Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध का नौवां दिन बहुत बड़ी तबाही की आशंका को जन्म देकर बीता है. इस जंग के बीच अब तक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने सिर्फ न्यूक्लियर वॉर के लिए अपनी तीनों सेनाओं को अलर्ट ही किया था, लेकिन शुक्रवार रात यूक्रेन में रूस के हमले के बीच एक ऐसा परमाणु युद्ध छिड़ने की आशंका पैदा हो गई, जहां 100-150 मीटर की दूरी पर अगर रूस का बम या मिसाइल गिर जाता तो लाखों लोगों के जीवन पर संकट आ जाता. दरअसल, यूरोप का सबसे बड़ा न्यूक्लियर प्लांट जो यूक्रेन में है, जहां छह न्यूक्लियर यूनिट हैं. यहीं पर बीती रात न्यूक्लियर यूनिट के पास बम गिरे हैं. आखिर पुतिन की सेना यहां बम क्यों गिरा रही थी? क्या यूक्रेन समेत पूरे यूरोप में परमाणु रेडिएशन का खतरा फैलाना था? ये बहुत सारे सवाल हैं, जिन्हें आपको जानना जरूरी है. सबसे पहले देखते हैं कि आखिर हुआ क्या?
पुतिन के देश की राजधानी मॉस्को से 1000 किमी दूर राष्ट्रपति जेलेंस्की के देश यूक्रेन का एक बेहद अहम हिस्सा ज़ेपोरेज़िया (Zaporizhia). जहां गुरुवार दिन में बढ़ते रूस के इन टैंकों को देखकर ही एक दुनिया में खुद को सुपरपावर समझने वाले देश अमेरिका से लेकर बहुत सारे मुल्कों के मुखिया की बेचेनी बढ़ने लगी थी. अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन से 8371 किमी दूर यूक्रेन के ज़ेपोरेज़िया में देर रात की खबर ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को चिंता में डाल दिया था. दक्षिणी यूक्रेन की वो जगह जहां रूस की तरफ से 24 तारीख को युद्ध शुरू किए जाने के बावजूद सबकुछ शांत नजर आता दिखा, लेकिन यूक्रेन को दुनिया के नक्शे में अपने नक्शे कदम पर लाने के लिए जुटी रूसी सेना के हमले के दौरान दुनिया के कई देशों की धुकधुकी राजधानी कीव, दूसरे बड़े शहर खारकीव से ज्यादा उस जगह के लिए बंधी थी, जिसका नाम जेपोरेजिया है.
जेपोरेजिया सिर्फ यूक्रेन का नहीं बल्कि यूरोप का सबसे बड़ा न्यूक्लियर प्लांट जहां देश के 15 में से छह न्यूक्लियर एनर्जी रिएक्टर हैं. यहीं से आधे यूक्रेन को बिजली की सप्लाई होती रही है. लेकिन इसी न्यूक्लियर प्लांट के पास रूस की तरफ से गोले बरसाए गए. जिसके बाद यूरोप के सबसे बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट के पास आग लगी हुई नजर आई. इसी के कारण एक बड़े परमाणु खतरे का अलर्ट पूरी दुनिया में जाग जाता है. पूरे यूरोप को सवा लाख लोगों की मौत की वजह बने चेर्नोबिल परमाणु हादसे की याद अभी जेपोरेजिया में न्यूक्लियर प्लांट के पास लगी आग के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की दिलाने लगे. यही नहीं, न्यूक्लियर प्लांट के पास हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि अब जरूरी है रूस को युद्धविराम कर देना चाहिए. शुक्रवार देर रात रूस-यूक्रेन युद्ध के नौवें दिन कुछ ऐसा हुआ कि जिसने राष्ट्रपति जेलेंस्की, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आपस में बात करने के लिए तुरंत मजबूर कर दिया.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने जेलेंस्की से कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाना जरूरी है. रूस को फौरन हमला करना बंद कर देना चाहिए. बस समझ लीजिए कि पूरा यूरोप अभी यूक्रेन के दोनों शहरों में हो रही बमबारी के इस विध्वंस से कहीं और बड़ी तबाही से बाल बाल बचा है. जो तस्वीरें यूक्रेन के अन्य शहरों में दिख रही है, इससे भी ज्यादा मानवीय त्रासदी नजर आती, अगर कहीं रूस के गोले जेपोरेजिया के इन छह न्यूक्लियर एनर्जी रिएक्टर पर गिर जाते. गनीमत रही कि परमाणु ऊर्जा प्लांट से सटे ट्रेनिंग सेंटर में ही गोलाबारी के कारण आग लगी.
International Atomic Energy Agency के मुताबिक, न्यूक्लियर प्लांट में छह यूनिट हैं. हर यूनिट की क्षमता 950 मेगावॉट बिजली उत्पादन की है. 1984 से 1995 के बीच ये जेपोरेजिया में न्यूक्लियर पावर प्लांट के भीतर ये छह यूनिट लगी थीं. दावा है कि यूनिट-1 अभी रुकी हुई है. यूनिट-2 और 3 को ग्रिड से अभी अलग कर रखा गया है. यूनिट-4 से 690 मेगावॉट शक्ति के साथ चालू है. यूनिट 5, यूनिट 6 की सक्रियता कम करके रखी गई है. अभी जेपोरेजिया के न्यूक्लियर पावर प्लांट पर रूस का ही कब्जा हो चुका है.
IAE Agency खुद कहती है कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि न्यूक्लियर पावर प्लांट और प्रोग्राम वाले किसी देश में इतना बड़ा युद्ध लड़ा जा रहा है. जहां फिलहाल तो किसी तरह का रेडिएशन फैलने की बात से इनकार किया गया है. लेकिन अगर धमाका न्यूक्लियर प्लांट में होता तो क्या परमाणु युद्ध फिर आगे छिड़ जाता? रूसी सेना ने यूक्रेन के न्यूक्लियर रियेक्टर पर गोले बरसाए वो यूरोप का सबसे बड़ा एटमी प्लांट है. जिससे होने वाली तबाही चेर्नोबिल हादसे से भी 10 गुना ज्यादा हो सकती थी. ऐसा माना जा रहा है.
पूरी कहानी आप जरूर जानिए...
- 1986 में यूक्रेन जब सोवियत संघ का हिस्सा था तब उसके चेनोर्बिल परमाणु प्लांट के एक रियेक्टर में बहुत बड़ा विस्फोट हुआ था. चेर्नोबिल हादसे से 8 टन रेडिएशन फैला था जिससे 1.15 लाख लोगों को तुरंत निकाला गया, शुरुआत में 31 लोगों की मौत हुई. लेकिन आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि चर्नोबिल हादसे से फैलने वाला रेडिएशन 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए एटम बम से निकलने वाले रेडिएशन से 400 गुना ज्यादा था. 30 किलो मीटर का इलाका बुरी तरह प्रभावित हुआ. चेर्नोबिल के अकेले रियेक्टर में लगी आग को बुझाने में 15 दिन लग गए थे.
- चर्नोबिल में रेडिएशन से कुछ महीने बाद तब 247 मौत हुईं. कुछ सालों बाद कैंसर से मरने वालों का आंकड़ा लाखों में पहुंच गया और साल 2000 तक रेडिएशन से करीब 45 लाख लोग बीमार हो गए, जो यूक्रेन की कुल जनसंख्या का 5 फीसदी है.
- 2014 में बहुत से लोग मान रहे थे कि क्रीमिया पर पुतिन कब्जा नहीं करेंगे. लेकिन पुतिन ने क्रीमिया पर कब्जा किया. क्या इसी तरह इस बार न्यूक्लियर वॉर की बात करने वाला रूस परमाणु युद्ध भी छेड़ सकता है! अगर ऐसा हुआ तो क्या अभी जितनी तबाही दिख रही है, क्या इससे कई गुना ज्यादा भीषण त्रासदी नजर आने वाली है?
- जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के नौ दिनों बाद राजधानी कीव पर कब्जे के लिए 34 किमी लंबा रूसी सेना का युद्धक काफिला दस्तक दे रहा है. तब परमाणु युद्ध की बातों के बीच चलती लड़ाई में जानना जरूरी है कि क्या अभी तबाही इससे कहीं और ज्यादा बाकी है? जहां आसमान से देखिए तो कीव की सड़कों पर युद्ध के बीच फैली खामोशी और नष्ट हुए सैन्य उपकरण, गाड़ियां, टैंक दिखते हैं. जहां खामोशी को अब भी कोई धमाका तोड़ता है.
- कला संस्कृति का यूक्रेन में सबसे बड़ी पहचान कीव से रही है. जहां शांति और संगीत गूंजता था. अब वहां या तो रॉकेट और मिसाइल के हमलों से क्षत विक्षत हो चुकी इमारतें खंडहर जैसी नजर आती हैं, या फिर सीरियल हमले के धमाके से जनता को सुरक्षित रखने वाले सायरन सुनाई देते हैं, तो क्या इससे भी बड़ी तबाही अभी देखी जानी बाकी है?
- रूस के अटैक हेलिकॉप्टर और टैंक लगातार यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने के लिए पहुंच रहे हैं. उस कीव पर कब्जा जहां यूनेस्को की तऱफ से घोषित विश्व की संरक्षित धरोहरे हैं. क्या वो धरोहरें भी ध्वस्त कर दी जाएंगी? क्या तबाही अभी और बाकी है?
- कहते हैं कि 28 लाख लोगों की आबादी वाला कीव पूर्वी युरोप के सबसे पुराने शहरों में से एक रहा है. लेकिन आज इसी खूबसूरत प्रांत को युद्ध की वो काली नजर लगी है. जहां घरों के भीतर लोगों की जिंदगी भर की खुशियां और कमाई एक लड़ाई की कीमत चुका रही है. जहां कब कहां से कौन सी मिसाइल आकर गिर जाएगी, कौन सा रॉकेट आकर गिरेगा कोई नहीं जानता है.