रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सैन्य कार्रवाई के आदेश के बाद यूक्रेन की राजधानी कीव समेत अन्य शहरों में धमाकों की आवाज सुनी जा रही है. यूक्रेन में रूस के हमले की वजह से 7 लोगों की मौत हो गई है और 9 लोग जख्मी बताए जा रहे हैं. बॉर्डर गार्ड्स ने बताया है कि रूस की ग्राउंड फोर्स भी यूक्रेन में घुस गई है. पुतिन ने यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों डोनेत्स्क और लुहंस्क को स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में मान्यता दे दी, जिसके बाद से यूक्रेन-रूस तनाव गहरा गया. ऐसे में फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका खुलकर रूस के खिलाफ यूक्रेन के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं, वहीं भारत समेत कई देश न्यूट्रल हैं. मामले को लेकर अलग-अलग देशों के नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं.
जो बाइडेन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बयान जारी करते हुए कहा कि यूक्रेन रूसी सैन्य बलों के अकारण और अनुचित हमले का शिकार हुआ है. अमेरिका और उसके सहयोगी एकजुट और निर्णायक तरीके से इसका जवाब देंगे. आज पूरी दुनिया की प्रार्थनाएं यूक्रेन के लोगों के साथ हैं. राष्ट्रपति पुतिन ने वो युद्ध चुना है, जिसका विनाशकारी नुकसान होता दिखेगा. बाइडेन ने कहा, आज शाम मैं व्हाइट हाउस से यूक्रेन की स्थिति की निगरानी करूंगा और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम से नियमित अपडेट लूंगा. कल सुबह मैं G-7 समकक्षों से मुलाकात करूंगा, साथ ही अपने नाटो सहयोगियों के साथ समन्वय करूंगा.
एंटनी जे ब्लिंकेन
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी जे ब्लिंकेन ने एक बयान में कहा कि हम तथाकथित डोनेत्स्क और लुहंस्क पीपुल्स रिपब्लिक को अलग देश के रूप में मान्यता देने के राष्ट्रपति पुतिन के फैसले की कड़ी निंदा करते हैं. उन्होंने कहा कि अन्य देशों का दायित्व है कि वे खतरे या बल प्रयोग के माध्यम से बनाए गए एक नए देश को मान्यता न दें. रूस के राष्ट्रपति पुतिन का निर्णय अंतरराष्ट्रीय कानून और मानदंडों के खिलाफ है.
बोरिस जॉनसन
यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि मैं यूक्रेन में भयावह घटनाओं से स्तब्ध हूं और मैंने अगले कदमों पर चर्चा करने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से बात की है. राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन पर इस अकारण हमले की शुरुआत करके रक्तपात और विनाश का रास्ता चुना है. यूके और हमारे सहयोगी निर्णायक जवाब देंगे. इससे पहले उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन रूसी सेना की तैनाती के बाद पांच रूसी बैंकों पर प्रतिबंध लगाएगा. ये (प्रतिबंध) रूस को बहुत प्रभावित करेंगे और आक्रमण की स्थिति में हम और भी बहुत कुछ करने जा रहे हैं.
ओलाफ स्कोल्ज़
जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने कहा कि यूक्रेन पर रूसी हमला अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है. उन्होंने पुतिन की निंदा की. शोल्ज़ ने घोषणा की कि जर्मनी यूक्रेन और उसके लोगों का समर्थन करता है और कहा, "यह यूक्रेन के लिए एक भयानक दिन है और यूरोप के लिए एक काला दिन है."
फुमियो किशिदा
जापान भी रूस की हरकत की निंदा कर रहा है. जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने बुधवार को कहा कि हमारी सरकार जापान में रूस के सरकारी बांड को जारी करने और वितरण पर बैन लगाएगी. किशिदा ने ये भी कहा कि जापान दो यूक्रेनी विद्रोही क्षेत्रों से जुड़े लोगों को वीजा जारी करना भी निलंबित कर देगा. इसके अलावा जापान में उनकी संपत्ति को फ्रीज किया जाएगा और दोनों क्षेत्रों के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
मारियो ड्रैगी
इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी ने कहा है कि यूक्रेनी संकट को हल करने के लिए चर्चा महत्वपूर्ण थी. ड्रैगी ने कहा, "बातचीत महत्वपूर्ण है." रूस का निर्णय "यूक्रेन की लोकतांत्रिक संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का एक असहनीय उल्लंघन है." उन्होंने कहा, "वह संकट का राजनयिक समाधान खोजने के लिए हमारे सहयोगियों के साथ निरंतर संपर्क में हैं. हम पहले से ही यूरोपीय संघ के भीतर रूस के खिलाफ कार्रवाई और प्रतिबंधों को परिभाषित कर रहे हैं."
हुआ चुनयिंग
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बुधवार को कहा कि चीन रूस पर नए प्रतिबंधों का विरोध करता है और अपने पुराने रुख को दोहराता है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन की सीमाओं के आसपास रूसी सौनिकों की तैनाती और आक्रमण की आशंका के जवाब में अमेरिका कीव को हथियार प्रदान करके तनाव बढ़ा रहा है.
नानिया महुता
न्यूजीलैंड की विदेश मंत्री नानिया महुता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत पुतिन के लिए यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देने का कोई आधार नहीं है.
पीएम नरेंद्र मोदी
हालांकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है. लेकिन एक जनसभा में उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष की ओर इशारा किया. उन्होंने सभा में मौजूद जनता से कहा कि आप देख रहे हैं कि इस समय दुनिया में कितनी उथल-पुथल मची हुई है. ऐसे में आज भारत का ताकतवर होना, भारत और पूरी मानवता के लिए बहुत जरूरी है.
एस जयशंकर
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मामले पर तटस्थ प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यूक्रेन और रूस के बीच जारी गतिरोध की जड़ें सोवियत के बाद की सियासत में हैं. यूक्रेन के मौजूदा हालात की जड़ें नाटो (NATO) के विस्तार और यूरोपीय देशों के साथ रूस के बदलते संबंधों में भी हैं. ये पिछले 30 साल में बनीं जटिल परिस्थितियों का परिणाम है. फ्रांस के समाचार पत्र ले फिगारो के साथ साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि भारत और फ्रांस की तरह सक्रिय देश इस मसले के कूटनीतिक समाधान की मांग कर रहे हैं.
इस संकट पर प्रतिक्रिया देते हुये यूएन सुरक्षा परिषद में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि हमें खेद के साथ यह कहना पड़ रहा है कि इस तनाव को दूर करने के लिए सभी संबंधित पक्षों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा उचित कदम समय रहते नहीं उठाए गए हैं, जिस वजह से हम उस दिशा की ओर बढ़ गये हैं जिधर हमें नहीं बढ़ना था.
अमेरिका और रूस दोनों के करीब भारत
बता दें कि चूंकि भारत, अमेरिका और रूस दोनों के करीब है. अमेरिका चाहता है कि भारत उसका समर्थन करे लेकिन भारत की रणनीतिक साझेदारी रूस के साथ बहुत अधिक है. रक्षा उपकरणों को लेकर रूस पर भारत की निर्भरता बनी हुई है. इधर, चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच भी भारत के लिए रूस का समर्थन जरूरी है. ऐसे में भारत के लिए किसी एक का पक्ष लेना बेहद मुश्किल होगा. भारत ने अभी तक इस मसले पर निष्पक्ष रूख अपनाया है.
क्या है युद्ध की वजह?
गौरतलब है, कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों लुहान्सक और दोनेत्स्क को स्वतंत्र देश की मान्यता दे दी. इन दोनों ही क्षेत्रों में रूस समर्थित अलगाववादियों का नियंत्रण है. पुतिन ने इसके बाद कई अहम दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए. उनके आदेश के मुताबिक, अब रूसी सेनाएं यूक्रेन के इन अलगाववादी क्षेत्रों में घुसकर शांति कायम करने का काम करेंगी. रूस के इस फैसले से यूक्रेन-रूस के बीच तनाव बढ़ा और अब युद्ध की स्थिति आ गई है.