने 50 से अधिक देशों में 1,00,000 से अधिक लोगों के साथ धोखाधड़ी करने वाले कॉल सेंटरों के एक बड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को नष्ट कर दिया है. इनका शिकार बने देशों में भारत भी शामिल है. यह ऑपरेशन दुनिया भर में अनजान लोगों को निशाना बनाने वाले क्रॉस-बॉर्डर साइबर क्राइम के बारे में बढ़ती चिंता को उजागर करता है.
1 मिलियन डॉलर प्रतिदिन की कमाई
एफएसबी के अनुसार, जॉर्जिया के पूर्व रक्षा मंत्री डी. काजेरशविली से जुड़े कॉल सेंटर निवेश योजनाओं की आड़ में चलाए जा रहे थे. इस तरह की धोखाधड़ी से हर रोज 1 मिलियन डॉलर की अनुमानित कमाई होती थी.
भारत भी बना स्कैम का शिकार
इस स्कैम की जड़ें भारत तक फैली हुई थीं, जो निवेश प्लेटफार्मों और डिजिटल लेनदेन के लिए दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है. भारत में पीड़ितों को कथित तौर पर निवेश पर आकर्षक रिटर्न के वादे का लालच दिया गया था, जो ऑनलाइन धोखाधड़ी को लेकर जागरूकता पर जोर देता है.
एफएसबी ने इजरायली-यूक्रेनी नागरिक केसेलमैन वाई.डी. सहित कई प्रमुख गुर्गों को हिरासत में लिया है. वहीं इजरायली-जॉर्जियाई नागरिक टोडवा डी. फरार हैं. दोनों ने कथित तौर पर ऑपरेशन को अंजाम दिया और रूस में झूठे आतंकी हमले की धमकियों को फैलाने में उनका हाथ था.
साइबर स्लेवरी कैंप
यह ऑपरेशन इंडिया टुडे की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम द्वारा दक्षिण पूर्व एशिया में साइबर स्लेवरी कैंपों का खुलासा करने के बाद किया गया. कुख्यात 'गोल्डन ट्राएंगल' (थाईलैंड, म्यांमार और लाओस की सीमाओं के मिलन से बनने वाला क्षेत्र), जो कभी मादक पदार्थों की तस्करी के लिए जाना जाता था, अब साइबर क्राइम सिंडिकेट को आश्रय देता है. भारतीयों सहित हजारों लोगों को फर्जी नौकरी का ऑफर दिया जाता है और वे म्यांमार, कंबोडिया और लाओस में चीनी सिंडिकेट द्वारा चलाए जा रहे खतरनाक साइबर क्राइम ऑपरेशन में फंस जाते हैं.
इंडिया टुडे ने तीन बचे लोगों- प्रदीप कुशावाहा, नंदन साह और रोहित शर्मा- के दर्दनाक सफर का डॉक्यूमेंटेशन किया है, जो इस आधुनिक स्लेवरी के पैमाने को उजागर करता है. भारत सरकार ने कार्रवाई की है और 1,000 से अधिक नागरिकों को वापस लाया गया है और गृह मंत्रालय की I4C विंग इस क्षेत्र में मामलों की जांच कर रही है.
टेक्नोलॉजी का फायदा उठा रहे स्कैमर्स
रूसी कार्रवाई और दक्षिण पूर्व एशियाई साइबर स्लेवरी का खुलासा दोनों ही बढ़ते ग्लोबल साइबर क्राइम से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और व्यक्तिगत जागरूकता की जरूरत को रेखांकित करते हैं. स्कैमर्स टेक्नोलॉजी का लाभ उठा रहे हैं और कमजोर लोगों का शोषण कर रहे हैं. दुनिया भर में संभावित पीड़ितों की सुरक्षा के लिए सक्रिय उपाय बेहद जरूरी हैं.