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Russia-Ukraine विवाद पर भारत का पहला आधिकारिक बयान आया, कही ये बात

Russia Ukraine crisis: रूस और यूक्रेन के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है. भारत की तरफ से इस विवाद पर पहला आधिकारिक बयान जारी कर दिया गया है. साफ कहा गया है कि शांतिपूर्ण तरीके से मुश्किलों का हल निकाला जाए.

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति (ANI)
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति (ANI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भारत बोला- कूटनीति से निकाला जाए रास्ता
  • 'पहली प्राथमिकता यूक्रेन के भारतीय लोग'

Russia Ukraine crisis: रूस संग यूक्रेन की तनातनी ने पूरी दुनिया को दहशत में डाल दिया है. तीसरे विश्व युद्ध की आशंका ने कई देशों को परेशान कर दिया है. अभी भी यूक्रेन बॉर्डर पर स्थिति चिंतापूर्ण बनी हुई है. अमेरिका ने दावा कर दिया है कि रूस की तरफ से सात हजार अतिरिक्त सैनिक बॉर्डर पर तैनात कर दिए गए हैं. अब इन बदलते समीकरणों के बीच भारत का इस विवाद पर पहला आधिकारिक बयान आ गया है.

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत की तरफ से इस विवाद पर स्टैंड साफ किया गया है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा है कि नई दिल्ली का जोर सिर्फ इसी तरफ है कि जल्द से जल्द स्थिति को फिर सामान्य किया जाए.

टीएस तिरुमूर्ति ने बताया कि हर उस कदम से अभी बचने की जरूरत है जिस वजह से तनाव कम होने के बजाय और ज्यादा बढ़ जाए. सिर्फ और सिर्फ कूटनीति के दम पर ही इस समस्या का हल निकाला जा सकता है. वहीं ये भी जानकारी दी गई है कि इस पूरे मामले में भारत हर पार्टी के संपर्क में है. सभी से यही कहा जा रहा है कि कूटनीतिक रास्ते ढूंढने की कोशिश की जाए.

भारत ने अपने बयान में इस बात का भी पूरा ध्यान दिया है कि उनका स्टैंड एकतरफा ना दिखाई पड़े. इसी वजह से टीएस तिरुमूर्ति ने साफ कहा गया है कि अभी सिर्फ और सिर्फ तनातनी को कम करने पर जोर देना है. वहीं इस बात का भी जिक्र हुआ है कि हर देश की सुरक्षा को लेकर मंथन होना जरूरी है जिससे शांति स्थापित की जा सके.

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वैसे जारी बयान में टीएस तिरुमूर्ति ने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को लेकर भी विस्तार से बात की है. उनके मुताबिक सभी भारतीय छात्रों की सुरक्षा देश की पहली प्राथमिकता है. इसके अलावा भारत ने ये भी कहा है कि इस तनातनी को शांत करने के लिए वो Minsk agreement का समर्थन करता है. जानकारी के लिए बता दें कि  2014 और 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में समझौते हुए थे. इसे मिन्स्क समझौता (Minsk Agreeement) कहा जाता है. 2014 में जो समझौता हुआ उसे Minsk I और 2015 के समझौते को Minsk II कहा जाता है.  

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