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Explainer: क्या है फॉस्फोरस बम जिसका रूस पर इस्तेमाल करने का यूक्रेन ने लगाया है आरोप, कितना खतरनाक होता है?

Russia-Ukraine War: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस पर फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. उन्होंने दावा किया है कि रूस ने फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल किया है जिसमें बच्चों समेत कई की मौत हुई है.

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फॉस्फोरस बम से बुरी तबाही मचती है. (फाइल फोटो-AP/PTI)
फॉस्फोरस बम से बुरी तबाही मचती है. (फाइल फोटो-AP/PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • फॉस्फोरस बम से बुरी तरह जल जाता है इंसान
  • जंग में इन बमों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं है
  • रिहायशी इलाकों में इस्तेमाल नहीं हो सकता

Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन की जंग अब खतरनाक मोड़ पर आ गई है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने रूस पर फॉस्फोरस बम (Phosphorous Bomb) इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. उन्होंने दावा किया है कि गुरुवार की सुबह रूस की सेना ने फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल किया है, जिसमें कई लोगों की मौत हुई है. 

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इस जंग में ये दूसरी बार है जब रूस पर फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल करने का आरोप लगा है. दो हफ्ते पहले ही यूक्रेन की मानवाधिकार संस्था ने पूर्वी यूक्रेन के लुहांस्क के पोपास्ना शहर में भी फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल होने का दावा किया था. 

लेकिन ये फॉस्फोरस बम होता क्या है?

- फॉस्फोरस एक केमिकल होता है, लेकिन इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. हालांकि, रिहायशी इलाकों में इस बम के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है. 

- फॉस्फोरस का कोई रंग नहीं होता है, लेकिन कई मौकों पर ये हल्का पीला दिखता है. ये एक मोम जैसा पदार्थ होता है जिससे लहसुन जैसी गंध आती है. ये ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर जलता है.

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कितना खतरनाक होता है ये बम?

- इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस (ICRC) के मुताबिक, व्हाइट फॉस्फोरस हथियार जलते हुए फॉस्फोरस को फैलाते हैं. इन जलते हुए फॉस्फोरस का तापमान 800 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है. अगर किसी खुली जगह पर फॉस्फोरस बम गिराया जाता है, तो ये सैकड़ों किलोमीटर के दायरे तक फैल सकता है.

- आईसीआरसी के अनुसार, ये फॉस्फोरस तब तक जलते रहते हैं जब तक ये खत्म नहीं हो जाता या वहां से ऑक्सीजन खत्म नहीं हो जाती. इसके संपर्क में आने पर जलन होती है और ये जलन इतनी तेज होती है कि इससे मौत भी हो जाती है. 

- एक रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट फॉस्फोरस मांस से चिपक जाता है, जिससे इसकी जलन और ज्यादा गंभीर हो जाती है. इतना ही नहीं, ये त्वचा के संपर्क में आने पर और केमिकल बना सकता है जैसे फॉस्फोरिक पेंटोक्साइड. ये केमिकल स्किन के पानी से रिएक्शन करता है और फॉस्फोरिक एसिड बनाता है जो और खतरनाक है.

- इसकी चपेट में आने में इलाज में काफी समय लग जाता है, क्योंकि ये अंदरूनी टिशू को डैमेज कर देता है जिससे ठीक होने में समय लगता है. इसके अलावा फॉस्फोरस इंसान के अंदरूनी अंगों को भी डैमेज कर देता है. ये इसलिए भी बेहद खतरनाक है क्योंकि इसमें मौत का खतरा बहुत होता है और अगर मौत नहीं भी हो तो इंसान बुरी तरह जल जाता है.

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बम के इस्तेमाल पर क्या कहता है कानून?

- 1977 में स्विट्जरलैंड के जेनेवा में कन्वेंशन हुआ, जिसमें आम नागरिकों के खतरा होने की स्थिति में इस व्हाइट फॉस्फोरस के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया. हालांकि, जंग में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

- 1997 में केमिकल वेपन (Chemical Weapons) के इस्तेमाल को लेकर एक कानून बना था, जिसमें तय हुआ कि अगर रिहायशी इलाकों में इसका इस्तेमाल होता है तो व्हाइट फॉस्फोरस को केमिकल वेपन माना जाएगा. इस कानून पर रूस ने भी हस्ताक्षर किए थे.

 

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