Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन जंग जारी है. इसमें चौतरफा नुकसान हो रहा है. लोगों की जानें जा रही हैं. शहर के शहर खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं. वहीं यूक्रेन में संघर्ष ने विश्व स्तर पर बाजारों को हिलाकर रख दिया है. बढ़ती मुद्रास्फीति ने आर्थिक विकास के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं. युद्ध का असर तेल की कीमतों पर भी पड़ रहा है. बता दें कि मंगलवार को जैसे ही रूस ने हमले तेज किए वैसे ही तेल की कीमतों में तेजी आ गई. बता दें कि शेयर मार्केट में भी गिरावट दर्ज की गई.
तेल, कृषि जिंसों और सरकारी बॉन्ड पर भी विपरीत असर देखने को मिला है. कच्चे तेल की कीमत 6.6 फीसदी बढ़कर 101.87 डॉलर प्रति बैरल हो गई, जो 2014 के बाद से सबसे हाई लेवल पर पहुंच गई है. वहीं अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 6.6 फीसदी बढ़कर 104.44 अमेरिकी डॉलर हो गया.
यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से कृषि जिंसों की कीमतों पर भी दबाव बढ़ा है. गेहूं और मक्के की कीमतों में अब तक 20 प्रतिशत से अधिक इजाफा हुआ है. बता दें कि यूक्रेन दोनों फसलों का प्रमुख निर्यातक है.
प्रतिबंधों की वजह से गिरा रूबल
पश्चिमी देशों की ओर से रूसी बैंकों पर पाबंदियां लगाने के बाद रूसी रूबल का मूल्य रिकॉर्ड निम्न स्तर पर आ गया. बता दें कि सोमवार को अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने रूस के केंद्रीय बैंक पर कई प्रतिबंधों की घोषणा की थी.
रूस को आर्थिक झटका लगेगा
ऐसे में कई कंपनियों ने रूस में उद्यमों से पीछे हटने या बाहर निकलने की योजना बना ली है. वहीं कुछ कंपनियों का कहना है कि संघर्ष के कारण यूक्रेन में संचालन को निलंबित करने पर विचार कर रहे हैं.