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Russia-Ukraine war: युद्धविराम होगा तो कब! आखिर पुतिन के मन में क्या चल रहा?

डिफेंस एक्सपर्ट मानते हैं कि स्टैटजी के लिहाज से यूक्रेन पर युद्ध थोपकर पुतिन एक तीर से कई निशाने साध रहे है. दरअसल, यूक्रेन का झुकाव पश्चिम मुल्कों की तरफ है. नाटो से बढ़ती करीबी पुतिन की आंखों में किरकिरी की तरह चुभ रही थी. यूक्रेन पर हमला कर पुतिन पश्चिमी मुल्कों को ये दिखाना चाहते हैं कि रूस आज भी सुपर पावर है.

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रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. -फाइल फोटो
रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. -फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पुतिन को पता है कि पश्चिमी मुल्क कमजोर हैं
  • दोनों देशों में से यूक्रेन शक्ति के मामले में कमजोर

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध पर विराम लगेगा, लेकिन कब? पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है. दरअसल बम और बारूद की तपिश के बीच आज यूक्रेन और रूस की तरफ से सबसे बड़ी खबर आई. पुतिन ने दुनिया को बता दिया कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है, यानी युद्धविराम होगा तो उसकी शर्त क्या है? उधर, रूस की तरफ से रखी गई शर्त पर यूक्रेन ने क्या जवाब दिया है? ये आपको बताते हैं.

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रूस की तरफ से यूक्रेन के सामने बड़ी शर्त रखी गई है. शर्त ये कि राष्ट्रपति जेलेंस्की सरेंडर करें तो युद्धविराम पर विचार मुमकिन है. रूस की तरफ से रखी गई शर्त के बाद यूक्रेन की ओर से बड़ी पहल की गई. राष्ट्रपति जेलेंस्की ने युद्धविराम के लिए टेबल पर बातचीत की पेशकश का पैगाम पुतिन को भेज दिया. यानी अब यूक्रेन युद्ध नहीं, बल्कि बातचीत के रास्ते मौजूदा संकट का हल चाहता है.

लगातार दूसरे दिन रूसी हमले के बीच यूक्रेन की राजधानी कीव और अन्य शहरों में हड़कंप मचा है.

दरअसल पुतिन को बखूबी पता है कि संपूर्ण यूक्रेन पर कब्जा करना रूस के लिए जितना मुश्किल है, उनता ही मुश्किल आज की तारीख में यूक्रेन के लिए खुद की रक्षा करना है. यानी दोनों के लिए आगे की डगर आसान नही है. टेबल पर बातचीत से ही रास्ता निकलेगा. 

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आखिर पुतिन की मंशा क्या है...

अब सवाल है कि आखिर पुतिन के दिमाग में क्या चल रहा है? आखिर चंद घंटों में यूक्रेन पर चारों तरफ से अटैक करने के पीछे की मंशा क्या हैं, ये जानते हुए भी कि ये जोखिम दुनिया को महायुद्ध के मुहाने पर खड़ा कर सकता है. रक्षा से जुड़े जानकार मानते हैं कि यूक्रेन पर आक्रमण के पीछे पुतिन की एक सोच है, वही सोच जिसके बारे में उन्होंने बीते साल एक लेख लिखा था। 

यूक्रेन और रूस एक राष्ट्र हैं. दिसंबर 1991 में सोवियंत संघ का ढहना असल में रूस के इतिहास का विघटन था. मौजूदा यूक्रेन का निर्माण कम्यूनिस्ट रूस ने किया था जो आज कठपुतली राज्य बनकर रह गया. भले ही 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन एक स्वतंत्र मुल्क बन गया लेकिन पुतिन यूक्रेन को आज भी रूस का हिस्सा मानते हैं.

रूसी हमले का शिकार यूक्रेन का दक्षिणी शहर ओडेसा भी बना.

पुतिन के प्लान यूक्रेन को लेकर कई थ्योरी सामने आ रही है. दरअसल रूस को विस्तार देकर पुतिन अपने मुल्क को वही पुराना अखंड स्वरूप लौटाना चाहते हैं, ठीक वैसा ही जैसा 1991 के पहले था. अपने प्लान के तहत पुतिन ने युद्ध से पहले यूक्रेन को तोड़ने के लिए पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्र पीपल्स रिपब्लिक ऑफ दोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र राज्य की मान्यता प्रदान की. ये वही इलाका है जहां विद्रोही 2014 से ही यूक्रेन सेना से लड़ रहे हैं.

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पुतिन को पता है कि पश्चिमी मुल्क कमजोर हैं

पुतिन को पता है कि इस वक्त पश्चिमी मुल्क कमजोर है. महामारी की चुनौतियों की वजह से आर्थिक रूप से बड़ी चोट लगी है तो वहीं बीते साल अफगानिस्तान में तालिबान के हाथों अमेरिकी और नाटो को मुंह की खानी पड़ी है. पुतिन जानते हैं कि अमेरिका या उसके साथ इस वक्त युद्ध नहीं चाहते. वहीं पुतिन भी बड़ी जीत के लिए घर में बड़ा समर्थन चाहते हैं.

पुतिन लगातार अपने इसी प्लान को विस्तार दे रहे हैं. 2008 में रूस ने जॉर्जिया पर हमला किया था. रूस ने वहां के दो प्रांतों को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे दी है. इन दोनों देशों को रूस ही कंट्रोल करता है. 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया था. रूस में क्रीमिया का विलय हो गया है. अब रूस का विस्तार ब्लैक सी तक हो गया है.

एक इमारत पर रूसी मिसाइल का हमला हुआ था.

आगे क्या होगा? जानकार यही मान रहे हैं कि युद्धविराम से पहले पुतिन यूक्रेन और नाटो के साथ बातचीत में कई शर्तें रखेंगे. पुतिन चाहते हैं कि नाटो वादा करे कि यूक्रेन को सदस्यता नहीं देगा. पोलैंड, रोमानिया और बुलगेलिया की फ्रंटलाइन से नाटो की सेना पीछे हटे. यूक्रेन में जेलेंस्की राष्ट्रपति पद छोड़ें और नए राष्ट्रपति की ताजपोशी हो और यूक्रेन जल्द डानबास को स्वतंत्र राज्य का दर्जा दे.

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दोनों देशों की कितनी ताकत

अब तक के घटनाक्रम से यही बात साफ है कि पुतिन ने जो चाहा, वही किया. अब आपको बताते हैं कि क्यों यूक्रेन पर रूस भारी पड़ रहा है और चाहते हुए भी यूक्रेन, रूस का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है. आपको दोनों देशों की ताकत से रू-ब-रू करवाते हैं.

- रुस के पास सेना के जवानों की संख्या 8 लाख 50 हजार के करीब है
- यूक्रेन के पास 2 लाख सेना के एक्टिव जवान हैं

- रूस के पास ढाई लाख पैरामिलिट्री फोर्स है
- यूक्रेन के पास महज 50 हजार पैरामिलिट्री फोर्स के जवान हैं

- रूस का डिफेंस बजट 11.52 लाख करोड़ रुपए का बताया जाता है
- यूक्रेन का डिफेंस बजट महज 88.87 हजार करोड़ रुपए बताया जाता है

- रूस के पास जंगी टैंकों की संख्या 12,420 बताई जाती है
- यूक्रेन के पास 2 हजार 96 टैंक हैं

- अगर एयरक्राफ्ट की बात करें, जिनकी जंग में बहुत ज़रूरत होती है तो रूस के पास 4,173 एयरक्राफ्ट हैं
- यूक्रेन के पास महज 318 एयरक्राफ्ट हैं

- फाइटर एयरक्राफ्ट की बात करें तो रूस के पास 772 फाइटर एयरक्राफ्ट हैं
- यूक्रेन के पास सिर्फ 69 एयरक्राफ्ट हैं

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- अटैक करने वाले हेलिकॉप्टर रूस के पास 544 हैं
- यूक्रेन के पास अटैक हेलिकॉप्टरों की संख्या सिर्फ 34 है

- रूस के वार समंदर से वार करने वाली 605 सबमरीन हैं
- यूक्रेन के पास सिर्फ 38 ही सबमरीन हैं

- युद्धपोत की बात करें तो रूस के पास 11 युद्धपोत हैं
- इसकी तुलना में यूक्रेन के पास सिर्फ एक ही युद्धपोत है

- अगर सामान्य हेलिकॉप्टर की बात की जाए तो रूस के पास 1,543 सामान्य हेलिकॉप्टर हैं
- जबकि यूक्रेन के पास 112 सामान्य हेलिकॉप्टर हैं

आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि यूक्रेन और रूस के बीच ताकत में कितना अंतर है.

 

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