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यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर भारत को फ्रांस ने दी नसीहत!

भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने कहा है कि वो चाहता है कि यूक्रेन संकट पर भारत साफ-साफ अपनी बात रखे. उन्होंने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत और अधिक मजबूत से सामने आए. संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के मानवीय संकट पर चर्चा के लिए एक प्रस्ताव लाया गया है और फ्रांस चाहता है कि भारत रूस को लेकर अपना रुख स्पष्ट करे.

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फ्रांस ने कहा है कि भारत यूक्रेन संकट पर साफ-साफ अपनी बात रखे (Photo-Reuters)
फ्रांस ने कहा है कि भारत यूक्रेन संकट पर साफ-साफ अपनी बात रखे (Photo-Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूक्रेन संकट पर भारत के रुख पर बोला फ्रांस
  • रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा के लिए भारत से जताई उम्मीद
  • कहा- और अधिक मजबूती से सामने आए भारत

फ्रांस ने कहा है कि रूस के मुद्दे पर भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अधिक सशक्त भूमिका निभाए. भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने मंगलवार को कहा कि फ्रांस चाहता है कि भारत इस मसले पर अपना रुख बिना लाग-लपेट के सबके सामने रखे. 

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फ्रांस यूक्रेन में रूसी हमले के बाद उत्पन्न मानवीय संकट को लेकर चर्चा के लिए एक प्रस्ताव लेकर आया. इसी बीच फ्रांस के राजदूत ने भारत को लेकर ये बयान दिया है. उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि भारत इस मसले पर साफ-साफ अपनी बात रखे.'

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में फ्रांसीसी राजदूत ने कहा कि फ्रांस स्वायत्तता पर भारत के फोकस को समझता है और उसका सम्मान करता है. लेकिन यूक्रेन की कार्रवाई बेवजह की आक्रामकता थी और फ्रांस को उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अगली बैठकों में भारत और अधिक मजबूती से अपनी बात रखेगा.

उन्होंने कहा कि भारत यूएनएससी में एक शक्तिशाली आवाज है इसलिए ये अत्यंत महत्वपूर्ण है कि आने वाली बैठकों में उसका वोट उसके शब्दों से मेल खाता हो.

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संयुक्त राष्ट्र में मतदान से परहेज करता रहा है भारत

भारत ने अब तक संयुक्त राष्ट्र की अलग-अलग  संस्थाओं में यूक्रेन से संबंधित सभी 6 प्रस्तावों पर मतदान से परहेज किया है. भारत ने यूक्रेन में रूसी हमले की भी अब तक निंदा नहीं की है. हालांकि, भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून, देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का आह्वान जरूर किया है.

लेनिन ने कहा कि फ्रांस भी रूस के साथ लगातार बातचीत कर रहा है. फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पिछले एक महीने में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से 11 बार बात कर चुके हैं. लेनिन ने कहा कि बातचीत के बावजूद फ्रांस ने रूस पर लगे प्रतिबंधों का समर्थन किया है ताकि इससे रूस पर दबाव बने. 

उन्होंने कहा कि फ्रांस की स्थिति उसकी अपनी रणनीतिक स्वायत्तता के अनुरूप है, जिसके तहत फ्रांस अमेरिका पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए यूरोपीय संघ की आवश्यकता पर जोर देता है.

उन्होंने कहा, 'हम भारत की तरह हैं. हम संप्रभु देश हैं और अपने दम पर निर्णय लेना पसंद करते हैं. हम पूरी तरह से समझते हैं और इस बात का सम्मान करते हैं कि भारत भी ऐसा ही करता है. लेकिन जब कोई आक्रमण होता है तो आपको अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी. हमें नहीं लगता है कि ये 2 देशों के बीच का युद्ध है. यह बिना किसी उकसावे के लोकतंत्र के खिलाफ एक गैर-लोकतांत्रिक देश का युद्ध है. यूक्रेन में नाटो सेनाएं नहीं थीं और यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की भी कोई योजना नहीं थी.'

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भारत को रूस की आक्रामकता की आलोचना के लिए मना रहा फ्रांस

राजदूत ने कहा कि फ्रांस यूक्रेन के लोगों और उनके राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साहस का सम्मान करते हैं. लेनिन ने कहा, 'बहुत से देशों को ये बात समझ आ गई है कि ये रूसी आक्रामकता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में देशों के अपार वोट से ये बात स्पष्ट हो गई है. हम चाहते हैं कि भारत भी इसमें शामिल हो.' उन्होंने कहा कि फ्रांस और यूरोपीय यूनियन चाहते हैं कि उनके सहयोगी उन मूल्यों का पालन करें जिस पर उनके रिश्ते आधारित हैं.

यूरोपीय यूनियन की प्रेसिडेंसी फिलहाल फ्रांस के पास है और भारत के साथ भी फ्रांस के रिश्ते काफी मजबूत हैं. राजदूत ने कहा कि फ्रांस रूस के साथ कोई युद्ध नहीं कर रहा है और रूस के लोगों के साथ उसका पुराना संबंध है. लेनिन ने उम्मीद जताई कि यूक्रेन को मानवीय सहायता के प्रस्ताव पर यूएनएससी में चल रही चर्चा पर अधिक से अधिक देशों का समर्थन मिलेगा.

यूएन की चर्चा है बेहद महत्वपूर्ण

यह चर्चा बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस प्रस्ताव में पहले ही काफी देरी हुई है. अमेरिका चाहता है कि यूक्रेन में मानवीय संकट पैदा करने के लिए रूस को स्पष्ट रूप से जिम्मेदार ठहराया जाए. अमेरिका ने इसके लिए भारत को भी मनाने की भी कोशिश की है जिस कारण प्रस्ताव को लाने में देरी हुई है.

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भारत की तरफ से युद्धग्रस्त यूक्रेन को मानवीय सहायता भी दी जा रही है जिसे लेकर ये अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत इस बार यूक्रेन-रूस के मुद्दे पर कुछ ठोस कह सकता है. लेकिन भारत ने अब तक इस संकट के लिए अकेले रूस को जिम्मेदार ठहराए जाने के किसी भी प्रस्ताव से परहेज किया है.

रूसी राजदूत ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध लंबे समय तक चलने वाला है और अभी सबसे बुरा समय आना बाकी है. उन्होंने चीन को लेकर भारत की चिंताओं को भी माना और कहा कि अगर मैं भी एक नीति निर्माता होता तो रूस पर फैसला लेते वक्त चीन को लेकर मुझे चिंता होती.

उन्होंने रूस के उस दावे को भी गलत बताया जिसमें रूस ने कहा था कि यूक्रेन के सैनिक यूक्रेन में फंसे हुए भारतीयों का इस्तेमाल ढाल के रूप में कर रहे हैं.

उन्होंने स्पष्ट किया कि यूक्रेन संकट के बावजूद भी फ्रांस इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर अपना ध्यान केंद्रित किए है और भारत के साथ अपने रिश्तों को काफी महत्व देता है. 

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