रूस और यूक्रेन के बीच में युद्ध 9 महीने लंबा खिच चुका है. अभी भी स्थिति जमीन पर विस्फोटक बनी हुई है और दोनों तरफ से आक्रमण हो रहा है. लेकिन इन 9 महीनों में पहली बार रूस सही मायनों में बैकफुट पर नजर आया है. उसकी तरफ से खेरसॉन से अपनी सेना को वापस बुलाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. ये वहीं इलाका है जहां पर एक वक्त रूसी सेना ने अपना कब्जा जमाया था.
रूसी रक्षा मंत्री के आदेश ने बदले समीकरण
असल में रूस की सरकारी मीडिया में ये खबर चल रही है कि रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने अपनी सेना को खेरसॉन से पीछने हटने के लिए कह दिया है. इसकी जगह सेना को पूर्वी हिस्से में मोर्चा संभालने के आदेश जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा है कि हम इस समय अपने सैनिकों की जान बचाएंगे. उन्हें पश्चिमी इलाके में यूं सक्रिय रखना जानलेवा साबित हो सकता है. इससे अच्छा हम उनका दूसरे इलाकों में इस्तेमाल कर सकते हैं. Gonzo blog में तो यहां तक कहा गया है कि ये फैसला कितना भी दर्द देने वाला क्यों ना हो, लेकिन अब इस इलाके को छोड़ना ही पड़ेगा. हां ये रूसी आर्मी के इतिहास में एक काला दिन है, लेकिन ये फैसला जरूरी है.
क्या यूक्रेन को मिल गई बड़ी बढ़त?
अब रूस के इस आदेश के कई मायने निकाले जा रहे हैं. एक तरफ खेरसॉन से रूसी सेना की वापसी के साथ ही यूक्रेन में कोई भी ऐसा इलाका नहीं रहेगा जहां पर उसके पास निर्णायक बढ़त रहे, वहीं दूसरी तरफ कुछ एक्सपर्ट इसे यूक्रेन की एक बड़ी जीत भी मानते हैं और युद्ध के खत्म होने का संकेत. वैसे रूस के इस फैसले पर यूक्रेन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया गया है जिससे समझा जा सके कि वो रूस के इस फैसले को किस तरह पढ़ रहे हैं.
रूस के लिए खेरसॉन के मायने
यहां ये समझना जरूरी हो जाता है कि खेरसॉन वो इलाका है जो क्रीमिया से सटा हुआ है. क्रीमिया पर रूस ने साल 2014 में अपना कब्जा जमा लिया था. तब से लगातार रूस का उस इलाके में दबदबा रहा है और यूक्रेन को ज्यादा कुछ करने का मौका नहीं मिला. लेकिन अब जब रूस खेरसॉन से अपनी सेना को वापस बुलाने की बात कर रहा है, उस स्थिति में क्रीमिया में भी यूक्रेन आक्रमक रुख अपना सकता है. अगर ऐसा होता है तो ये रूस के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा. बड़ी बात ये भी है कि खेरसॉन के जरिए ही रूस सीधे-सीधे काला सागर तक पहुंच सकता है. लेकिन अगर यूक्रेन यहां पर एक्टिव हो जाता है तो ये रूस के लिए बड़े खतरे की घंटी होगी.