Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच जंग ने अब तबाही मचानी शुरू कर दी है. रूस की सेना ने यूक्रेन के चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट (Chernobyl Nuclear Plant) पर कब्जा कर लिया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार मिखाइलो पोडोल्याक (Mykhailo Podolyak) ने इसकी पुष्टि की है.
उन्होंने कहा कि ये कहना संभव नहीं है कि रूसी सेना के हमले के बाद चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट सुरक्षित है. उन्होंने कहा, 'आज यूरोप के लिए ये सबसे बड़े खतरों में से एक है.'
चेर्नोबिल प्लांट में अप्रैल 1986 में एक बड़ा परमाणु हादसा हुआ था. ये हादसा सोवियत संघ के दौर में हुआ था. उस समय इसे छिपाने की कोशिश भी की गई थी. इस हादसे में जान गंवाने वालों का कोई सही आंकड़ा मौजूद नहीं है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इस हादसे में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर कम से कम 93 हजार लोगों की मौत हुई होगी.
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हादसे के बाद चेर्नोबिल प्लांट पूरी तरह तबाह हो चुका है. इसे बंद कर दिया गया है. आने वाले 24000 सालों तक ये इलाका इंसानों के रहने लायक नहीं हो सकेगा. लेकिन सवाल उठता है कि एक तबाह हुए प्लांट पर रूस ने कब्जा क्यों किया?
जवाब है प्लांट की लोकेशन
चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट पर कब्जा रूसी सेना ने सोच समझकर किया है. दरअसल, रूस ने यूक्रेन को घेरने के लिए तीन तरफ से हमला किया है. बेलारूस के जरिए कीव तक पहुंचने के लिए चेर्नोबिल सबसे छोटा रास्ता है. यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि चेर्नोबिल पर कब्जा रूसी सेना के प्लान का हिस्सा था.
अमेरिकी सेना के पूर्व प्रमुख जैक किएन (Jack Keane) ने न्यूज एजेंसी को बताया कि चेर्नोबिल सैन्य लिहाज से बहुत अहम नहीं है, लेकिन ये बेलारूस से कीव तक पहुंचने का सबसे छोटा रास्ता है.
चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट यूक्रेन के प्रिपयेत (Pripyat) शहर में स्थित है. प्रिपयेत को 1970 में बसाया गया था. चेर्नोबिल प्लांट राजधानी कीव से 108 किलोमीटर दूर उत्तर में हैं. वहीं, बेलारूस की सीमा से इसकी दूरी महज 20 किलोमीटर है.