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रूस के हमले के बाद NATO का बड़ा ऐलान, यूक्रेन के पास सहयोगी देशों में तैनात की जाएगी सेनाएं

जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा, रूस का उद्देश्य यूक्रेन तक सीमित नहीं है. ऐसे में सहयोगी देशों में जमीन पर, समुद्र और हवा में नाटो रिस्पांस फोर्स की टुकड़ियों को तैनात करने का फैसला किया गया है.

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NATO Secretary General Jens Stoltenberg
NATO Secretary General Jens Stoltenberg
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नाटो चीफ ने कहा- रूस का उद्देश्य यूक्रेन तक सीमित नहीं
  • रूस का लक्ष्य यूक्रेन की सरकार को बदलना- नाटो

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद NATO ने बड़ा ऐलान किया. नाटो चीफ जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके समकक्ष यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनजर अपने सहयोगी देशों की रक्षा के लिए सेना की तैनाती पर सहमत हुए हैं. 

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जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा, नेताओं ने नाटो प्रतिक्रिया बल की कुछ त्वरित तैनात होने वाली टुकड़ियों को भेजने का फैसला किया है. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि कितने सैनिकों की तैनाती की जाएगी. लेकिन उन्होंने कहा, इस कदम में जमीनी, समुद्री और वायु शक्ति शामिल है. माना जा रहा है कि रूस के रोमानिया में एक जहाज पर हमले के बाद ये कदम उठाया जा रहा है. दरअसल, रोमानिया नाटो का सदस्य है. 

जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा, रूस का उद्देश्य यूक्रेन तक सीमित नहीं है. ऐसे में सहयोगी देशों में जमीन पर, समुद्र और हवा में नाटो रिस्पांस फोर्स की टुकड़ियों को तैनात करने का फैसला किया गया है. 

स्टोलटेनबर्ग ने कहा, यूक्रेन पर रूस का हमला यूक्रेन पर हमले से कहीं ज्यादा है. यह यूक्रेन में निर्दोष लोगों पर एक विनाशकारी भयानक हमला तो है ही, लेकिन यह पूरे यूरोपीय सुरक्षा व्यवस्था पर भी हमला है, और यही कारण है कि हम इसे इतनी गंभीरता से ले रहे हैं. 
 
उन्होंने कहा, रूस का लक्ष्य यूक्रेन की सरकार को बदलना है. मैं यूक्रेन के सशस्त्र बलों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करूंगा, जो वास्तव में बहुत बड़ी हमलावर रूसी सेना के खिलाफ लड़कर और खड़े होकर अपनी बहादुरी और साहस साबित कर रहे हैं. 

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रूस नाटो देशों के खिलाफ वर्चस्व स्थापित करना चाहता है

यूक्रेन पर रूस के हमले ने पड़ोसी देशों को भी डरा दिया है. पड़ोस के देश रोमानिया, पोलैंड, लातविया, एस्टोनिया सब अलर्ट पर हैं. इन देशों में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया गया है और सेना किसी भी हमले का सामना करने के लिए तैयार रखी गई है. ये वे देश हैं जो नाटो के मेंबर बन चुके हैं और रूस की आंखों में लगातार खटकते रहे हैं. रूस नाटो देशों के खिलाफ खड़ा होकर सोवियत संघ के पुराने प्रभाव वाले इलाकों में फिर वर्चस्व स्थापित करना चाहता है.

नाटो की ओर से हथियारों की तैनाती!

इसके लिए वह नाटो देशों को मध्य यूरोप, पूर्वी यूरोप और बाल्टिक इलाकों में 1997 के पहले की सीमा रेखा से पीछे हट जाने को लगातार कहता है. अगर ऐसा हुआ नाटो देशों को न केवल यूक्रेन बल्कि लातविया, एस्टोनिया समेत कई देशों से हटना होगा. रूस ने पिछले साल दिसंबर माह में साफ कहा था कि न तो वह रूसी सीमा की ओर नाटो का विस्तार बर्दाश्त करेगा और ना ही यूक्रेन जैसे पड़ोसी देशों में नाटो की ओर से हथियारों की तैनाती को. तभी से रूस यूक्रेन बॉर्डर पर सेना की तैनाती बढ़ती चली गई और अब हमले के रूप में उसका प्लान सामने आ गया है. 

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