Russia-Ukraine Conflict: रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से जारी तनाव अब थोड़ा कम जरूर हो रहा है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने यूक्रेन की सीमा के पास युद्धाभ्यास कर रहे सैनिकों को वापस बुलाने की बात कही है. हालांकि, अब भी इस बात को पक्के तौर से नहीं कहा जा सकता कि सारा विवाद खत्म हो गया.
इससे पहले मार्च 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया (Crimea) पर कब्जा कर लिया था. इसे सबसे आसान आक्रमण भी कहा जाता है. क्योंकि यूक्रेन ने बगैर जंग लड़े ही क्रीमिया दे दिया था और रूसी सैनिकों ने भी रातों-रात ही इस द्वीप पर कब्जा कर लिया था.
1954 में रूस ने तोहफे में दे दिया था क्रीमिया
- जब सोवियत संघ हुआ करता था, तब रूस और यूक्रेन दोनों ही इसका हिस्सा हुआ करते थे. 1954 में सोवियत संघ के तब के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव ने यूक्रेन को एक तोहफे के तौर पर क्रीमिया को दे दिया था.
- 1991 में जब सोवियत संघ टूटा और यूक्रेन और रूस अलग-अलग हुए तो दोनों देशों के बीच क्रीमिया को लेकर झगड़ा शुरू हो गया. क्रिमिया को रूसी साम्राज्य ने 1783 में कैथरीन द ग्रेट के शासनकाल में मिलाया था. कैथरीन द ग्रेट रूसी साम्राज्य की महारानी थी.
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रूस समर्थक राष्ट्रपति बनने से बदले हालात
- 1991 में यूक्रेन ने अपनी आजादी की घोषणा कर दी. मई 2002 ने यूक्रेन ने NATO में शामिल होने की प्रक्रिया शुरू कर दी. रूस इसका विरोध करता रहा.
- फरवरी 2010 के आम चुनाव में विक्टर यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बने. यानुकोविच रूस के समर्थक थे. नवंबर 2013 में यानुकोविच ने यूरोपियन यूनियन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने से पीछे हट गए.
- इस समझौते से यूक्रेन को 15 अरब डॉलर की आर्थिक पैकेज मिलने वाला था. यानुकोविच के फैसले के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए.
- फरवरी 2014 में राजधानी कीव में दर्जनों प्रदर्शनकारी मारे गए. प्रदर्शन तेज हो गए. आखिरकार यानुकोविच को देश छोड़कर जाना पड़ा और विपक्ष सत्ता में आ गया.
फिर शुरू हुआ रूस का हमला
- यूक्रेन में यूरोपीय यूनियन के समर्थकों की सत्ता आने के बाद रूस ने क्रीमिया पर कब्जे के लिए हमला कर दिया. 27 फरवरी 2014 को रूसी बंदूकधारियों ने क्रीमिया में सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया. अगले दिन क्रीमिया के दो हवाई अड्डे भी कब्जा लिए गए.
- क्रीमिया पर कब्जा करने वाले सैनिकों की वर्दी पर कोई बैज नहीं था. इसलिए उस समय शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ये मानने से इनकार कर दिया कि ये रूसी सैनिक हैं.
- 6 मार्च 2014 को क्रीमिया की संसद में जनमत संग्रह कराने पर सहमति बनी. 16 मार्च को क्रीमिया में जनमत संग्रह करवाया गया, जिसमें 97 फीसदी लोगों ने रूस में शामिल होने के पक्ष में वोट किया.
- इस जनमत संग्रह को अमेरिका और यूरोपीय देशों ने अवैध करार दिया था. हालांकि, रूस ने दलील दी कि वहां 60 फीसदी लोग रूसी हैं और वो खुद के लिए फैसले का हक रखती है.
- क्रीमिया पर हमले के लिए अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे. हालांकि, पुतिन ने इन्हें नजरअंदाज कर दिया. उस समय भी यूक्रेन और रूस के बीच जंग जैसे हालात बने थे, लेकिन बिना जंग के ही रूस ने क्रीमिया को कब्जा लिया था.
- 18 मार्च 2014 को रूस ने क्रीमिया को औपचारिक तौर पर मिला लिया. उस समय पुतिन ने कहा कि यूक्रेन में चल रहे राजनीतिक संकट ने वहां रह रहे रूसी मूल के लोगों को तबाह कर दिया. पुतिन का कहना था कि क्रीमिया में रूसी हस्तक्षेप नहीं हुआ है और क्योंकि इतिहास में अब तक हस्तक्षेप बिना गोली चलाए और बिना किसी के हत्या के संभव नहीं हुआ है.
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यूक्रेन ने बिना जंग लड़े ही दे दिया क्रीमिया!
- 22 फरवरी 2014 को यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच सत्ता से बेदखल हो गए और देश छोड़कर भागना पड़ा. इसके बाद से ही रूसी समर्थकों ने क्रीमिया में सरकारी इमारतों पर कब्जा करना शुरू कर दिया. बीबीसी के मुताबिक, बाद में पुतिन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि 22 फरवरी की रात में ही क्रीमिया की वापसी की शुरुआत हो गई थी.
- रूसी समर्थकों ने क्रीमिया की संसद पर भी कब्जा कर लिया और रूसी झंडा लहरा दिया. रूसी समर्थक सांसदों ने वहां की सरकार को बर्खास्त कर दिया और रूसी यूनिटी पार्टी के नेता सर्गेई अक्सियोनोव को क्रीमिया का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया.
- 18 मार्च 2014 को पुतिन ने अक्सियोनोव से मुलाकात की और एक संधि पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत क्रीमिया रूस का हिस्सा बना. कुछ ही घंटों बाद रूसी सैनिकों ने क्रीमिया में यूक्रेनी नौसेना के मुख्यालय समेत कई ठिकानों पर कब्जा कर लिया. इससे पहले यूक्रेन ने क्रीमिया से 25 हजार सैनिकों और उनके परिवारों को निकाल लिया था. ये लड़ाई बिना युद्ध के ही खत्म हो गई.
- क्रीमिया पर कब्जे के बाद भी रूसी समर्थकों और यूक्रेन के बीच संघर्ष होता रहा है. यूरोपीय देशों को डर था कि कहीं रूस पूर्वी यूक्रेन पर भी कब्जा न कर ले. आखिरकार 11 फरवरी 2015 को फ्रांस और जर्मनी ने रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौता करवाया, जिसमें संघर्ष विराम पर सहमति बनी.