
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में कई भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. मिशन गंगा के तहत बड़े स्तर पर रेस्क्यू मिशन चलाया गया और हर युद्ध क्षेत्र से भारतीयों की वतन वापसी करवाई गई. ऐसा ही एक क्षेत्र रहा Sumi जहां से भारतीयों को निकालना सबसे ज्यादा मुश्किल रहा.
पासपोर्ट ना होना बड़ी मुसीबत
अभी के लिए Sumi में फंसे भारतीयों को Lviv पहुंचा दिया गया है. अब बताया जा रहा है कि ये सभी लोग बस की जगह ट्रेन से पोलैंड पहुंचने वाले हैं. फिर वहां से उन्हें भारत लाने की तैयारी की जाएगी. लेकिन सरकार के अधिकारी बताते हैं कि पूरे यूक्रेन में सबसे मुश्किल Sumi वाला रेस्क्यू ऑपरेशन ही रहा. वहां पर कई ऐसे भारतीय भी रहे जिनके पास उनका पासपोर्ट ही नहीं था. ऐसे में उनको निकालना सबसे बड़ी चुनौती रहा.
जानकारी दी गई है कि सरकार की तरफ से कीव में अपनी एक टीम भेजने पर जोर दिया गया था. 50 ऑफिसर की टीम भेजी जानी थी, जिसमें ज्यादातर वो लोग रहते जिन्हें रूसी भाषा आती हो. अब क्योंकि लोकल प्रशासन का पूरा सहयोग मिला, ऐसे में सुमी से कई भारतीयों को इस रणीनीति के जरिए बाहर भी निकाल लिया गया. भारतीयों के अलावा दूसरे पड़ोसी देशों के नागरिकों की भी मदद की गई.
दूसरे देश के नागरिकों का रेस्क्यू
बताया गया है कि दो बांग्लादेशी, एक नेपाली को भी भारत की फ्लाइट में ही बैठाया गया. जोर दिया गया है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद की जाएगी. वैसे अभी के लिए सभी भारतीयों को Lviv लाया जा रहा है. अब यहां से वे भारत जाना चाहते हैं या नहीं, ये फैसला उन पर छोड़ दिया गया है. लेकिन सरकार की तरफ से यूक्रेन में फंसे भारतीयों के रिश्तेदारों की मदद करने की बात भी कही गई है. अगर उनके सभी डाक्यूमेंट मौजूद हैं, तो उन्हें भी बाहर निकालने का काम किया जा सकता है.
इस सब के अलावा इस बात पर भी जोर दिया गया है कि रेस्क्यू के दौरान भारतीयों से पैसे नहीं लिए गए हैं.अगर बस का भी इंतजाम किया गया है तो सभी के पैसे सरकार ही दे रही है. वहीं यूक्रेन द्वारा अभी ट्रेन के सफर पर कोई चार्ज नहीं लगाया जा रहा है.