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Indian Wheat: भारत का गेहूं सड़ा बताकर ठुकराने वाले तुर्की की इस बड़ी डील पर नजर

तुर्की ने भारत के गेहूं में रूबेला वायरस बताकर खेप ठुकरा दी थी. अब खबर है कि वह यूक्रेन और रूस के साथ एक समझौता करने जा रहा है. इस समझौते के तहत तुर्की ने यूक्रेन के गेहूं पर 25 फीसदी छूट की मांग की है.

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तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन (photo: reuters)
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन (photo: reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तुर्की ने रूबेला बताकर ठुकराया था भारत का गेहूं
  • यूक्रेन से 25 फीसदी छूट पर गेहूं खरीदने की इच्छा जताई

भारत के गेहूं को सड़ा बताकर ठुकराने वाला तुर्की अब यूक्रेन से भारी छूट पर गेहूं खरीदने की कोशिश में है.

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तुर्की के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि तुर्की, यूक्रेन और रूस के बीच एक समझौता होना है, जिसके तहत तुर्की ने यूक्रेन के गेहूं पर 25 फीसदी छूट की मांग की है. गेहूं की इस खेप को यूक्रेन के ओडेसा बंदरगाह से इस्तांबुल पहुंचाया जाएगा. 

तुर्की के कृषि मंत्री वाहित किरीस्की ने पत्रकारों को बताया कि अगर यह समझौता होता है तो यूक्रेन हमें गेहूं पर 25 फीसदी छूट देने को सहमत हो गया है. 

किरीस्की ने इससे पहले बताया था कि यूक्रेन अपने बंदरगाहों की घेराबंदी को लेकर चिंतित है. रूस ने यूक्रेन के बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया है, जिससे उसका अनाज फंसा हुआ है.

तुर्की की सेना ने यूक्रेन के बंदरगाहों पर नौसैनिक नाकेबंदी को हटाने में मदद करने और ओडेसा बंदरगाह से अनाज की खेपों की सुरक्षा का प्रस्ताव दिया है.

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तुर्की की सरकारी समाचार एजेंसी एनादोलु की रिपोर्ट के मुताबिक, अनाज के इस लेनदेन की प्रक्रिया पर निगरानी रखने के लिए इस्तांबुल में एक कमांड सेंटर बनाया जाएगा. हालांकि, यूक्रेन, रूस की मंशा को लेकर आश्वस्त नहीं है.

रूस की सेना ने यूक्रेन के बंदरगाहों की नाकेबंदी कर दी है, जिससे यूक्रेन का अनाज बंदरगाहों पर ही फंसा है और उसका निर्यात नहीं हो पा रहा है. यह स्थिति वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा है. इसकी आशंका संयुक्त राष्ट्र भी जता चुका है.

बता दें कि मिस्र, ट्यूनीशिया, अल्जीरिया और तुर्की सहित मध्यपूर्व के कई देश यूक्रेन के गेहूं के निर्यात पर निर्भर है. 

हम पुतिन पर विश्वास नहीं कर सकते

हालांकि, यूक्रेन पुतिन को लेकर आशंकित है.

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमीत्रो कुलेबा ने ट्वीट कर कहा था, पुतिन कहते हैं कि वह ओडेसा बंदरगाह पर हमला करने के लिए व्यापारिक मार्गों का इस्तेमाल नहीं करेंगे.

उन्होंने कहा, यह वही पुतिन हैं, जिन्होंने जर्मनी की चांसलर स्कॉल्ज और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को बताया था कि वह यूक्रेन पर हमला नहीं करेंगे जबकि कुछ दिन बाद ही उन्होंने हमारे देश पर हमला कर दिया. हम पुतिन पर विश्वास नहीं कर सकते. उनकी बातें खोखली हैं.

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तुर्की विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यूक्रेन के गेहूं को लेकर समझौता नहीं भी होता है तो भी इससे तुर्की को कोई मुसीबत नहीं होगी. नेशनल ग्रेन काउंसिल के प्रमुख ओजकान तास्पिनार ने बताया कि तुर्की को गेहूं की दो करोड़ टन खेप मिलने की उम्मीद है.

रूस, यूक्रेन युद्ध के 100 दिन पूरे होने के मौके पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तुर्की में यूक्रेन के राजदूत ने रूस पर यूक्रेन का अनाज चोरी कर उसे विदेश भेजने का आरोप लगाया था. वासिल बोडनोर ने कहा था, रूस बेशर्मी से यूक्रेन का अनाज चुरा रहा है और इसे बाहर बेच रहा है.  इस अनाज को तुर्की सहित विदेशों में भेजा जा रहा है.

उन्होंने कहा, हमने तुर्की से हमारी मदद करने की अपील की थी. तुर्की की ओर से सुझाव पर ही हम अनाज की चोरी कर उसे बेचने वालों पर आपराधिक मामले दर्ज करेंगे.

रूस और यूक्रेन दोनों देशों से तालमेल बैठा रहा तुर्की

अंकारा में यूक्रेन के दूतावास ने बाद में कहा था कि अनाज की चोरी में शामिल जहाज नाडेजहदा, फिनिकिया, सोरमिविस्की, वेरा और मिखाइल नेनाशेव थे. हालांकि, इन दावों की पुष्टि नहीं की गई है.

अब तक तुर्की रूस और यूक्रेन के बीच तालमेल बैठाता आया है. तुर्की, यूक्रेन को कॉम्बैट ड्रोन बेच चुका है और रूस, यूक्रेन के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने की भी इच्छा जताई थी.

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हालांकि, तुर्की ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच रूस पर प्रतिबंध लगाने से दूरी बनाए रखी. तुर्की बहुत हद तक अनाज और ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर है.

बता दें कि तुर्की ने वैश्विक स्तर पर उपजे गेहूं संकट के बीच 29 मई को भारत के गेहूं की खेप लौटा दी थी. तुर्की ने भारत के गेहूं में रुबेला वायरस होने का हवाला दिया था. 

यह मामला काफी विवादों में रहा था. बाद में भारत के गेहूं की इस खेप को मिस्र भेजने की रिपोर्ट सामने आई थी. बाद में भारत के खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा था कि गेहूं की इस खेप को भारत से रवाना करने से पहले क्वारंटीन और अन्य जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा किया गया था. उन्होंने गेहूं में रुबेला होने की संभावना को भी खारिज किया था.  गेहूं की यह खेप भारतीय कंपनी आईटीसी लिमिटेड की थी. 

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