काला सागर (Black Sea) के एयरस्पेस में रूसी जेट और अमेरिकी ड्रोन के बीच हुए टकराव और फिर अमेरिकी ड्रोन के क्रैश होने की घटना से पूरी दुनिया में खलबली मच गई थी. यूक्रेन युद्ध के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब अमेरिका और रूस के बीच इस तरह का सीधा टकराव हुआ. अब इस पूरे मामले पर रूस ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है.
अमेरिका में रूस के राजदूत एंटोली एंटोनोव का कहना है मॉस्को इस घटना को उकसावे की कार्रवाई के तौर पर देखता है. एंटोनोव ने कहा कि यह एक तरह से उकसावे वाली गतिविधि थी. रूसी सीमा के आसपास अमेरिकी ड्रोन, विमानों और जहाजों का कोई काम नहीं है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय या वहां की मीडिया की क्या प्रतिक्रिया होगी, जब इस तरह के ड्रोन न्यूयॉर्क या सैन फ्रांसिस्को के पास देखे जाएंगे?
एंटोनोव ने इस संबंध में यूरोपियन और यूरेशियाई मामलों की सहायक मंत्री कैरेन डॉनफ्राइड से भी मुलाकात की और विरोध जताया. एंटोनोव ने कहा कि कैरेन से उनकी मुलाकात सार्थक रही. इस दौरान दोनों देशों ने अपनी-अपनी चिंताएं जाहिर करते हुए कहा कि अमेरिका और रूस को अपने अगले कदम को लेकर पूरी तरह से सावधानी बरतने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि हमने कैरेन से यह भी कहा है कि रूस, अमेरिका के साथ संघर्ष नहीं बल्कि बेहतर संबंधों की चाह रखता है.
रूस की अमेरिका को चेतावनी
रूस ने अमेरिका को चेताते हुए कहा है कि वह मॉस्को की सीमा के आसपास किसी भी तरह की प्रतिकूल गतिविधियों से दूरी बनाए. एंटोनोव ने कहा कि हम यह उम्मीद जताते हैं कि अमेरिका किसी भी तरह के पूर्वाग्रहों से दूरी बनाए रखेगा और रूसी सीमाओं के पास अपने किसी भी तरह के विमान, ड्रोन या जहाज नहीं भेजेगा. हम अमेरिकी हथियारों और सैन्य उपकरणों के इस्तेमाल से जुड़ी किसी भी तरह की गतिविधि को रूस के खिलाफ मानेंगे.
उन्होंने कहा कि रूस के लड़ाकू विमानों ने अमेरिका के किसी ड्रोन को नहीं मारा है. एंटोनोव ने कहा कि हमारी सीमाओं के आसपास अमेरिकी सेना की किसी भी तरह की गतिविधि स्वीकार्य नहीं होगी और यह हमारे लिए चिंता का कारण होगा. रूस, अमेरिका के साथ किसी भी तरह का टकराव नहीं चाहता. लेकिन इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है.
बता दें कि काला सागर में रूस ने अमेरिका के ड्रोन को डुबा दिया था. रूस के सुखोई-एसयू 27 (Sukhoi Su-27) ने अमेरिका के जिस एमक्यू-9 रीपर ड्रोन (MQ-9 Reaper) को काला सागर में गिराया है, उसका इस्तेमाल निगरानी (जासूसी) करने के लिए किया जाता है. इसे अमेरिका की डिफेंस कंपनी जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स (General Atomics) ने बनाया है. यह एक अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) है, जिसे प्रीडेटर बी भी कहा जाता है. इसे ज्यादातर लंबी दूरी की उड़ान भरने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. एमक्यू-9 रीपर ड्रोन का इस्तेमाल अमेरिका की वायुसेना करती है.
अमेरिका का क्या था दावा?
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी जनरल जेम्स बी. हेकर ने घटना के बाद कहा, 'हमारा MQ-9 ड्रोन अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में नियमित उड़ान भर रहा था. रूसी विमान ने इसे इंटरसेप्ट कर इसे हिट किया. इस झड़प में एमक्यू-9 को काफी नुकसान पहुंचा और उसे पानी में ही डुबाना पड़ा.' हेकर ने यह भी दावा किया कि इस दौरान रूस के दोनों Su-27 विमान भी क्षतिग्रस्त हो गए.
रूस का पक्ष
पेंटागन के प्रवक्ता और वायु सेना के ब्रिगेडियर जनरल पैट्रिक राइडर ने बताया, 'रूस के दोनों Su-27 को MQ-9 के पास पहली बार ड्रोन के समुंदर में समाने से करीब 40 मिनट पहले देखा गया.' हालांकि, राइडर के इस दावे का रूस ने पूरी तरह से खंडन कर दिया है. रूस के रक्षा मंत्रालय ने अपने दावे में कहा है कि ऊंचाई से गिरकर समुंदर में समाने से पहले अमेरिका का ड्रोन अनियंत्रित उड़ान भरते हुए नजर आया था.