यूक्रेन के साथ जारी गतिरोध के बीच रूस ने हमला कर दिया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सैन्य कार्रवाई की औपचारिक घोषणा की है. रूसी सेना ने तबाही मचाना शुरू किया तो यूक्रेन का मंजर पूरी तरह से बदल गया. इस बीच भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने पीएम नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की गुजारिश की है.
'अजीब स्थिति में है भारत'
इसको लेकर रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल एसवीपी सिंह ने आजतक से बातचीत में कहा, भारत इस समय बहुत अजीब स्थिति में है क्योंकि हमारे रिश्ते अमेरिका, यूक्रेन और रूस के साथ महत्वपूर्ण हैं. सबसे पहले रूस की बात करें तो वह हमारा टाइम टेस्टेड फ्रेंड रहा है, एस 400 मिसाइल उसने हमें दी है. तो उसे हमें ध्यान में रखना है. यूक्रेन के साथ भी हमारे हमेशा से अच्छे रिश्ते रहे हैं और वो हमारा डिफेंस सप्लायर रहा है. वहीं अमेरिका के साथ हम उनके स्ट्रेटेजिक पार्टनर हैं.
'यूक्रेन को बनाया गया बलि का बकरा'
उन्होंने आगे कहा कि अब यूक्रेन के राजदूत ने हमसे मदद मांगी है तो हम रूस से यही कह सकते हैं कि जहां तक हो सके समझौता हो. इसके अलावा हम यूक्रेन को समझाएंगे कि अमेरिका हो या नाटो देश हों, इस सभी ने ही आपको बलि का बकरा बनाया है.
'भारत ही समझाए रूस को'
बता दें कि आज ही यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने पीएम मोदी से इस पूरे मामले में हस्तक्षेप की गुजारिश करते हुए कहा था कि भारत और रूस के संबंध अच्छे हैं. नई दिल्ली (भारत) यूक्रेन-रूस विवाद को कंट्रोल करने में अहम योगदान दे सकता है. इगोर पोलिखा ने कहा कि हम पीएम नरेंद्र मोदी से गुजारिश करते हैं कि वह तत्काल रूस के राष्ट्रपति पुतिन और हमारे राष्ट्रपति जेलेंस्की से संपर्क करें.
'नाटो ने साफ कर दिया कि वो तमाशा देखेगा'
इधर, ले. जनरल रि. के के अग्रवाल ने कहा कि नाटो में यूक्रेन को सदस्य बनाने को लेकर पहले ही मतभेद था. अभी के हालातों में रूस का पलरा भारी है. नाटो के कहे अनुसार अगर वह 100 एयरक्राफ्ट पोजिशन कर भी दे तो बहुत फर्क नहीं पड़ेगा. इसके अलावा पूर्व राजनायिक केसी सिंह ने कहा कि नाटो ने एक तरह से साफ कर दिया है कि वे बैठकर देख रहे हैं. प्रतिबंध लगाने के सिवा ये कुछ नहीं करने वाले हैं. यूक्रेन की तस्वीरों से साफ है कि रूस ने यूक्रेन के हेलिकॉप्टर गिरा दिए हैं.
धर्म संकट में भारत
बताते चलें कि चूंकि भारत, अमेरिका और रूस दोनों के करीब है. अमेरिका चाहता है कि भारत उसका समर्थन करे लेकिन भारत की रणनीतिक साझेदारी रूस के साथ बहुत अधिक है. रक्षा उपकरणों को लेकर रूस पर भारत की निर्भरता बनी हुई है. इधर, चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच भी भारत के लिए रूस का समर्थन जरूरी है. ऐसे में भारत के लिए किसी एक का पक्ष लेना बेहद मुश्किल होगा. भारत ने अभी तक इस मसले पर निष्पक्ष रूख अपनाया है.
पीएम मोदी करेंगे बड़ी बैठक
हालांकि अब खबर है कि मामले को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी एक बड़ी बैठक करने वाले हैं जिसमें एनएसएस अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल होंगे. यहां यूक्रेन की मदद से लेकर वहां से 18 हजार भारतीयों को वापस लाने की कोशिश पर चर्चा हो सकती है.