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Russia-Ukraine War: 2008 में जॉर्जिया, 2014 में क्रीमिया, 8 साल बाद अब यूक्रेन का नंबर

Russia-Ukraine War: 14 साल में तीसरी बार रूस एक बार फिर से जंग लड़ रहा है. इससे पहले 2008 में रूस ने जॉर्जिया के खिलाफ युद्ध किया था और उसके टुकड़े कर दिए थे. 2014 में रूस ने यूक्रेन से क्रीमिया को काट दिया था.

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन. (फाइल फोटो-AP/PTI)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन. (फाइल फोटो-AP/PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 8 साल में यूक्रेन पर दूसरा रूसी हमला
  • 2014 में रूस ने क्रीमिया तोड़ दिया था
  • 2008 में जॉर्जिया पर किया था हमला

Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच बड़ी जंग छिड़ चुकी है. दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे पर हमला कर रही हैं. रूस की मिसाइलें यूक्रेन की राजधानी कीव तक जा पहुंची है तो वहीं यूक्रेनी सेना ने रूस के कई सैनिकों को मारने और दो को बंधक बनाने का दावा किया है. 14 साल में ये तीसरा युद्ध है जो रूस लड़ रहा है. इससे पहले 2008 में जॉर्जिया और 2014 में यूक्रेन में ही रूस हमला कर चुका है. 

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जॉर्जिया और यूक्रेन दोनों ही कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे हैं और 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद आजाद देश बने थे. रूस चाहता है कि इन दोनों जगहों पर उसके समर्थन की सरकार रहे और दोनों NATO और पश्चिमी देशों से दूर रहें. 

2008 में रूस ने जॉर्जिया के खिलाफ जंग छेड़ी थी और उसके दो हिस्सों अबकाजिया और साउथ ओसेशिया को अलग देश घोषित कर दिया था. इसके बाद 2014 में रूस ने बिना जंग लड़े ही यूक्रेन से क्रीमिया को अलग कर अपने देश में मिला लिया था.

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2008 : जॉर्जिया भी NATO से जुड़ना चाहता था, रूस ने तोड़ दिया

- नवंबर 2003 में जॉर्जिया में आम चुनाव हुए. एडुअर्ड शेवर्डनेज (Eduard Shevardnadze) राष्ट्रपति चुनाव हुए. विपक्ष ने इन चुनावों में धांधली का आरोप लगाया. विपक्ष के इन आरोपों को जनता का साथ भी मिला और 3 नवंबर से जॉर्जिया में क्रांति की शुरुआत हुई. इसे Rose Revolution नाम दिया गया. 20 दिन तक जमकर प्रदर्शन हुए और आखिरकार राष्ट्रपति शेवर्डनेज को इस्तीफा देना पड़ा.

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- शेवर्डनेज के बाद विपक्षी पार्टी के नेता मिखील साकाशविली (Mikheil Saakashvili) राष्ट्रपति बने. साकाशविली पश्चिमी देशों के करीबी माने जाते हैं. साकाशविली चाहते थे कि जॉर्जिया NATO का सदस्य बने. अप्रैल 2008 में बुचारेस्ट में हुए सम्मेलन में NATO ने जॉर्जिया और यूक्रेन को संगठन में शामिल करने की बात कही. उसी समय रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, रूस की सीमा तक NATO के विस्तार को हमारे देश पर सीधा हमला माना जाएगा.

- जॉर्जिया के दो इलाके अबकाजिया और साउथ ओसेशिया में अलगाववादी ताकतें मौजूद थीं. इन्हें रूस का समर्थन हासिल था. इन दोनों इलाकों में अलगाववादियों और जॉर्जिया की सेना के बीच संघर्ष भी जारी था. अगस्त 2008 की शुरुआत में अबकाजिया और साउथ ओसेशिया में संघर्ष तेज हो गया. 

- इसके बाद रूस ने जॉर्जिया पर इन दोनों इलाकों में नरसंहार का आरोप लगाया और 8 अगस्त को जंग का ऐलान कर दिया. उस समय भी रूस ने कहा कि वो शांति के लिए अपनी सेना भेज रहे हैं. रूस ने जॉर्जिया के उन इलाकों में बमबारी की, जहां कोई विवाद नहीं था. 12 अगस्त को फ्रांस की मध्यस्थता से रूस और जॉर्जिया में सीजफायर का समझौता हुआ.

- रूस ने 26 अगस्त को साउथ ओसेशिया और अबकाजिया को अलग स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे दी. इन दोनों को अभी तक संयुक्त राष्ट्र ने मान्यता नहीं दी है. साउथ ओसेशिया में करीब 50 हजार और अबकाजिया में ढाई लाख की आबादी रहती है.

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2014 : रूसी समर्थक राष्ट्रपति हटे तो यूक्रेन को तोड़ा

- 2004 में यूक्रेन में राष्ट्रपति चुनाव हुए. रूस समर्थित विक्टर यानुकोविच (Viktor Yanukovych) की जीत हुई. इसके बाद देशभर में विद्रोह शुरू हो गया. इसे Orange Revolution नाम दिया गया. हालांकि, इन प्रदर्शनों को दबा दिया गया.

- 2010 में एक बार फिर विक्टर यानुकोविच की जीत हुई. नवंबर 2013 में यानुकोविच यूरोपियन यूनियन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने से पीछे हट गए. इस समझौते से यूक्रेन को 15 अरब डॉलर का पैकेज मिलने वाला था. उनके इस फैसले के देश में फिर प्रदर्शन हुए, लेकिन इस बार प्रदर्शन इतने जोरदार थे कि यानुकोविच को देश छोड़कर जाना पड़ा.

- 22 फरवरी 2014 को यानुकोविच ने देश छोड़ दिया. यूरोपियन यूनियन के समर्थकों की सत्ता आने के बाद रूस ने क्रीमिया पर हमला कर दिया. 27 फरवरी 2014 को आर्मी की वर्दी पहने बंदूकधारियों ने क्रीमिया की सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया. रूस ने इन्हें रूसी सैनिक मानने से इनकार कर दिया. 

- 16 मार्च 2014 को क्रीमिया में जनमत संग्रह कराया गया. दावा किया कि 97 फीसदी लोगों ने रूस में शामिल होने के पक्ष में वोट दिया है. 18 मार्च 2014 को क्रीमिया को औपचारिक रूप से रूस में मिला लिया गया. क्रीमिया पहले रूस का ही हिस्सा था, जिसे 1954 में सोवियत संघ के नेता निकिता ख्रुश्चेव ने यूक्रेन को तोहफे के तौर पर दे दिया था. 

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- क्रीमिया पर हमले के कारण उस समय भी रूस पर कई प्रतिबंध लगे थे. लेकिन पुतिन का कहना था कि क्रीमिया में रूसी हस्तक्षेप नहीं हुआ है क्योंकि इतिहास में अब तक कोई भी हस्तक्षेप बिना गोली चलाए और बिना किसी के हत्या के संभव नहीं हुआ है.

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क्रीमिया पर ही नहीं रुकी बात, पूर्वी यूक्रेन में भी बने नए देश

- 2008 में रूस ने जॉर्जिया को लेकर जो फॉर्मूला अपनाया था, वही फॉर्मूला पूर्वी यूक्रेन में भी अपनाया गया. पूर्वी यूक्रेन के डोनबास प्रांत के डोनेत्स्क और लुहंस्क में भी अलगाववादी मौजूद थे. अप्रैल 2014 में क्रीमिया की तरह ही डोनेत्स्क और लुहंस्क में भी जनमत संग्रह कराने की मांग उठने लगी.

- जनमत संग्रह के लिए यूक्रेन ने मना कर दिया तो अलगाववादियों ने सरकारी इमारतों पर कब्जा करना शुरू कर दिया. मई में दोनों जगह जनमत संग्रह कराया गया और इसके बाद दोनों ने खुद को अलग देश घोषित कर दिया. 

- माना जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनियाभर से जो रूसी कामगार लौटकर आए, वो डोनेत्स्क और लुहंस्क में आकर बसे. इन दोनों इलाकों में रूसी भाषा ही बोली जाती है. 2014 से ही यहां यूक्रेनी सेना और अलगाववादियों के बीच संघर्ष जारी है. 

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- इन दोनों देशों को 21 फरवरी को रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे दी. साथ ही उन्होंने इन दोनों इलाकों में सेना भी भेज दी. 

अब क्या यूक्रेन का नंबर है?

रूस के राष्ट्रपति का कहना है कि उनका मकसद यूक्रेन पर कब्जा करना नहीं, बल्कि डिमिलिटराइज करना है. डोनेत्स्क और लुहंस्क के बहुत ही कम हिस्से पर अलगाववादियों का कब्जा है, जबकि ज्यादातर इलाकों पर यूक्रेन का ही कब्जा है और वहां यूक्रेनी सेना तैनात है. पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन की सेना इन जगहों को खाली करे. हालांकि, उनका असली मकसद NATO और अमेरिका पर दबाव बनाना है.

 

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