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Who is Alexander Lukashenko: यूरोप के आखिरी तानाशाह... बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको को इस नाम से भी जाना जाता है. एलेक्जेंडर लुकाशेंको इन दोनों चर्चा में हैं और वो इसलिए क्योंकि रूस और यूक्रेन की जंग में अब बेलारूस के भी सीधे तौर पर शामिल होने की बात कही जा रही है. यूक्रेन की खुफिया एजेंसी का दावा है कि सीमा पर बेलारूस ने लगभग 300 टैंक तैनात कर दिए हैं.
एलेक्जेंडर लुकाशेंको और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अच्छे दोस्त माने जाते हैं. पुतिन की तरह ही लुकाशेंको भी सोवियत संघ के टूटने से नाराज थे. बताया जाता है कि लुकाशेंको एकमात्र सदस्य थे जिन्होंने सोवियत संघ के विघटन के खिलाफ वोट दिया था.
सोवियत संघ के टूटने के बाद बेलारूस भी अलग देश बन गया. 1994 के राष्ट्रपति चुनाव में लुकाशेंको ने वादा किया कि वो बेलारूस को गड्ढे से निकालेंगे. इस चुनाव में लुकाशेंको ने 80 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए थे. लुकाशेंको 1994 से ही बेलारूस के राष्ट्रपति हैं. 2020 में लुकाशेंको लगातार छठवीं बार बेलारूस के राष्ट्रपति चुने गए थे.
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मां ने अकेले पाला
- एलेक्जेंडर लुकाशेंको का जन्म 31 अगस्त 1954 को हुआ था. उनके नाना त्रोखिम इवानोविच लुकाशेंको यूक्रेन के सुमी प्रांत की रहने वाली थीं. उन्हें उनकी मां ने अकेले पाला है. उनकी मां इकैटरीना त्रोफिमोवना लुकाशेंको रेलवे की एक कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करती थीं. बाद में वो रूसी सीमा से सटे बेलारूस के एक छोटे से गांव में आकर बस गईं.
- एलेक्जेंडर लुकाशेंको ने बेलारूस की ही एक यूनिवर्सिटी से एग्रीकल्चर में पढ़ाई की. इसके बाद वो 1975 से 1977 तक दो साल सोवियत आर्मी में भी जुड़े रहे. सोवियत आर्मी में लुकाशेंको डिप्टी पॉलिटिकल अफसर के पद पर तैनात रहे.
ऐसे बने बेलारूस के राष्ट्रपति
- लुकाशेंको का राजनीतिक सफर 1990 से शुरू हुआ. उस समय लुकाशेंको रिपब्लिक ऑफ बेलारूस की सुप्रीम काउंसिल के डिप्टी चुने गए. 1993 में उन्हें बेलारूस की संसद की एंटी-करप्शन कमेटी का अंतरिम चेयरमैन नियुक्त किया गया.
- 1994 में बेलारूस में पहली बार राष्ट्रपति का चुनाव हुआ. चुनाव दो राउंड में हुए. पहले राउंड में लुकाशेंको ने 45 फीसदी और दूसरे राउंड में 80 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए. लुकाशेंको शुरू से ही रूस के करीबी बने रहे.
- बेलारूस में राष्ट्रपति पद का कार्यकाल 5 साल का है. लेकिन लुकाशेंको का पहला कार्यकाल 2 साल के लिए बढ़ाया गया था. 2001 में यहां दूसरी बार राष्ट्रपति चुनाव हुए, जिसमें लुकाशेंको 75 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर दूसरी बार राष्ट्रपति बने. इसके बाद 2006, 2011, 2015 और 2020 के चुनावों में भी लुकाशेंको की ही जीत हुई.
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चुनावों में धांधली का लगा आरोप
- 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में लुकाशेंको छठवीं बार जीते. विपक्ष ने धांधली का आरोप लगाया. अमेरिका के तत्कालीन विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भी इस चुनाव पर सवाल उठाए. विपक्षी उम्मीद वियतलाना सिखानौस्काया ने दावा किया कि उन्हें 60 से 70% वोट मिले हैं.
- 2020 में कोविड मिसमैनेजमेंट और चुनावों में धांधली के आरोपों के चलते बेलारूस में जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ. करीब 7 हजार लोग गिरफ्तार कर लिए गए. पश्चिमी देशों की मीडिया ने लुकाशेंको 'यूरोप का आखिरी तानाशाह' बताया.
- चुनावों के बाद एक रिपोर्टर ने जब धांधली के आरोपों पर सवाल किया तो लुकाशेंको ने कहा, 'मैं तुम्हारे सवाल का जवाब दे रहा हूं. हमने चुनाव करवाया था. जब तक तुम मुझे मार नहीं देते, तब तक कोई चुनाव नहीं होगा.'
जब प्लेन उतरवाकर जर्नलिस्ट को गिरफ्तार किया गया
- लुकाशेंको पिछले साल मई में तब फिर चर्चा में आए जब उन्होंने एक पैसेंजर फ्लाइट को डराकर मिन्स्क एयरपोर्ट पर उतरवाया और उस फ्लाइट में बैठे एक जर्नलिस्ट को गिरफ्तार कर लिया.
- दरअसल, मई 2021 में रयान एयर की एक फ्लाइट ग्रीस के एथेन्स से लिथुआनिया जा रही थी. इस फ्लाइट में बेलारूस के एक जर्नलिस्ट रोमन प्रोतासेविच (Roman Protasevich) भी सफर कर रहे थे.
- न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बेलारूस की सरकार ने फ्लाइट को सुरक्षा का खतरा होने की बात कही. बेलारूस ने अपने लड़ाकू विमान भी भेज दिए और फ्लाइट को मिन्स्क एयरपोर्ट पर उतरने के लिए कहा.
- मिन्स्क एयरपोर्ट पर जब फ्लाइट उतरी तो पुलिसन ने रोमन को गिरफ्तार कर लिया. रोमन पोलैंड के एक न्यूज चैनल के कोफाउंडर और एडीटर इन चीफ थे. उन पर लुकाशेंको के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप था. इस कारण उन्हें अपना देश छोड़कर लिथुआनिया में बसना पड़ा. गिरफ्तारी के बाद रोमन को नजरबंद कर लिया गया. उन पर दंगा भड़काने का आरोप है.