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यूक्रेन पर हमले के खिलाफ रूस में बढ़ता जा रहा है पुतिन का विरोध, हजारों लोग गिरफ्तार

रूस में राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ ही विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है. समाज के कई वर्ग उनके खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं. ऐसे में कुछ वर्गों में अटकलें हैं कि इस बढ़ते विरोध की वजह से पुतिन को अपनी सत्ता गंवानी पड़ सकती है.

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रूस के खिलाफ दुनिया के कई देशों में भी प्रदर्शन (प्रतीकात्मक फोटो-PTI)
रूस के खिलाफ दुनिया के कई देशों में भी प्रदर्शन (प्रतीकात्मक फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • समर्थकों का दावा- पुतिन की लोकप्रियता बरकरार
  • विरोधी बोले- पुतिन के करीबी भी नहीं हैं खुश
  • रूस में विरोध करने वाले 7,669 लोग गिरफ्तार

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अब विस्फोटक रूप ले चुका है. स्थिति बद से बदतर की ओर जा चुकी है. हर बीतते दिन के साथ जमीन पर हालात और खराब होते जा रहे हैं. अभी भी रूस की तरफ से हमला रोका नहीं गया है, यूक्रेन भी ताबड़तोड़ जवाबी कार्रवाई कर रहा है. लेकिन इस सब के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुसीबत भी काफी बढ़ गई है.

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अपने ही देश में घिरे पुतिन?

दुनिया की तरफ से तो लगातार रूस पर कई प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, लेकिन अब पुतिन अपने देश में ही घिर गए हैं. कई सालों बाद रूस में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन होते दिख रहे हैं. ये प्रदर्शन भी सीधे-सीधे पुतिन और उनकी रणनीति के खिलाफ चलाए जा रहे हैं. एक सुर में यूक्रेन के खिलाफ जारी कार्रवाई का विरोध किया जा रहा है. ये विरोध भी समाज के अलग-अलग वर्गों द्वारा होता दिख रहा है. कोई सामान्य वर्ग से प्रदर्शन करने आया है तो कोई सूट-बूट वाला अमीर शख्स भी सड़क पर उतर गया है.

राजनीतिक गलियारों में भी पुतिन के खिलाफ विरोध के सुर सुनाई देने लगे हैं. हाल ही में वर्ल्ड बैंक में मौजूद रूसी सलाहकार ने युद्ध का खुलकर विरोध किया था, यूएन क्लाइमेट कॉन्फ्रेंस में भी रूसी प्रतिनिधि ने पुतिन के खिलाफ ही आवाज बुलंद की थी. ऐसे में जमीन पर अब पुतिन के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. जैसे-जैसे ये गुस्सा बढ़ रहा है, वहां के प्रशासन की कार्रवाई भी उसी तर्ज पर कड़ी होती जा रही है. आंकड़े बताते हैं कि युद्ध का विरोध करने वाले करीब 7,669  प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है.

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बड़ी कंपनियां भी प्रदर्शन कर रहीं

यहां पर ये भी जानना जरूरी हो जाता है कि सिर्फ लोग ही इस समय पुतिन के खिलाफ प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, बल्कि अब तो बड़ी-बड़ी कंपनियां भी अपनी आवाज उठाने लगी हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो रूस की Lukoil तेल कंपनी जिस पर रूस की अर्थव्यवस्था काफी निर्भर करती है.

इस सब के अलावा सोशल मीडिया पर तो अब पुतिन के करीबी अधिकारियों की बॉडी लैंग्वेज भी चर्चा का विषय बन गई है. कई ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जहां पर पुतिन तो पूरे आत्मविश्वास के साथ बैठे हुए हैं, वहीं उनके अधिकारी आंखे नीचे कर मायूस नजर आ रहे हैं. उन फोटो को देख अंदाजा लगाया जा रहा है कि पुतिन के करीबी भी उनसे खुश नहीं हैं और उनके खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है.

युद्ध का विरोध, पुतिन लोकप्रिय?

लेकिन इन सभी प्रदर्शनों में एक बात समान है, सभी पुतिन से ज्यादा उस युद्ध का विरोध कर रहे हैं जो यूक्रेन के खिलाफ चलाया जा रहा है. ऐसे में पुतिन के समर्थन यही मानकर चल रहे हैं कि पुतिन की अपनी लोकप्रियता काफी ज्यादा है. लोग आज भी उन्हें अपने नेता के तौर पर देखते हैं. ऐसे में उनकी माने तो पुतिन की सत्ता कही नहीं जाने वाली है और वहीं रूस को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का काम करेंगे.
 

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